नक्सलियों के हर मूवमेंट पर अब यूएवी से नजर
रायपुर [ब्यूरो]। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हर मूवमेंट पर अब यूएवी [मानव रहित विमान] से नजर रखी जाएग
रायपुर [ब्यूरो]। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हर मूवमेंट पर अब यूएवी [मानव रहित विमान] से नजर रखी जाएगी। यूएवी का बेस कैंप भिलाई में 28 फरवरी से शुरू हो जाएगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के अनुसार अब अमेरिकन पैटर्न पर नक्सलियों की गतिविधियों की सूचना मिलेगी। बस्तर में घने जंगलों में जहां पुलिस बल के जवान नहीं पहुंच पा रहे हैं, उन इलाकों में नक्सलियों की पल-पल की जानकारी मिलेगी। बताया जा रहा है कि यूएवी का इस्तेमाल अमेरिका और इजराइल में विरोधी कैंप की जानकारी एकत्र करने में किया जा रहा है।
पुलिस मुख्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एक दिसंबर को सुकमा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 14 जवानों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ रणनीति में बदलाव किया है। केंद्र सरकार ने भिलाई के नंदनी हवाई अड्डे पर बेस कैंप बनाने की मंजूरी दे दी है। 28 फरवरी से यह बेस कैंप दो यूएवी के साथ प्रारंभ कर दिया जाएगा। यूएवी में पायलट के नहीं रहने के कारण इसे घने जंगलों में आसानी से उड़ाया जाएगा। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में तैनात होने वाला मानव रहित विमान बुलेट प्रूफ रहेगा। अगर नक्सली जंगलों से इस पर हमला भी करते हैं, तो इसका कोई खास असर नहीं प़़डेगा। बस्तर के जंगलों में यूएवी का मूवमेंट पहले भी था, लेकिन बेस कैंप हैदराबाद होने के कारण सूचनाएं मिलने में देरी होती थी। कई बार यूएवी को संचालित करने वाली टीम सही समय पर जानकारी नहीं दे पाती थी, जिससे पुलिस ऑपरेशन के पहले ही नक्सली भाग जाते थे।
12 यूएवी से रखी जाएगी नजर
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के अनुसार मार्च तक 12 यूएवी इजरायल से खरीदने की योजना है। इसके जरिए महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और ओडिशा के नक्सल क्षेत्र को भी कवर किया जाएगा। राज्य के 3 जिलों सुकमा, बीजापुर और दंतेवा़़डा में सबसे ज्यादा नक्सली घटनाएं होती हैं। इन जिलों की सीमाएं ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र से लगी होने के कारण माओवादियों को छिपने का मौका मिलता रहता है। मानव रहित विमान रात में आसानी से उड़ान भर सकता है।
नक्सली हलचल पर यूएवी से होगी जांच
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के अनुसार खुफिया विभाग के पास नक्सली हलचल की सूचना लगातार आती रहती है। अब इस जानकारी को और अधिक पुख्ता करने के लिए यूएवी से जानकारी एकत्र की जाएगी। डीआरडीओ ने भी निशांत नाम से एक यूएवी विकसित किया है। बताया जा रहा है कि 1959 में अमेरिका ने पहली बार यूएवी का इस्तेमाल किया था। भारत में आधुनिक तकनीक के यूएवी अमेरिका और इजराइल से खरीदे जाते हैं।
तीन साल पहले हुआ था ट्रायल
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के अनुसार नक्सली गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तीन साल पहले यूएवी का पहली बार इस्तेमाल किया गया था। अबूझमाड़ और पश्चिम बस्तर इलाके में स्थित नक्सल ठिकानों की इससे तस्वीरें मिल रही हैं। झीरम कांड के दौरान यूएवी के समय रहते नहीं पहुंच पाने से नक्सली गतिविधयों की जानकारी नहीं मिल पाई थी। इसके बाद ही छत्ताीसगढ़ शासन ने यूएवी का बेस सेंटर हैदराबाद से भिलाई करने का प्रस्ताव केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था।