दो-दो बच्चों के माता-पिता ने थामा एक-दूजे का हाथ
राजनांदगांव के संतोष और मैहर (एमपी) की मिताली ने सात दिनों की मुलाकात में साथ जीने का फैसला लिया और सात फेरे लेकर एक-दूजे के हो गए।
रायपुर। राजनांदगांव के संतोष और मैहर (एमपी) की मिताली ने सात दिनों की मुलाकात में साथ जीने का फैसला लिया और सात फेरे लेकर एक-दूजे के हो गए। अग्रवाल भवन में आयोजित विधवा पुनर्विवाह में 43 साल के विधुर संतोष ने 39 साल की विधवा मिताली का हाथ थाम लिया।
बीमारी के कारण मिताली के पति की 2011 में मौत हो गई थी। संतोष की पत्नी 2015 में एक एक्सीडेंट का शिकार हो गई थीं। दोनों ही सोशल मीडिया में अपने जीवनसाथी की तलाश कर रहे थे। ऐसे में दोनों की मुलाकात अग्रवाल समाज के एक वाट्स एप्प ग्रुप में हुई। ग्रुप ऐसे ही लोगों को मिलवाकर सहमति से शादी करवाने का काम करता है। सात दिन पहले ही संतोष अपने परिवार वालों के साथ सतना जाकर मिताली से मिले और रिश्ता पक्का कर लिया। परिवार वालों की रजामंदी के बाद छत्तीसगढ़ी अग्रवाल महिला मंडल ने दोनों की शादी कराने की जिम्मेदारी ली।
खुश नजर आए बच्चे
पेशे से वकील संतोष ने बताया कि उनके दोनों बेटे गगन (18) और देवांश (12)काफी खुश हैं, उन्हें फिर से मां मिल गई है। कई बार बीमार बच्चे बीमार पड़ते तो मैं उनकी देखभाल के लिए कोर्ट ना जाकर घर पर ही रहता था। उनके स्कूल आने-जाने से लेकर खाने तक जिम्मेदारी आ गई थी, जिसे अब उनकी नई मां निभाएगी। मिताली के भी दो बच्चे हैं- 12 साल की बेटी मोनिका और 10 साल का शुभ। वे भी पिता को पाकर खुश हैं। तय हुआ है कि अभी शुभ साथ रहेगा और कुछ समय बाद मोनिका को भी बुला लिया जाएगा।
पहली पत्नी के घरवाले भी हुए शामिल
शादी में संतोष के बड़े भाई बाबूलाल अग्रवाल, जीजा, दीदी के अलावा उनकी पहली पत्नी की बहन नीना अग्रवाल भी अपने पति के साथ शामिल हुईं। जबकि मिताली की तरफ से उनके पैरेंट्स ओपी अग्रवाल और चंपा अग्रवाल के अलावा भाई शामिल हुए।