वाट्सएप पर आला अफसर की टिप्पणी से खलबली
राज्य सरकार के एक आला अफसर ने राज्य के उन कलेक्टरों के खिलाफ, जो पदोन्नत होकर आईएएस बने हैं, बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है। यह टिप्पणी उन्होंने वाट्सएप पर कलेक्टरों के एक ग्रुप, जिसका नाम डीएम ग्रुप है, पर की है। इस टिप्पणी के तुरंत बाद अफसर ने तो माफी
रायपुर(ब्यूरो)। राज्य सरकार के एक आला अफसर ने राज्य के उन कलेक्टरों के खिलाफ, जो पदोन्नत होकर आईएएस बने हैं, बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है। यह टिप्पणी उन्होंने वाट्सएप पर कलेक्टरों के एक ग्रुप, जिसका नाम डीएम ग्रुप है, पर की है। इस टिप्पणी के तुरंत बाद अफसर ने तो माफी मांग ली, लेकिन उनकी इस टिप्पणी से नौकरशाही में खलबली मची हुई है, बल्कि जिस तबके के खिलाफ उन्होंने टिप्पणी की है, उसमें खासी नाराजगी है।
यह पूरा मामला जनधन योजना की प्रगति को लेकर है। नईदुनिया को एक अधिकारी ने यह मैसेज भी दिखाया है। इस मैसेज में इस तथ्य का जिक्र है कि जनधन योजना के तहत खाते खुलवाने में राज्य के टापटेन कलेक्टरों में शुरू के छह वे कलेक्टर हैं, जो पद्दोन्नाति से आईएएस और फिर कलेक्टर बने हैं। बाकी के वे चार अफसर हैं, जो सीधे यूपीएससी से चयनित होकर आईएएस बने हैं।
इस अफसर के मुताबिक राज्य सरकार के इस आला अफसर ने इस डीएम ग्रुप में लिखा कि यह तो चमत्कार हो गया। घोड़ों से तो कोई भी काम ले सकता है, लेकिन ....... आगे हो गए ये बड़ी बात है! फिर इस अफसर ने बाकायदा पदोन्नात अफसरों के नाम गिनाए और लिखा कि चमत्कार ही है कि वे आगे हो गए और सीधे चयनित अफसर पीछे रह गए।
बताया गया है कि यह टिप्पणी उनसे गलती से इस ग्रुप में पोस्ट हो गई थी और जैसे ही उन्हें इस बात का अहसास हुआ, उन्होंने तुरंत अपनी माफी भी मांग ली। माफी मांगते हुए उन्होंने लिखा है कि गलती इंसान से हो जाती है.. मुझे क्षमा करिए... और यह भी पूछा कि क्या आप लोगों ने मुझे माफ कर दिया?
इस मामले की नौकरशाही मे जमकर चर्चा है। कई अफसरों ने अलग-अलग न केवल इसकी पुष्टि की, बल्कि राज्य सरकार के एक अन्य वरिष्ठ अफसर से जब इस मामले में टिप्पणी चाही गई तो उनका हल्के-फुल्के अंदाज में जवाब था,... घोड़ों के बीच शेर का कोई काम नहीं है ! लेकिन नौकरशाही का एक का एक बड़ा हिस्सा राज्य के एक वरिष्ठ नौकरशाह की आपत्तिजनक टिप्पणी से न केवल खुद को आहत महसूस कर रहा है, बल्कि एक अफसर ने तो यहां तक कहा कि नौकरशाही में पदोन्नात आईएएस को किस तरह दोयम दर्जे का माना जाता है, यह मामला उसका भी एक उदाहरण है।