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कश्मीर मैदान बन गया है भारत-पाक के गुस्से का: बशीर

रायपुर [निप्र]। भवानी बशीर यासिर श्रीनगर [जम्मू-कश्मीर की राजधानी] में इनसेंबल कश्मीर थिएटर एकेडमी [

By Edited By: Published: Mon, 15 Dec 2014 06:09 AM (IST)Updated: Mon, 15 Dec 2014 03:13 AM (IST)
कश्मीर मैदान बन गया है भारत-पाक के गुस्से का: बशीर

रायपुर [निप्र]। भवानी बशीर यासिर श्रीनगर [जम्मू-कश्मीर की राजधानी] में इनसेंबल कश्मीर थिएटर एकेडमी [एकता] के निर्देशक हैं और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पोस्टग्रेजुएट। साहित्य महोत्सव पहुंचे यासिर ने खुलकर अपनी बातें रखीं।

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उन्होंने कहा कि कश्मीर आज दो हाथियों के बीच कुचला जा रहा है। कश्मीर आज भारत-पाक के गुस्से का मैदान बना हुआ है, वहां लोग बंदूकों के साए में सांस लेने को मजबूर हैं और किसी को नहीं पता कि किस एके-47 की गोली पर किसका नाम लिखा है। 'नईदुनिया' से बातचीत में कश्मीरियों के दर्द की दास्तां यासिर ने बयां की..

सवाल-आपने अभी-अभी मंच से कहा कि कश्मीर दो हाथियों के बीच कुचला जा रहा है, इसका क्या मतलब है?

बशीर-मैंने कश्मीरियों का दर्द आपके सामने रखा है। आज कश्मीर भारत-पाक के गुस्से का मैदान बन गया है। अगर आप घर से निकल रहे हैं तो आपके पास पहचान पत्र होना जरूरी है, क्योंकि कहीं भी आपको रोककर यह पूछ लिया जाएगा कि पहचान पत्र दिखाओ। नहीं दिखाए तो लात-जूते खाओ और विरोध किया तो गोली। ऐसे ही हजारों लोग मारे जा रहे हैं। जब जांच होती है तो कह दिया जाता है कि उसने राइफल छीनने की कोशिश की तो बचाव में गोली चलानी प़़डी।

सवाल-कश्मीर की जनता क्या चाहती है? क्या वह भारत में मिलना चाहती है या फिर पाकिस्तान में?

बशीर-निष्पक्ष होकर कहूं तो 5 फीसदी जनता चाहती है कश्मीर में मिलना, लेकिन वहां हालात अलग हैं। कश्मीर के 4 टुकडे़ हो गए हैं। चीन आकोपाइड कश्मीर, नॉर्दन एरिया ऑफ पाकिस्तान, पाक आकोपाइड कश्मीर और इंडियन आकोपाइड पाक। वहां की 78 फीसदी अवाम का मत है कि वह आजाद कश्मीर चाहती है। इंडेपेंडेंट कश्मीर।

सवाल-हालात बदले हैं, सुना है 78 फीसदी वोटिंग हुई है? तो क्या यह माना जाए कि सत्ता बदलने से हालात बदलेंगे? अगर भाजपा के गठबंधन वाली सरकार बनती है तो?

बशीर-जब कांग्रेस की सरकार थी तो कश्मीरी हिंदू बैंक में, सेना में सरकारी दफ्तरों में, सरकारी नौकरियों में रखे जाते थे, लेकिन कश्मीरी मुस्लमान नहीं। क्योंकि कभी कांग्रेस की सरकार को कश्मीरी मुस्लमानों पर भरोसा ही नहीं रहा। कश्मीर की ल़़डाई भारत के नागरिकों से नहीं हैं, बल्कि सत्ता से हैं।

सवाल-ये तो हुई कश्मीर की बात, अवाम का दर्द.. कश्मीर में आप थिएटर अकादमी भी चलाते हैं?

बशीर-कश्मीर का साहित्य 5 हजार साल पुराना है, हम कोशिश कर रहे हैं कि उसे कोने-कोने तक पहुंचाएं। अच्छे कलाकार हैं, युवा अच्छी मेहनत भी कर रहे हैं, लेकिन तकलीफ है कि कश्मीरी, कश्मीरी में नहीं, अंग्रेजी में बात करते हैं।


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