बरसात में भी पानी को तरस रहे लोग, सूखे की आहट से सरकार परेशान
छत्तीसगढ़ के मैनपुर ब्लाॅक के गांव ढोलसरई जंगलपारा में बरसात के मौसम में भी लोगों के पास पानी नहीं है। यहां बेहद कम बारिश हुई है। जहां देश के कई राज्यों में भारी बारिश के चलते बाढ़
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मैनपुर ब्लाॅक के गांव ढोलसरई जंगलपारा में बरसात के मौसम में भी लोगों के पास पानी नहीं है। यहां बेहद कम बारिश हुई है। जहां देश के कई राज्यों में भारी बारिश के चलते बाढ़ के हालात बने हुए हैं वहीं यहां लोगों के घरों के आसपास पीने के पानी के संसाधन न होने से वे दूर झिरिया से पानी लाने को मजबूर हैं। पिछले 15 दिन में बारिश नहीं हुई, जिससे फसल भी सूखती नजर आ रही है। यहां के लोग पानी को लेकर काफी चिंता में है।
सीएम ने कलेक्टरों से मांगी रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में बारिश पिछले 30 साल के औसत से कम हुई है लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार सिर्फ तीन जिले ही इस समय सूखे की चपेट में हैं। सूरजपुर के 50 फीसदी हिस्से में सूखे के हालात हैं और बेमेतरा और मुंगेली के कुछ-कुछ हिस्सों में पानी नहीं है। इसी तरह महासमुंद में भी स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। अन्य जिलों में औसत बारिश कम हुई है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। इन हालातों को देखते हुए सीएम डाॅ. रमन सिंह ने सभी कलेक्टरों से रिपोर्ट मंगाई है। मुंगेली में लोरमी तहसील और आसपास का हिस्सा बुरी तरह प्रभावित है। बेमेतरा में कम बारिश हुई है। यहां नवागढ़ के आसपास का इलाका सूखे से प्रभावित है। गरियाबंद, कोरबा, कबीरधाम, बलोदाबाजार आदि इलाकों में भी 20 से 25 फीसदी तक कम बारिश हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार यहां का पूरा इलाका प्रभावित नहीं है।
मैनपुर में बारिश के लिए पूजा-पाठ
मैनपुर तहसील मुख्यालय समेत क्षेत्र के किसान पिछले एक पखवाड़े से बारिश नहीं होने से परेशान हैं। कृषि विभाग के अनुसार पूरे ब्लॉक में लगभग 25 से 30 प्रतिशत रोपा बियासी अभी भी बाकी है। पिछले 15 दिनों से पानी नहीं गिरने से खेतों में रोपा बियासी रुकी है। अब यहां पूजा पाठ शुरू हो गई है।
गंगरेल में पानी, पर सूख रहे खेत
गंगरेल बांध लबालब है, लेकिन इसके टेल इंड के पास के खेतों को अब भी पानी का इंतजार है। मुंगेली और बेमेतरा के बार्डर पर स्थित बलौदा बाजार जिले के सिमगा ब्लॉक के आस पास के इलाकों में मानसून के शुरुआत में तो बारिश हुई, लेकिन बाद में बारिश ने इलाके से मुंह मोड़ लिया। मुश्किल यह है कि खेतों से महज 50 मीटर की दूरी पर गंगरेल की बड़ी नहर से जुड़ी हुई सब कैनाल भी बनी है, इसके बावजूद इस इलाके में सैकड़ों एकड़ में लगी दलहन की फसल बर्बादी के कगार पर है।
फसल पैटर्न में बदलाव के बावजूद नुकसान
पिछले साल प्रदेश में सूखे की मार से सबक लेकर किसानों ने खेती के पैटर्न में बदलाव करते हुए धान के स्थान पर दलहन की फसल लेने का निर्णय किया, लेकिन बारिश न होने के कारण अब 250 एकड़ में लगी मूंग और सोयाबीन की फसल फल लगने के साथ ही मुरझाने लगा है। किसानों का कहना है कि यदि तीन चार दिनों में बारिश नहीं हुई तो फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।
केस स्टडी:कर्ज लेकर 77 एकड़ में खेती की, अब मुसीबतों का पहाड़
सिमगा ब्लॉक के मोहभट्ठा गांव में तेजपाल ने कर्ज लेकर किराए के 77 एकड़ में खेती की है। इसमें से 55 एकड़ में सोयाबीन, 10 एकड़ में मूंग और 12 एकड़ में मक्का तो बो दिया, लेकिन बारिश ने धोखा दे दिया। यहां के किसान तेजपाल का कहना है कि यदि तीन चार दिनों में बारिश नहीं हुई तो फसल और मेरा बर्बाद होना तय है।
सोयाबीन की सूखने लगी फसल
मोहभट्ठा गांव के किसान दिनेश राय ने 24 एकड़ में सोयाबीन, 7-7 एकड़ में मक्का व अरहर बोया है। कम बारिश के कारण अभी तक बोर रिचार्ज नहीं हो पाया है। छोटी नहर खेत से महज 50 मीटर दूर पर है, लेकिन इसमें पानी नहीं के बराबर है। जल्द बारिश नहीं हुई तो मूंग और सोयाबीन की फसल मर जाएगी।