अगर सरकार शराब बेचेगी तो होगा भारी नुकसान
वरिष्ठ मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे ने साफ कहा कि सरकार के शराब बेचने से काफी नुकसान होगा। यह हमारे लिए उचित नहीं है।
रायपुर। सरकार के शराब बेचने की नीति का कैबिनेट की बैठक में ही भारी विरोध हो गया। वरिष्ठ मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे ने साफ कहा कि सरकार के शराब बेचने से काफी नुकसान होगा। यह हमारे लिए उचित नहीं है। महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने भी इसका विरोध किया। लिहाजा मंत्रियों के विरोध के बावजूद 102 साल पुरानी आबकारी नीति में संशोधन के विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
विधानसभा परिसर में हुई कैबिनेट में आबकारी नीति में संशोधन के विधेयक की जानकारी देते हुए वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल उम्मीद जताई कि पृथक निगम के जरिए शराब के कारोबार से राज्य में कोचियों पर अंकुश लगेगा। उन्होंने इसे आने वाले समय में राज्य में शराबबंदी की ओर बढ़ाया गया कदम भी बताया। यह सुनकर प्रेमप्रकाश पांडे ने अपना विरोध शुरू किया। उन्होंने कुछ के बयानों के हवाले से अग्रवाल से पूछा कि जब छह माह बाद बंद करने की बातें कही जा रही है तो शराबबंदी आज क्यों नहीं कर ली जाती? पांडे ने तल्ख शब्दों में यह भी कहा- मुझे पता है कि आप लोगों ने फैसला कर लिया है।
आप इसे बदलेंगे नहीं, लेकिन मेरा कर्तव्य है कि मैं इस बारे में होने वाले नुकसान से आप लोगों को आगाह करूं। मुुझे लगता है कि सरकार के शराब बेचने से भारी नुकसान होगा। आप लोग भले ही कह रहे हैं कि तमिलनाडु और केरल में ऐसा किया जा रहा है लेकिन वे लोग सालों से यह कर रहे हैं। पर हमारे यहां अभी यह फैसला लेने का समय नहीं है। यह गलत समय है। इसका पूरे समाज में तीखा विरोध हो रहा है। सरकार का शराब बेचना कतई उचित नहीं है। अलग कार्पोरेशन बनाकर मुख्य सचिव को उसका चेयरमैन बना दिया गया है। क्या अब शराब दुकानों में मुख्य सचिव की फोटो लगाई जाएगी। उन्होंने तो ब्रेवरेज कार्पोरेशन के बाद एक और निगम बनाए जाने के औचित्य पर ही सवाल उठाया। पांडे ने कहा कि 3300 करोड़ के शराब के राजस्व में ठेकेदार 1500 करोड़ कमाते थे। क्या अब राज्य सरकार की आय 6 हजार करोड़ रुपए हो जाएगी। मंत्री ने ड्यूटी बढ़ाने की बात कही। उसे दोगुना करने की बात कही तो प्रेमप्रकाश ने फिर विरोध किया-शराब पीने वाले भी तो आखिर वोटर हैं।
अमर अग्रवाल पांडे की बातों का जवाब देने का प्रयास किया तो उन्होंने यह भी कह दिया-मैं जवाब लेने के लिए यह बात नहीं कह रहा हूं। यह मेरे मन की बात है। वैसे महिला मंत्री रमशीला साहू ने भी शराब के कारोबार को सरकार के हाथ में लेने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि शराब के सरकारी कारोबार को लेकर महिलाओं में बड़ा आक्रोश घर कर गया है। शराबबंदी नहीं हुई तो चुनावों में नुकसान होगा। इस पर मंत्री अमर अग्रवाल ने साथी मंत्रियों को तथ्यों के साथ सरकार के फैसले का जस्टीफिकेशन रखा। अंतत: कैबिनेट ने इन आपत्तियों के साथ विधेयक को मंजूरी दे दी।
कांग्रेस भी विधेयक का विरोध करेगी, विधायकों ने दी सूचना
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने विधेयक का जमकर विरोध करने की रणनीति बना रही है। 28 मार्च को सदन में अभूतपूर्व हंगामा देखने को मिलेगा। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने सरकार से शराबबंदी का आग्रह करते हुए स्पीकर को विधेयक के अननुमोदन का भी प्रस्ताव दिया है। इससे पहले कांग्रेस ने आबकारी अधिनियम संशोधन अध्यादेश का भी विरोध करते हुए अननुमोदन का सूचना दी थी। अब चूंकि विधेयक पेश किया जा रहा है इसलिए विपक्ष ने पुन सूचना दी है। सिंहदेव और भूपेश बघेल ने अध्यक्ष से विधेयक का अनुमोदन न कराने का आग्रह किया है। इस सूचना के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि विधेयक सर्वसम्मति से पारित नहीं हो पाएगा।
विपक्ष इसके लिए वोटिंग की मांग करेगा। ऐसे में सत्तापक्ष के विधायकों के लिए व्हिप जारी हो सकता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के नियम 100 में साफ उल्लेखित है कि पहले अननुमोदन की सूचना पर विचार होगा और उसके बाद विधेयक के पारण पर चर्चा होगी। राज्य विधानसभा के 17 सालों के इतिहास में इस प्रक्रिया के तहत यह पहली बहस होगी ।