इंदिरा आवास में 97 लाख का घोटाला
इंदिरा आवास निर्माण के नाम पर 97 लाख 80 हजार रुपए की गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आया है। वर्ष 2013-14 में 163 अपात्र हितग्राहियों को 60-60 हजार रुपए इस योजना के नाम पर बांट दिया गया। भौतिक सत्यापन के दौरान इसका खुलासा हुआ है। मजे की
कोरबा। इंदिरा आवास निर्माण के नाम पर 97 लाख 80 हजार रुपए की गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आया है। वर्ष 2013-14 में 163 अपात्र हितग्राहियों को 60-60 हजार रुपए इस योजना के नाम पर बांट दिया गया। भौतिक सत्यापन के दौरान इसका खुलासा हुआ है। मजे की बात तो यह है कि राशि लेने वाले हितग्राहियों ने मकान बनाना तो दूर नींव तक नहीं खोदा है।
सरपंच व सचिव हितग्राहियों को कुछ पैसे देकर राशि डकार लिए। अब हितग्राहियों से रिकवरी की तैयारी प्रशासन कर रही है। इंदिरा आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2013-14 में पाली व पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड में 1086 हितग्राहियों को योजना में शामिल किया गया था। योजना के तहत दो किश्तों में सभी हितग्राहियों को 60 हजार राशि भी जारी कर दी गई।
अंतिम किश्त 10 हजार जारी करने से पहले जिला पंचायत द्वारा कुछ दिनों पूर्व भौतिक सत्यान के लिए आवासों की सूची के साथ निर्मित हो चुके आवासों के फोटोग्राफ्स भी मांगी गई थी। जिसमें सैकड़ों की तादात में आवासों के फोटो नहीं पहुंचे। जब जमीनी स्तर पर आवास निर्माण का जायजा लिया गया तो पता चला कि हितग्राहियों ने आवास का निर्माण कराया ही नहीं है। जारी सूची के अनुसार शासन के वित्तीय दुरूपयोग के तहत इन पर एसडीएम कोर्ट से कार्रवाई करते हुए राशि वसूल की जानी है।
बताया जा रहा है कि करीब 163 हितग्राही सीधे तौर पर अपात्र पाए गए हैं, जिन्हें 90 लाख 80 हजार रुपए भुगतान किए जाने की बात कहीं जा रही। जिला पंचायत ने अब हितग्राहियों से इसकी वसूली के लिए सूची तैयार कर ली है। अनुविभागीय अधिकारी को इसे प्रेषित किया जाएगा। बताया जा रहा है कि कई हितग्राहियों को आधी राशि देकर सरपंच व सचिव शेष राशि हड़प कर गए। हितग्राही के रूप में चयन किए जाने से पहले ही उन्हें बता दिया गया था कि खाते में राशि आने के बाद आधी राशि निकालकर देना होगा।
कई तो ऐसे हितग्राही जिन्हें एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली और उनके नाम से राशि निकाल ली गई। वास्तविकता तो यह है कि जिन्हे भवन की आवश्यकता है, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा। ऐसे हितग्राहियों को ढूंढा जाता है जिसके माध्यम से कमीशन की राशि निकाल सके। शुरूआती वर्षों से योजना के हितग्राहियों पर गौर किया जाय तो ऐसे हजारों हितग्राही हैं जिनके नाम पर राशि तो जारी की गई किंतु उनका आवास आज भी नहीं बन पाया है।
इंदिरा आवास योजना की शुरूआती दौर से ही जमकर धांधली की जा रही है। वर्ष 2008 से शुरू हुए इस योजना में अब तक लाखों आवास के लिए स्वीकृति दी जा चुकी हैं, किंतु आज भी लोग या कि बेघर हैं या फिर आधा अधूरा मकान ही बन पाया। हितग्राहियों को झुग्गी झोपड़ियों में जीवन बसर करते देखा जा सकता है। बाक्स ऐसे की गई गड़बड़ी कायदे से ग्रामसभा की बैठक में हितग्राहियों का चयन किया जाना चाहिए। इसके बिना ही सरपंच व सचिव हितग्राही का चयन कर सूची जनपद कार्यालय भेज दिए।
आलम यह है कि जिला पंचायत के सामान्य सभा में सूची को अनुमोदन के लिए रखे बिना ही जनपद से ही राशि की स्वीकृति प्रदान कर दी। आवास निर्माण में मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जनपद कार्यालय की होती है किंतु इस दौरान भी लीपापोती करते हुए बगैर भौतिक सत्यापन कराए ही राशि जारी कर दी गई। यहां कार्यरत कर्मचारियों का भी कमीशन जुड़ा रहता है। इस मामले की यदि जांच की जाए तो सम्मिलित अधिकारी, कर्मचारियों के अलावा सरपंच व सचिव भी लपेटे में आएंगे।
बाक्स पक्के आवास वालों का भी नाम हितग्राही चयन में बरती जा रही अनियमितता के कारण ऐसे हितग्राहियों को शामिल किया गया है जिनके पास पहले से ही पक्के आवास है। वस्तुतः हितग्राहियों के नाम शामिल करने के लिए ग्राम सभा से अनुमोदन लिया जाना अविवार्य होता है। इसके बाद इसकी सूची को जनपद भेजा जाता है इसके बाद अंतिम स्वीकृति जिला पंचायत सामान्य सभा में होती है। पंचायत व जनपद से ही मिली भगत कर ऐसे हितग्राहियों को शामिल किया जाता है जिससे राशि को साझा कर लिया जाता है। बाक्स सरपंच सचिव लेते हैं निर्माण का ठेका जिन हितग्राहियों का आवास अभी तक नहीं बन सका है उसमें ऐसे भी हितग्राही शामिल है जिनके आवास के निर्माण की जिम्मेदारी सचिव व सरपंचों ने ली थी। हितग्राही का खाता स्वयं रखने के बाद उनके हस्ताक्षर से राशि निकलवा चुके है।
अब हितग्राही सरपंच सचिवों का चक्कर काट रहे हैं। हितग्राहियों के चिन्हांकित किए जाने के बाद गबन करने में लिप्त रहे सचिव व सरपंचों को भी कानूनी कार्रवाई के तहत पूछताछ की जाएगी। साक्ष्य के आधार पर जन प्रतिनिधियों से राशि की वसूली की जाएगी।
सुलगते सवाल
-ग्रामसभा की बैठक में हितग्राहियों की सूची तैयार की गई है या नहीं इसकी तस्दीक जनपद कार्यालय में क्यों नहीं की गई?
-जनपद कार्यालय से जिला पंचायत के सामान्य सभा में सूची को अनुमोदन के लिए क्यों नहीं भेजा गया?
-आवास निर्माण की मॉनिटरिंग क्यों नहीं की गई?
-भौतिक सत्यापन के बिना ही हितग्राहियों के खाते में राशि क्यों डाल दी गई?
-जवाबदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? केवल हितग्राहियों से रिकवरी पर्याप्त कार्रवाई है क्या?
वर्ष 2013-14 में कहां कितनी स्वीकृति
विकासखंड स्वीकृत आवास कोरबा 198 कटघोरा 232 पाली 202 करलता 206 पोड़ी-उपरोड़ा 248 वर्सन भौतिक सत्यापन कराए जाने के बाद ऐसे कई हितग्राही मिले हैं जिनके लिए राशि तो जारी की गई है किंतु आवास निर्माण की शुरूआत नहीं हो सकी है। ऐसे हितग्राहियों से वसूली की कार्रवाई एसडीएम कार्यालय से किए जाने के लिए सूची भेजी गई है। अभी पोड़ी व पाली की ही सूची भेजी गई है अन्य विकासखंड के हितग्राहियों के बारे में जानकारी ली जा रही है।
- विलास संदीपन भोस्कर, सीईओ, जिला पंचायत