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अमरकंटक के विकास के लिए मप्र और छत्तीसगढ़ ने मिलकर बनाया संघ

नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक को विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथारिटी, साडा) घोषित कर दिया गया है। बिलासपुर जिले की गौरेला तहसील की ठांड़पथरा और आमानाला ग्राम पंचायतों के चार गांवों की लगभग 4 हजार हेक्टेयर, वहीं मध्यप्रदेश ने 8 हजार हेक्टेयर को इसमें शामिल किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 03 Oct 2016 05:22 AM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2016 05:29 AM (IST)
अमरकंटक के विकास के लिए मप्र और छत्तीसगढ़ ने मिलकर बनाया संघ

रायपुर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक को विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथारिटी, साडा) घोषित कर दिया गया है। बिलासपुर जिले की गौरेला तहसील की ठांड़पथरा और आमानाला ग्राम पंचायतों के चार गांवों की लगभग 4 हजार हेक्टेयर, वहीं मध्यप्रदेश ने 8 हजार हेक्टेयर को इसमें शामिल किया है। अब दोनों राज्यों में इस जमीन पर किसी भी तरह का निजी निर्माण नहीं किया जा सकता।

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दोनों राज्यों के प्राधिकरण के अधिकारी आपसी समन्वय के लिए विशेष आमंत्रित सदस्य की जल्द नियुक्ति करेंगे। अविभाजित मध्यप्रदेश के वक्त अमरकंटक में विशेष परिक्षेत्र लागू था। 1984 में इसे खत्म कर दिया गया। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव केएम आचार्या ने आचार्या कमेटी रिपोर्ट बनाई थी। उसमें कहा गया था कि विशेष परिक्षेत्र को खत्म नहीं किया जाना चाहिए। उस रिपोर्ट का पालन नहीं हुआ। उसके बाद पीआईएल दर्ज हुई। हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संजीव तिवारी विरुद्ध दिगंबर जैन एवं अन्य ने अमरकंटक परिक्षेत्र में लगातार हो रहे प्रदूषण पर केस लगाया था। केस की सुनवाई 1 और 2 जून 2016 को हुई।

एनजीटी ने केस की सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया कि अमरकंटक में एकीकृत विकास एवं नियोजन करने की आवश्यकता है। एनजीटी ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों ही राज्यों के मुख्य सचिव को तलब किया। दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की दो दौर की बैठक 1 जुलाई और 4 जुलाई 2016 को हुई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दोनों राज्य अपने-अपने क्षेत्र के लिए अमरकंटक विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन करेंगे। 23 अगस्त 2016 को बिलासपुर के कलेक्टर ने छत्तीसगढ़ के 4 हजार हेक्टेयर परिक्षेत्र में फैले गौरला तहसील की दो ग्राम पंचायतों ठाड़पथरा और आमानाला के चार गांवों को शामिल करते हुए अमरकंटक विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के गठन की अनुशंसा की। इसके बाद छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 64 की उपधारा 1 और 2 के तहत अमरकंटक पठार क्षेत्र को विशेष विकास क्षेत्र का दर्जा दिया गया है।


छत्तीसगढ़ में अमरकंटक विशेष क्षेत्र की सीमा रेखा
उत्तर- चुकतीपानी गांव की उत्तरी सीमा
पूर्व- चुकतीपानी, ठाड़पथरा और तवाडबरा गांव की पूर्वी सीमा
दक्षिण- तवाडबरा, आमानाला की दक्षिण सीमा
पश्चिम- आमानाला, तवाडबरा, ठाड़पथरा, चुकतीपानी गांव की पश्चिम सीमा तक

ये विशेषताएं होंगी

सीवरेज नेटवर्क, वृक्षारोपण, जलाऊ लकड़ी के स्थान पर एलपीजी का उपयोग, पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध, वाटरशेड डेवलपमेंट का काम होगा।
अब किसी भी तरह का निर्माण कार्य प्राधिकरण की अनुमति के बगैर नहीं होगा। धर्मशाला, आश्रम, रिसॉर्ट, होटल सहित अन्य किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता है।

प्रदूषण बढ़ रहा था इसलिए निर्णय

अमरकंटक परिक्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा था। दोनों राज्यों में इस तरह की शिकायतें बढ़ रही थीं, लेकिन सीमा की वजह से एक दूसरे पर मामला थोपा जा रहा था। अब ऐसा नहीं हो पाएगा।


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