परेड ग्राउंड में सीएम ने फहराया तिरंगा, आजादी के जश्न में डूबा छत्तीसगढ़
प्रदेश भर में इंडिपेंडेंस डे पूरे उल्लास के साथ मनाया गया। प्रदेश का मुख्य समारोह राजधानी के पुलिस परेड ग्राउंड में हुआ। यहां सीएम डॉ रमन सिंह ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली।
रायपुर। प्रदेश भर में इंडिपेंडेंस डे पूरे उल्लास के साथ मनाया गया। प्रदेश का मुख्य समारोह राजधानी के पुलिस परेड ग्राउंड में हुआ। यहां सीएम डॉ रमन सिंह ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली। रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
सीएम की घोषणाएं...
40 करोड़ रूपए की लागत से 832 किलोमीटर लम्बे डिजिटल हाईवे का होगा निर्माण। राज्य का पहला डिजिटल हाईवे होगा। प्रदेश के अन्नदाताओं को सूखे के कठिन दौर में साहस और धैर्य रखने के लिए दिया साधुवाद। सौर सुजला योजना: किसानों को दिए जाएंगे तीन वर्ष में 51 हजार सोलर पम्प। राजनांदगांव, रायगढ़ और जांजगीर-चांपा में 100-100 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट। रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में कामकाजी महिलाओं के लिए बनाए जाएंगे सौ-सौ सीटर छात्रावास। कौशल उन्नयन: आगामी तीन वर्षों में सवा चार लाख युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य।
पहली बार झारखंड पुलिस ने लिया परेड में हिस्सा
सीएम ने ध्वजारोहण के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस, होम गार्ड, छत्तीसगढ़ विशेष सशस्त्र बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के जवानों तथा एन.सी.सी., एनएसएस और भारत स्काऊट-गाईड के विद्यार्थियों की संयुक्त परेड की सलामी ली। पहली बार परेड में झारखण्ड पुलिस बल के जवानों ने भी हिस्सा लिया। सीएम ने खुले वाहन में सवार होकर परेड मैदान में उपस्थित जनसमुदाय का अभिवादन किया। समारोह में स्कूली बच्चों ने देशभक्तिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति दी।
'वीरों के बलिदान को समझना होगा'
सीएम ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रदेश की जनता को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आजादी का महत्व समझने के लिए, उन वीरों के बलिदान को समझना होगा, जिनकी नजरों में भारत माता की आन-बान और शान से बड़ा कुछ भी नहीं था। उन्होंने कहा- "जिनकी सांसों में ‘वंदेमातरम्’ रचा-बसा था। जो गुलामी के अभिशाप को समाप्त करने के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने को तैयार रहते थे। आज सत्तरवें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं उन सभी विभूतियों को नमन करता हूं, जिन्होंने शहादत दी या आजादी के बाद राष्ट्र निर्माण को दिशा देते रहे।
"मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व होता है कि छत्तीसगढ़ के वीरों ने सन् 1857 के काफी पहले, यहां आजादी की लड़ाई की अलख जगा दी थी।"- अलग-अलग समय में आदिवासी समाज के वीर गैंद सिंह और वीर गुण्डाधूर ने अपने जांबाज साथियों के साथ बस्तर के घने वनांचल में और वीर नारायण सिंह ने मैदानी अंचल में क्रान्ति का शंखनाद किया था और शहादत दी थी।"
"कालांतर में राज्य के हर क्षेत्र में वीर सपूतों ने बढ़-चढ़कर स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। बहुत से लोगों ने शहादत दी और फिरंगियों की प्रताड़ना सही। आज मैं उन सभी को नमन करता हूं।"