राज्य के 65 हजार से ज्यादा शिक्षक स्नातक नहीं !
राज्य की प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पढ़ाने वाले 65 हजार से अधिक शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता महज बारहवीं उत्तीर्ण है। डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम फॉर एड्यूकेशन(डाइस) की ओर से जारी आकंड़ों के मुताबिक राज्य में दो लाख इकतालीस हजार छह सौ सत्तानवे शिक्षकों में पैंसठ हजार तीन सौ उन्नासी शिक्षक सिर्फ बारहवीं कक्षा पास हैं।
रायपुर । राज्य की प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पढ़ाने वाले 65 हजार से अधिक शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता महज बारहवीं उत्तीर्ण है। डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम फॉर एड्यूकेशन(डाइस) की ओर से जारी आकंड़ों के मुताबिक राज्य में दो लाख इकतालीस हजार छह सौ सत्तानवे शिक्षकों में पैंसठ हजार तीन सौ उन्नासी शिक्षक सिर्फ बारहवीं कक्षा पास हैं। इनके पास न स्नातक और न ही स्नातकोत्तर की डिग्री है। एलीमेंट्री एड्यूकेशन इन रूरल इंडिया के नाम से नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एड्यूकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिट्रेशन दिल्ली ने रिपोर्ट तैयार की है। इससे छत्तीसगढ़ के आंकड़ों से साफ नजर आ रहा है कि राज्य में पढ़ाने वालों के शिक्षण स्तर की स्थिति क्या है। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए बारहवीं योग्यता निर्धारित है, इसलिए बारहवीं पास शिक्षकों की स्थिति इस तरह है। 27.05 फीसदी ने नहीं की बारहवीं के आगे पढ़ाई रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 72.98 फीसदी शिक्षकों ने ग्रेड्यूशन या पोस्ट ग्रेड्यूएशन की पढ़ाई की है। बाकी 27.05 ने शिक्षक बनने के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ दी है। देशभर में गैर स्नातक शिक्षकों की स्थिति 33 फीसदी है। राज्य में प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले 60.07 फीसदी शिक्षकों ने ही बारहवीं के बाद ग्रेड्यूशन या पोस्ट ग्रेड्यूएशन की पढ़ाई की है। प्राइमरी मिडिल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी बारहवीं राज्य में प्राइमरी और मिडिल संयुक्त रूप से चल रही स्कूलों में 54 फीसदी शिक्षकों ने बारहवीं के बाद पढ़ाई की है। बाकी 46 फीसदी शिक्षक महज बारहवीं कक्षा ही उत्तीर्ण हैं। गौरतलब है कि मिडिल स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की क्वालिफिकेशन ग्रेड्यूएट होना चाहिए। 12 हजार कला के शिक्षक पढ़ा रहे साइंस का पाठ लोक शिक्षण संचालनालय से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के मिडिल स्कूलों में कला में ग्रेड्यूएशन करने वाले शिक्षक साइंस का पाठ पढ़ा रहे हैं। इनके अपग्रेड करने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्(एससीईआरटी) ने एक प्रस्ताव बनाया था, लेकिन आज तक इस पर कोई काम नहीं हो सका है। लिहाजा विद्यार्थी अप्रशिक्षित शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई करने के लिए मजबूर हो गए हैं। पड़ोसी राज्यों में भी यही हालात राज्य के पड़ोसी राज्यों में भी बारहवीं पास शिक्षकों की भरमार है। इनमें बिहार 48.84 प्रतिशत, ओडिशा 43.18 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 34.10 , पश्चिम बंगाल 34.10 , झारखंड 32.98, मध्यप्रदेश 31. 76 फीसदी शिक्षक गे्रड्यूएट नहीं हैं। वर्जन प्राइमरी वाले हैं मिडिल में नहीं जो शिक्षक प्राइमरी में पढ़ा रहे हैं, उनके लिए न्यूनतम क्वालिफिकेशन तो बारहवीं उत्तीर्ण होना ही है, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मिडिल स्कूलों में ग्रेड्यूएट शिक्षकों की नियुक्ति होती है।