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छत्तीसगढ़ में जमीन तलाश रही नीतीश की पार्टी

बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के दौरे से छत्तीसगढ़ में नए राजनीतिक समीकरणों का गुणा-भाग शुरू हो गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 02:33 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 02:49 AM (IST)
छत्तीसगढ़ में जमीन तलाश रही नीतीश की पार्टी
छत्तीसगढ़ में जमीन तलाश रही नीतीश की पार्टी

रायपुर, नई दुनिया। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के दौरे से छत्तीसगढ़ में नए राजनीतिक समीकरणों का गुणा-भाग शुरू हो गया है। आधिकारिक रूप से नीतीश के इस दौरे को सामाजिक बताया जा रहा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे जेडीयू की छत्तीसगढ़ में दस्तक के रूप में देख रहे हैं। इस बीच पार्टी भी राज्य में अपना संगठन मजबूत करने में जुट गई है।

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 प्रदेशाध्यक्ष मनमोहन अग्रवाल ने कहा कि हम संगठन खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव का फैसला नीतीश कुमार करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों की राय में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन पार्टी उत्तर भारतीय बाहुल्य क्षेत्रों में संगठन मजबूत कर सकती है। इसका असर राज्य के पांच जिलों रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, अंबिकापुर और कोरबा की आधा दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है। इन औद्योगिक शहरों में बड़ी संख्या में बिहार मूल के लोग रहते हैं। जेडीयू के एक पदाधिकारी की राय में राज्य में उत्तर भारतीयों की संख्या करीब 5-7 लाख से अधिक है। रायपुर ग्रामीण, वैशालीनगर और कोरबा सहित कुछ और विधानसभा में इनकी संख्या हार-जीत तय करने लायक है। वहीं रायपुर पश्चिम, दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में इनकी संख्या निर्णायक भूमिका अदा कर सकती है। इसी वजह से माना जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी कुछ सीटों पर किस्मत आजमा सकती है।

 नीतीश तय करेंगे चुनाव लड़ने का फैसला :

प्रदेश अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि नीतीश कुमार का दौरा राजनीतिक नहीं, सामाजिक था। हम अभी केवल संगठन के विस्तार और मजबूती पर ध्यान दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष ही करेंगे। जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए शराबबंदी हमारा प्रमुख मुद्दा है।

राज्य में कोई तीसरी ताकत नहीं :

राज्य की राजनीति में अभी तक भाजपा और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरी पार्टी अपना स्थान नहीं बना पाई है। १७ साल के छत्तीसगढ़ में अब तक तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इस दौरान बसपा, शिवसेना और एनसीपी ने यहां तीसरी राजनीतिक ताकत बनने की कोशिश की है, लेकिन बसपा और एनसीपी को एक सीट से ज्यादा मिली। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) सक्रिय है। 


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