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मीना खलखो नहीं थी नक्सली: पुलिस

बलरामपुर जिले में चार साल पहले आदिवासी लड़की मीना खलखो की मौत के मामले में पुलिस जिसे लगातार नक्सली होना बताती थी, उसी पुलिस ने न्यायिक जांच आयोग के सामने यह स्वीकार किया कि मीना खलखो नक्सली नहीं थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2015 03:06 AM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2015 03:09 AM (IST)
मीना खलखो नहीं थी नक्सली: पुलिस

रायपुर [ब्यूरो]। बलरामपुर जिले में चार साल पहले आदिवासी लड़की मीना खलखो की मौत के मामले में पुलिस जिसे लगातार नक्सली होना बताती थी, उसी पुलिस ने न्यायिक जांच आयोग के सामने यह स्वीकार किया कि मीना खलखो नक्सली नहीं थी। चांदो थाना के तत्कालीन प्रभारी उपनिरीक्षक निकोदीन खेस्स तीन वर्षों तक और प्रधान आरक्षक महेश कुमार पांच वर्षों तक थाना चांदो में पदस्थ रहे हैं और ग्राम करचा, जहां की मीना खलखो निवासी थी, थाना चांदो के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है। आयोग ने कहा है कि उक्त अवधि तक मीना खलखो की नक्सली गतिविधियों की जानकारी का पुलिस को न होना भी इस ओर इंगित करता है कि मीना खलखो किसी प्रकार की नक्सली गतिविधि में संलग्न नहीं थी। आयोग के समक्ष पुलिस विभाग या अन्य माध्यम द्वारा ऐसा कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह स्थापित हो सके कि मीना खलखो स्वयं नक्सली थी या नक्सलियों का सहयोग करती थी।

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मीना खलखो की मौत के मामले की जांच के लिए न्यायाधीश अनिता झा की अध्यक्षता में गठित न्यायिक जांच आयोग की 45 पेज की जांच रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।

पुलिस द्वारा पहले यह पक्ष रखा गया था कि मुठभेड़ में मीना खलखो घायल हुई और अस्पताल पहुंचने पर उसे मृत घोषित किया गया। पुलिस पहले यह कहती थी कि मीना खलखो नक्सली गतिविधियों में संलग्न थी, लेकिन न्यायिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक लिखित तर्क में यह कहा गया है कि नक्सलियों की फाइरिंग के जवाब में पुलिस द्वारा आत्मरक्षा के लिए फाइरिंग आवश्यक थी और इस दौरान अकस्मात मीना खलखो मुठभेड़ के दौरान बीच में आकर आहत हुई और उसकी मृृत्यु हुई है। उक्त परिस्थिति दुर्भाग्यजनक है, किंतु मीना खलखो की हत्या किए जाने संबंधी कोई तथ्य जांच के दौरान प्राप्त नहीं हुआ है। शासकीय अधिवक्ता द्वारा घटना को असामान्य परिस्थितियों में घटित घटना बताते हुए पुलिस बल या प्रशासन को इस त्रुटि के लिए जिम्मेदार नहीं माने जाने का अनुरोध किया गया है।

शासकीय अभिभाषक द्वारा प्रस्तुत लिखित तर्क में भी यह स्पष्टत: माना गया है कि मीना खलखो नक्सली नहीं थी और न ही नक्सली गतिविधियों से संबंधित थी। पुलिस एवं नक्सलियों की मुठभेड़ के दौरान आकस्मात मीना खलखो के आ जाने पर गोली लगाने से उसकी मृत्यु हुई।

साक्षी निकोदीन खेस्स, जो घटना दिनांक को उपनिरीक्षक थाना चांदो के पद पर कार्यरत था, उसकी यह स्वीकारोक्ति कि उसके तीन वषर्ष के कार्यकाल के दौरान मीना खलखो का नाम नक्सली गतिविधियों में आलिप्त होने के संबंध में प्रकट नहीं हुआ था, यह महत्वपूर्ण है।

साक्षी निकोदीन खेस्स का यह बयान कि वह यह नहीं बता सकता कि मीना खलखो नक्सली थी या नहीं। नक्सली गतिविधियों में आलिप्त होने वाले व्यक्तियों या नक्सलियों की सूची पुलिस अधीक्षक कार्यालय में संधारित होती है। चांदो थाने में पांच वर्षों से पदस्थ रहे प्रधान आरक्षक महेश कुमार ने आयोग के समक्ष यह बयान दिया है कि पांच साल की उसकी पदस्थापना के दौरान मीना खलखो का नक्सली के रूप में भी नाम उसके सामने नहीं आया। जबकि नक्सली नेताओं के संबंध में थाने में जानकारी रहती है। आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला है कि पुलिस के उप निरीक्षक निकोदीन खेस्स व महेश कुमार दोनों को घटना दिनांक तक मीना खलखो के नक्सली होने या नक्सली गतिविधियों में संलग्न होने की कोई जानकारी नहीं थी।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक जांच के दौरान ऐसा कोई तथ्य प्रकट नहीं हुआ है कि मीना खलखो को आने वाली बंदूक की चोटें पुलिस द्वारा इस्तेमाल की गई आग्नेय शस्त्रों के अलावा अन्य किसी आग्नेय शस्त्र से कारित नहीं हुई है। प्रकरण में विद्यमान सभी तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए मीना खलखो की मृत्यु के लिए पुलिस जिम्मेदार अवश्य है, किंतु पुलिस मुठभेड़ की कहानी मान्य किए जाने योग्य नहीं है।

मुठभेड़ में नहीं हुई मीना खलखो की मौत

एकल सदस्यीय न्यायिक आयोग ने कहा है कि आयोग का क्षेत्राधिकार तथ्यों की जांच तक सीमित है। आयोग द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि मीना खलखो की मृत्यु पुलिस मुठभेड़ के फलस्वरूप नहीं हुई है, लेकिन चूंकि पुलिस के आग्नेय शस्त्रों से मृत्यु हुई है। इसलिए उक्त परिस्थितियों में पुलिस द्वारा जांच की जाए कि वास्तव में कौन-कौन से पुलिसकर्मी घटना के लिए जिम्मेदार हैं।

पुलिस की फाइरिंग व मृत्यु समय में अंतर

साक्षी निकोदीन खेस्स का बयान कि चांदो से नवाडीह होकर करचा की ओर बढऩे के दौरान रात 3.15 बजे पुलिस पार्टी पर फाइरिंग प्रारंभ हुई थी और तब पुलिस ने अपने बचाव में जवाबी फाइरिंग की। यह बयान स्पष्ट करता है कि फाइरिंग रात 3.15 बजे हुई, जबकि दो डॉक्टरों के पैनल द्वारा मीना खलखो की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि शव परीक्षण [समय 6 जुलाई 2011 को दोपहर 3.45 बजे] से 10 से 14 घंटे पहले मीना खलखो की मृत्यु हो चुकी थी। यानी 5 व 6 जुलाई 2011 की मध्य रात्रि में 1.45 से 5.45 बजे के बीच मृत्यु हुई थी।


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