सीआरपीएफ में इंसास राइफल की जगह अब एके-47
सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के अनुसार, फोर्स में इंसास राइफल को पूरी तरह से हटाने की तैयारी हो गई है। अब इसके स्थान पर जवानों को एके-47 दिया जाएगा। सीआरपीएफ ने एक साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय को इंसास के स्थान पर एके-47 देने की मांग की थी।
रायपुर, ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में अर्धसैनिक बलों की ओर से चलाए जा रहे अभियान में बड़ा बदलाव करने की तैयारी है। सुकमा, बीजापुर, और दंतेवाड़ा में नक्सलियों के खिलाफ सघन अभियान चलाने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के बीच मंथन के बाद अब प्रदेश में लागू किया जाएगा। इसको देखते हुए सीआरपीएफ के डीजी प्रकाश मिश्रा मंगलवार को छत्तीसगढ़ के दौरे पर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि वह बस्तर सहित नक्सल प्रभावित जिलों के अधिकारियों को नई रणनीति के तहत अभियान चलाने की जानकारी देंगे। बैठक में सीआरपीएफ के आईजी वी सदानंद, सभी डीआजी और कमांडेंट को बुलाया गया है।
सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के अनुसार, फोर्स में इंसास राइफल को पूरी तरह से हटाने की तैयारी हो गई है। अब इसके स्थान पर जवानों को एके-47 दिया जाएगा। सीआरपीएफ ने एक साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय को इंसास के स्थान पर एके-47 देने की मांग की थी। सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि इंसास के स्थान पर अब जवानों को एके-47 दिया जाएगा। सुकमा में नक्सली हमले में एसटीएफ के जवानों की मौत के बाद सीआरपीएफ के जवान अब नक्सलियों के प्रभाव वाले क्षेत्र में घुसने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि इंसास का निर्माण डीआरडीओ ने किया था।
आला अधिकारियों ने बताया कि नक्सल विरोधी आपरेशन की जरूरतों को देखते हुए इंसास के स्थान पर एके-47 को शामिल किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इंसास में चूक की संभावना 3 फीसदी है, जबकि एके-47 से चूक की मात्र .02 प्रतिशत संभावना होती है। इसको देखते हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इसे इस्तेमाल करने की मांग की जा रही थी।
कोबरा बटालियन भी होगा लैस
सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में तैनात कोबरा बटालियन में भी सभी जवानों को एके-47 दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में सीआरपीएफ की 23 बटालियन तैनात है। कांकेर में बीएसएफ और राजनांदगांव में आईटीबीपी के जवान तैनात है।
बताया जा रहा है कि गढ़चिरौली से सीआरपीएफ की दो बटालियन और छत्तीसगढ़ में पहुंचने वाली हैं। दोनों बटालियन को सुकमा, नारायणपुर और दंतेवाड़ा में तैनात किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मानव रहित विमान [यूएवी] से सर्चिंग तेज की जाएगी। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एरिया डॉमिनेशन के बाद तत्काल नए कैंप खोलने की तैयारी की गई है। हर दस किलोमीटर पर एक कैंप खोलने की तैयारी है।
नक्सलियों के क्रासिंग प्वाइंट के लिए विशेष रणनीति
सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के अनुसार, छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे ओडिशा, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र बार्डर पर नक्सलियों के क्रासिंग प्वाइंट के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। पहले चरण में कई स्थानों पर कैंप खोले गए हैं। अब उन स्थानों के आसपास के क्षेत्रों में जवानों की संख्या को बढ़ाने और सूचना तंत्र को मजबूत करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि डोमीकला, धर्मापेंटा, पुष्पाल और तुंगनार में नए कैंप खोले गए हैं। डोमीकला राजनांदगांव में सीतागांव और औंधी के बीच है। धार्मापेंट क्रिस्टाराम और आंध्रप्रदेश बार्डर को जोडऩे का काम कर रहा है। इस कैंप के खुलने के साथ ही नक्सलियों ने चारों तरफ आईईडी लगा दिया था। पुष्पाल सुकमा को ओडिशा बार्डर से जोडऩे का काम कर रहा है। यह कैंप तोंगपाल थाने से दस किलोमीटर दूर है। तुंगनार गीदम को बीजापुर रोड से जोड़ रहा है। इन चारों कैंप के खुलने से नक्सलियों के क्रॉसिंग पॉइंट खत्म हुए हैं।