रायपुर के सौरभ ने एयरबस-320 उड़ाकर छू लिया आसमान
'मामा मुझे रायपुर एयरपोर्ट ले जाते थे तो प्लेन को उड़ते हुए देख सोचता कि क्या मैं कभी इसे उड़ा पाऊंगा। आज मेरा यह सपना पूरा हो गया है।'
रायपुर। 'मामा मुझे रायपुर एयरपोर्ट ले जाते थे तो प्लेन को उड़ते हुए देख सोचता कि क्या मैं कभी इसे उड़ा पाऊंगा। आज मेरा यह सपना पूरा हो गया है।' यह कहना है प्रियदर्शिनी नगर रायपुर निवासी पी. सौरभ राव का, जो इंडिगो कंपनी में कैप्टन हैं। सौरभ छत्तीसगढ़ के ऐसे पहले युवा हैं, जो एयरबस- 320 उड़ा रहे हैं। बुधवार को वे कोलकाता-रायपुर-इंदौर की फ्लाइट एयरबस-320 लेकर रायपुर पहुंचे। जो रायपुर में उनकी पहली उड़ान थी। करीब आधे घंटे के बाद विमान इंदौर के लिए उड़ गया।
सौरभ का परिवार प्रियदर्शिनी नगर में रहता है, पिता सीवी भास्कर राव हैदराबाद स्थित कॉपरेटिव बैंक में चीफ मैनेजर हंै। ननिहाल टैगोर नगर में है। 'नईदुनिया' ने सौरभ से बात की। उन्होंने बताया कि वे 09 जून 2016 के पहले तक सीनियर को-पायलट थे, विमान में यात्रियों के साथ बैठकर उड़ान भरते थे। सोचते थे कि वह दिन कब आएगा जब कॉकपिट पर बैठकर विमान उड़ाऊंगा और 10 जून को वह दिन आ ही गया। इंडिगो ने कैप्टन बना दिया। सौरभ वर्तमान में हैदराबाद में रहते हैं। उन्हें स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट का वह टावर याद है, जहां से वे 6-7 साल की उम्र में विमानों को देखते थे।
क्या है एयरबस 320 की खासियत
यह फ्रांस में निर्मित विमान है, जिसकी यात्री क्षमता 150-180 है। विमान में 2 इंजन हैं। यह विमान सबसे आधुनिक हैं। हर एक चीज इलेक्ट्रिकली ऑपरेटिव है। यह 6 से 8 घंटे तक उड़ान भर सकता है। एयरबस ने 1987 में पहली उ़$डान भरी थी। जानकारी के मुताबिक यह अमेरिकी विमान कंपनी बोईंग से बड़़ा है।
अगला लक्ष्य एयरबस 380 -- एयरबस 380 को फ्लाइंग करना है। जो डबल डेकर है, जिसमें 550 यात्री सवार हो सकते हैं।
ऐसी है कैप्टन बनने की कहानी
12वीं पास करने के बाद सौरभ ने दुर्ग स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में आईटी ब्रांच में दाखिला ले लिया। पढ़़ाई कर ही रहे थे कि इंडिगो ने कैडेट पॉयलट नाम से साल 2008 में परीक्षा आयोजित की। लास्ट सेमेस्टर छा़ेड़कर उन्होंने परीक्षा दी और चयन भी हो गया। बाद में आकर पढ़़ाई पूरी की। इसके बाद ट्रेनिंग शुरू हुई। कॉमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजे गए। वहां से आने के बाद डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन [डीजीसीए] द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल हुए। उसके बाद एयरबस की ट्रेनिंग के लिए बेल्जियम भेजे गए। निर्धारित समय तक फ्लाइट में फस्र्ट ऑफिसर सर्विस दी। 'नईदुनियाÓ से बातचीत में सौरभ ने इच्छा जाहिर की है कि पायलट का एक ऐसा ग्रुप बने जो यूथ को फील्ड के बारे में शिक्षित करे। क्योंकि मुझे कोई बताने वाला नहीं था। मुझे जैसी परेशानियां हुईं किसी और को सामना न करनी पड़़े।