छत्तीसगढ़ के ज्यादातर हिस्से भारी बारिश से तरबतर, कुछ इलाको में सूखे के हालात
भारी बारिश की वजह से नदी-नाले तो उफने ही हैं, प्रदेश के अधिकांश बड़े बांध लबालब हो गए हैं। कांकेर में भारी बारिश के कारण पूरी तरह भर गए गंगरेल बांध के गेट शनिवार को खोलने पड़ गए।
रायपुर। कोंटा से अंबिकापुर तक भारी बारिश की वजह से नदी-नाले तो उफने ही हैं, प्रदेश के अधिकांश बड़े बांध लबालब हो गए हैं। कांकेर में भारी बारिश के कारण पूरी तरह भर गए गंगरेल बांध के गेट शनिवार को खोलने पड़ गए। अगले कुछ दिन में और बांधों से भी पानी छोड़ने की नौबत आ सकती है। यही नहीं, प्रशासन ने सात जिलों में महानदी के तटवर्ती गांवों को एलर्ट कर दिया है।
बांधों में पानी खतरे के निशान के करीब
इस दफा बारिश को लेकर मौसम विभाग की भविष्यवाणी सटीक रही है। अभी बारिश का पूरा एक महीना और बाकी है और प्रदेश के अधिकांश बांधों में पानी खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से धमतरी के गंगरेल बांध में पानी की आवक इतनी ज्यादा है कि इससे शनिवार को 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़ना पड़ा। यही नहीं, बारिश की वजह से धमतरी, रायपुर, महासमुंद, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़ और गरियाबंद में महानदी के तटवर्ती गांवों को बाढ़ के लिए एलर्ट कर दिए गया है। शनिवार को गंगरेल 4 गेट दोपहर तीन बजे खोले गए और 9 हजार क्यूसेक पानी महानदी में छोड़ा गया। इसके अलावा एक हजार क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए नहर में भी छोड़ा गया है।
बारिश इतनी कम है कि धान के पौधे पीले पड़े
प्रदेश के कई जिले भले ही जबर्दस्त बारिश की वजह से बाढ़ के हालात झेल रहे हैं, लेकिन मुंगेली, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों के कई ब्लाकों में इतना पानी भी नहीं है कि धान के पौधों को सूखने से बचाया जा सके। मुंगेली-बेमेतरा के सीमावर्ती ब्लाकों के ज्यादातर गांवों की हजारों एकड़ जमीन में खेत इस तरह सूख गए हैं कि बियासी नहीं हो पाई है।
80 फीसदी बियासी नहीं
मुंगेली जिले के 80 फीसदी किसानों ने बियासी नहीं की है। किसानों ने बताया कि शुरू में जो बारिश हुई, उससे बुवाई कर ली। 20 से 25 दिन बाद बियासी करना था। डेढ़ महीने बीतने के बाद भी यह नहीं हुआ। यहां तक कि सोयाबीन और उड़द भी ठीक नहीं है। मुंगेली ही नहीं, सीमावर्ती बेमेतरा जिले के गांवों का भी बुरा हाल है। धरमपुरा में 80 एकड़ में खेती करने वाले नंदन साहू ने 40 एकड़ में धान, 30 एकड़ में सोयाबीन और बाकी में हल्दी-मिर्च बोई है। सूखे से सोयाबीन खराब हुई तो दोबारा बोना पड़ा। मिर्च के पौधों की बाढ़ रुक गई है। धान की बियासी नहीं कर पाए हैं। यहीं से लगे नवागांव के गणेश साहू को अपने दो एकड़ खेत में सूखे की वजह से दोबारा धान बोना पड़ा है। इस बार दूसरे के खेत से पानी ले आए, ताकि दोबारा भी फसल बर्बाद न हो। पुरान के किसान मुकेश पांडे ने 20 एकड़ में धान लगाया, लेकिन पानी की कमी से अब तक बियासी नहीं की।
सूरजपुर, बलरामपुर में भी सूखे के हालात
दूसरी तरफ, सूरजपुर और बलरामपुर की कुछ तहसीलों में भी मुंगेली की तरह अवर्षा के कारण सूखे के हालात हैं। सबसे नाजुक स्थिति सूरजपुर जिले के रामानुजनगर, प्रेमनगर और सूरजपुर विकासखंड की है। 1 जून 2016 से अब तक रामानुजनगर में 184 मिमी, प्रेमनगर में 155 मिमी और सूरजपुर में 209 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि राज्य में अब तक औसत बारिश 652 मिलीमीटर रिकार्ड की गई है। सूरजपुर के अलावा बलरामपुर में भी कई तहसीलों में धान के पौधे सूख रहे हैं और दोबारा बुवाई करने की नौबत आ गई है।
सूरजपुर के सूखे ब्लॉक
सूरजपुर-209.9 मिमी, भैयाथान-265.0 मिमी, रामानुजनगर-184.0 मिमी, प्रेमनगर -155.0 मिमी, औसत -352.9,
मुंगेली : लोरमी -237.9 मिमी, मुंगेली -386.4 मिमी, औसत - 406.2
बलरामपुर : बलरामपुर-315.9, रामानुजगंज-427.7, औसत - 583.7।
शेष छग में औसत बारिश - 652.6 मिमी।