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लाल आतंक और पिछ़डेपन से मुक्ति पाने के लिए राज्य को चाहिए 4433 करोड़

राज्य सरकार ने 4433 करोड़ रुपए का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा है। सुरक्षा उपायों के साथ-साथ अब विकास कार्य जरूरी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 04:05 AM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 04:57 AM (IST)
लाल आतंक और पिछ़डेपन से मुक्ति पाने के लिए राज्य को चाहिए 4433 करोड़
लाल आतंक और पिछ़डेपन से मुक्ति पाने के लिए राज्य को चाहिए 4433 करोड़

रायपुर, ब्यूरो। देश के घोर लाल आतंक [ नक्सलवाद ] प्रभावित 35 में से 8 जिले छत्तीसग़ढ में हैं। राज्य सरकार इन जिलों में विकास के लिए अधोसंरचना का विकास करना चाहती है। इसके लिए राज्य सरकार ने 4433 करोड़ रुपए का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा है। इससे प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृृषि, सिंचाई, पेयजल और स्वच्छता पर काम किया जाएगा। राज्य के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के विकास के लिए केन्द्र से अलग से राशि देने का प्रस्ताव दिया है।
वित्त विभाग और राज्य योजना आयोग से जु़डे सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने बस्तर प्लान बना कर नीति आयोग को स्वीकृृति के लिए भेजा है। सरकार की राय में बीते एक साल में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था में काफी सुधार आया है। कई हिस्सों से नक्सल समस्या को दूर किया गया है। इस सुधार में सुरक्षा उपायों के साथ-साथ अब विकास कार्य जरूरी है। अफसरों की राय में केन्द्रीय बजट में इसे स्वीकृृति मिलती है, तो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की रफ्तार और तेज हो जाएगी।
नक्सल क्षेत्रों के लिए यह है अपेक्षा
केन्द्रीय वित्त मंत्री से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों की शाखाएं खोलने में सहयोग की उम्मीद की जा रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या अधिक है। बजट में इनके विकास के लिए पैसे मिले। एक वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि इन वर्गों के विकास के लिए दी जाने वाली राशि पिछले सालों की तुलना में कम न हो।
केन्द्रीय फोर्स के बजट भार से मिले मुक्ति
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ब़डी संख्या में केन्द्रीय फोर्स की तैनाती की गई है। इस फोर्स का वेतन, भत्ता आदि राज्य सरकार को देना होता है। छत्तीसग़ढ सरकार पर केन्द्रीय फोर्स के वेतन आदि का करीब छह हजार चार सौ करोड़ रुपए बकाया है। राज्य सरकार चाहती है कि यह उससे न लिया जाए।
बजट मिलने से यह होगा असर
राज्य पुलिस मुख्यालय में नक्सल ऑपरेशन से जु़डे एक आला अफसर ने कहा कि नक्सलवाद से केवल बंदूक के दम पर मुक्ति नहीं मिल सकती। इसके लिए विकास जरूरी है। प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों का दबाव बढा है। नक्सलियों को लगातार पीछे हटना पड रहा है। ऐसे में उनसे मुक्त कराए गए क्षेत्रों में तेजी से बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की जरूरत है। केन्द्रीय बजट में मदद मिलने से इसमें तेजी आएगी।

केन्द्र की सूची में राज्य के नक्सल प्रभावित जिले
केन्द्र की सूची में राज्य के 16 जिले नक्सल प्रभावित हैं। इनमें बस्तर, बीजापुर, दंतेवा़डा, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, सुकमा और कोंडागांव देश के सर्वाधिक प्रभावित जिलों में शामिल हैं। इनके अलावा जशपुर, कोरिया, सरगुजा, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बालौद और बलरामपुर भी प्रभावित जिलों में शामिल हैं।

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