पहली बार नक्सलियों का विंग कमांडर ढेर
बीजापुर के मिरतूर थाना क्षेत्र के जंगलों में छत्तीसगढ़ पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में नक्सलियों की मिलिट्री कंपनी के एक कमांडर को मारने में सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने दावा किया है कि पहली बार किसी कमांडर को सीधी मुठभेड़ में मारने में सफलता मिली है।
रायपुर [ब्यूरो]। बीजापुर के मिरतूर थाना क्षेत्र के जंगलों में छत्तीसगढ़ पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में नक्सलियों की मिलिट्री कंपनी के एक कमांडर को मारने में सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने दावा किया है कि पहली बार नक्सलियों की मिलिट्री कंपनी के किसी कमांडर को सीधी मुठभेड़ में मारने में सफलता मिली है। एडीजी नक्सल ऑपरेशन आरके विज ने बताया कि यह जंगल नक्सलियों के प्रभाव वाला है और यहां नक्सली काफी मजबूत स्थिति में है। इसके बावजूद एसटीएफ और डीआरजी के जवान लगभग 13 किलोमीटर अंदर तक ऑपरेशन करते हुए पहुंच गए थे।
नक्सल ऑपरेशन से जुड़े आला अधिकारियों ने बताया कि यह ऑपरेशन पिछले एक सप्ताह से चल रहा था। जवान लगातार कांबिंग गश्त करते हुए जंगलों की ओर बढ़ रहे थे। अचानक सुबह चार बजे जब जवान आगे बढऩे की तैयारी कर रहे थे, उसी समय नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई। बताया जा रहा है कि दो नक्सलियों के शव लाने में तो पुलिस को सफलता मिल गई, लेकिन कुछ और नक्सली भी मारे गए हैं।
बीएसएफ कैंप पर भी किया हमला
कांकेर के चोटबेटिया स्थिति बीएसएफ कैंप के सुरक्षा गश्ती दल पर लगभग रात के 11 बजे हमला कर दिया, माओवादी छोटबेटिया-संगम रोड पर 400 मीटर की दूरी पर स्थित एक घर में छिपे हुए थे। इसमें एक हेड कांस्टेबल घायल हो गया था, जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। तलाशी के दौरान सुरक्षाबलों ने एक अज्ञात माओवादी का शव बरामद हुआ था। वहीं दंतेवाड़ा के किरंदुल के खुटिआपारा में किरनदुल-पलनार रोड पर नक्सलियों ने पुलिस की एंटी-लैंड माइन वाहन को निशाना बनाया, जिसमें 5 सीएएफ जवान मारे गए और 7 घायल हो गए।
नक्सली कैंप पर बोला था धावा, 9 यूबीजीएल के सेल लाने में मिली सफलता
रायपुर [ब्यूरो]। बीजापुर में नक्सली मुठभेड़ में एसटीएफ और डीआरजी के जवानों ने नक्सली कैंप पर धावा बोला था। इस कैंप से अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर [यूबीजीएल] के 9 सेल भी पुलिस अपने साथ लाने में सफल रही है। एसटीएफ और डीआरजी के जवानों ने बहादुरी से नक्सलियों को मुकाबला किया।
बताया जा रहा है कि प्रदेश में पहली बार पुलिस बल के जवान नक्सलियों से यूबीजीएल का सेल लाने में सफल हुए हैं। यूबीजीएल का सेल सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। नक्सली इससे पहले हुई मुठभेड़ में पुलिस के जवानों से यूबीजीएल लूटकर ले गए थे।
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों ने बताया कि नक्सल प्रभावित जिलों में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड [डीआरजी] का गठन किया गया है। इसमें स्थानीय लड़ाकों को शामिल किया गया है।
बताया जा रहा है कि डीआरजी के जवानों का प्रशिक्षण भी एसटीएफ की तर्ज पर किया जाता है। यही कारण है कि नक्सली एसटीएफ और डीआरजी के जवानों से खौफ खाते हैं। नक्सलियों के हाथ यूबीजीएल लगने से पुलिस के जवान काफी चिंता में थे। बताया जा रहा है कि एसटीएफ के जवानों को कैंप से नक्सलियों के और भी सामान लाने में सफलता मिली है। इसमें वायरलेस सेट, कुछ बंदूक और अन्य सामान है।
यूबीजीएल लूटने से चिंता में थी पुलिस
यूबीजीएल के कारण नक्सली भय खाते थे, लेकिन उनके हाथ यूबीजीएल लगने के बाद पुलिस की चिंता बढ़ गई थी। अत्याधुनिक और 350 मीटर दूरी तक मारक क्षमता वाले इस हथियार की मदद से कई बार फोर्स ने नक्सलियों को पीछे धकेला है।
हथियार विशेषज्ञों के अनुसार यूबीजीएल से नक्सली आसानी से कैम्प व थाने को निशाना बना सकते हैं। इसे आसानी से एके-47 राइफल में लोड कर दागा जा सकता है और नक्सलियों के पास काफी संख्या में एके 47 मौजूद हैं। इसमें ग्रेनेड लांचर अलग से लगा होता है। इससे लंबी दूरी की मार के साथ हेलिकॉप्टर को भी निशाना बनाया जा सकता है।
सुकमा में नक्सली हमले में शहीद हुए एसटीएफ के सात जवानों में से तीन के हथियार लूटने में नक्सलियों को सफलता मिली थी। इसमें एक यूबीजीएल था। इससे पहले एक दिसंबर को सीआरपीएफ के जवानों से चार यूबीजीएल लूटने में भी नक्सलियों को सफलता मिली थी।