मवेशी चराते-चराते बन गया हार्डकोर नक्सली
रायपुर, राजनांदगांव [ब्यूरो]। पांचवीं की परीक्षा में फेल हुआ तो घर वालों ने जगत धुरवा को जंगल में मव
रायपुर, राजनांदगांव [ब्यूरो]। पांचवीं की परीक्षा में फेल हुआ तो घर वालों ने जगत धुरवा को जंगल में मवेशी चराने के काम में लगा दिया। जंगल में उसकी मुलाकात नक्सलियों से हुई और देखते ही देखते वह दुर्दात नक्सली बन गया। सालों तक पुलिस के लिए चुनौती रहे धुरवा का नक्सलवाद से तब मोहभंग हुआ जब उसने संगठन में भेदभाव देखा और अपमानित महसूस करने लगा। आखिरकार शनिवार को उसने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए।
पुलिस कंट्रोल रूम में हुई एक प्रेसवार्ता में एसपी डॉ. संजीव शुक्ला ने राजनांदगांव कांकेर बॉर्डर डिवीजन कमेटी के मदनवाड़ा-कोडेखुर्से सयुंक्त एलओएस के सदस्य 21 वर्षीय जगत राम धुरवा उर्फ रमेश पिता हिरगु राम, ग्राम ओटेकसा, थाना कोड़ेखुर्से जिला कांकेर द्वारा आत्मसमर्पण करने की जानकारी दी। आत्म समर्पित नक्सली जगत उर्फ रमेश धुरवा वर्ष 2004 में पांचवी फेल होने से पढ़ाई छोड़ कर घर के मवेशी चराने का काम करता था। इस दौरान गांव ओटेकसा में कोडे़खुर्से दलम कमांडर रैनु [आन्ध्रप्रदेश], जीवन, फूलो, जंगू, डीवीसी कमलाकर [आन्ध्रप्रदेश] ने उसे अपने साथ मिला लिया।
डॉ. शुक्ला ने बताया कि गांव आने पर नक्सली गांव के स्कूल में महिला पुरुष एवं बच्चों को मीटिंग में बुलाते थे। सीएनएम पार्टी के फूलो एवं ललिता नाच गाना करते थे। वर्ष 2008 में सीएनएम पार्टी कमांडर अगासा उर्फ आरती के नाच गान से प्रभावित होकर रमेश धुरवा भी सीएनएम पार्टी में शामिल हो गया। वर्ष 2008 से दिसंबर 2010 तक उसने सीएनएम पार्टी में कार्य किया। 2010 दिसम्बर में डीवीसी विजय रेड्डी ने उसे प्लाटून 23 में सदस्य बनाया। कमांडर जंगू ने रमेश धुरवा को 12 बोर बंदूक व 20 कारतूस दिया। फरवरी 2010 में मदनवाड़ा एलओएस में भेजा गया। इसके बाद मदनवा़़डा व कोडेकुर्से संयुक्त एलओएस में वह काम करता रहा।
नक्सली नेताओं से था अपमानित
जगत धुरवा ने बताया कि आंध्र प्रदेश के नक्सली नेता स्थानीय नक्सलियों कोछोटी-छोटी बातों पर अपमानित तथा भेदभाव करते हैं। नक्सलियों की कथनी एवं करनी में अंतर को देख कर उसका मन नक्सली विचारधारा से भी विचलित हो गया।
1 लाख 31 हजार का ईनाम
आत्मसमर्पित नक्सली जगत उर्फ रमेश धुरवा पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 1 लाख रुपए, पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग क्षेत्र द्वारा 30 हजार व पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव द्वारा एक हजार रुपए का ईनाम घोषिषत किया गया था।