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नसबंदी पीड़ितों की संख्या सार्वजनिक करे सरकार

रायपुर [ब्यूरो]। आम आदमी पार्टी ने बिलासपुर में नसबंदी के दौरान मौत के बाद सरकार की ओर से किए जा रहे

By Edited By: Published: Fri, 21 Nov 2014 04:52 AM (IST)Updated: Fri, 21 Nov 2014 01:39 AM (IST)
नसबंदी पीड़ितों की संख्या सार्वजनिक करे सरकार

रायपुर [ब्यूरो]। आम आदमी पार्टी ने बिलासपुर में नसबंदी के दौरान मौत के बाद सरकार की ओर से किए जा रहे उपाय पर सवाल खडे़ किए हैं। आप के केंद्रीय पदाधिकारी योगेंद्र यादव ने बिलासपुर में पीड़ितों से मुलाकात के बाद सरकार पर सवाल दागे।

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उन्होंने पूछा कि जहरीली दवा कांड से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या क्या है। सिम्स बिलासपुर के अनुसार उनके पास जहरीली दवा से प्रभावित कुल 129 मरीज दाखिल हुए हैं। इसमें 99 नसबंदी ऑपरेशन के बाद और 30 अन्य बीमारियों की दवाई लेने के बाद दाखिल हुए हैं। अपोलो और अन्य अस्पतालों के आंकडे़ उपलब्ध नहीं है। प्रभावितों में कितने मरीजों की हालत नाजुक है और कितने जीवन आज खतरे हैं, इसकी जानकारी सरकार सार्वजनिक करे।

योगेंद्र यादव ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान सरकार के खिलाफ पर्चे बांटे, जिसमें सवाल किया गया कि क्या राज्य सरकार की ओर से घोषित मुआवजा केवल नसबंदी कैंप से दवा लेने वाली महिलाओं तक सीमित है या फिर यह मुआवजा उन सभी पी़ि़डतों को मिलेगा, जो जहरीली दवाओं के शिकार हुए हैं? यादव ने सवाल किया कि क्या गौरेला और पेंडारी के कैंप प्रशासन की अधिसूचित कैंपों की सूची में हैं? क्या संरक्षित अनुसूचित आदिवासी बैगा समुदाय की महिलाओं की नसबंदी की गई?

महावर का भाजपा से क्या है रिश्ता?

यादव ने सवाल खड़ा किया कि महावर फार्मा का भाजपा से क्या रिश्ता है? क्या यह सही है कि रमेश महावर भाजपा सांसद रमेश बैस के चुनाव संचालन प्रभारी थे। सरकार ने महावर फार्मा की दवाओं पर पहले बैन लगाया था, लेकिन यह बैन बिना किसी जांच के उठा लिया गया। यदि हां तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है। दुर्घटना की जांच आयोग का अध्यक्ष ऐसे जज को क्यों बनाया गया जो मीना खलखो हत्याकांड की जांच रिपोर्ट तीन साल में देने से असफल रही हैं। क्या न्यायिक जांच आयोग की घोषणा के बाद जहरीली दवा कांड के कोई भी तथ्य सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे।

उजागर करें जहरीली दवा की रिपोर्ट

यादव ने कहा कि क्या सरकार ने जहरीली दवा का रासायनिक परीक्षण करवा लिया है तो इसकी रिपोर्ट जनता के बीच सार्वजनिक करें। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर से मौत की बात सामने आई है, लेकिन इसका खुलासा नहीं किया गया है कि वह जहर कौन सा था। अगर यह जहर जिंक फास्फाइड था तो क्या उसकी मात्रा इतनी थी कि इंसान की मौत हो जाए। अस्पताल से दवाओं और अन्य सामान जलाकर सबूतों को मिटाने का प्रयास किसके इशारे पर किया गया है। यादव ने कहा कि दवाओं की खरीदी सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सितंबर में की गई, लेकिन दवाओं पर मैन्यूफैक्चरिंग अक्टूबर की है। क्या इस गड़बड़ी की भी सरकार जांच कर रही है।

जेनरिक दवा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र : योगेंद्र

रायपुर [ब्यूरो]। नसबंदी से महिलाओं की मौत के मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए आम आदमी पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारी योगेंद्र यादव ने सरकार और दवा कंपनियों पर निशाना साधा। गुवार को राजधानी में पत्रकारों से चर्चा में श्री यादव ने कहा कि नसबंदी कांड में कई स्तर पर षड्यंत्र किया जा रहा है। इसमें नेताओं और अधिकारियों का गठजो़़ड तो है ही, सबसे ब़़डा खेल जेनरिक दवाओं के आंदोलन को बदनाम करने का है। गरीब और आदमी को मिलने वाली सस्ती दवाओं को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश है। दवा के नाम पर जहर बनाने वालों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए।

यादव ने कहा कि जब डॉक्टर पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हो सकता है तो स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ मामला क्यों नहीं दर्ज हो सकता है? राजनीतिक इच्छा शक्ति कमजोर होने के कारण लोगों की मौत हो रही है। अगर ऐसा नहीं होता तो स्वास्थ्य मंत्री कब के बदल गए होते। आम आदमी पार्टी इस मामले को संसद में उठाएगी। सरकार तथ्यों को दबाने की कोशिश कर रही है। अगर मुख्यमंत्री गंभीर होते तो उनके इस बयान के बाद स्थिति में सुधार होती, न कि लोगों की मौत होती। सरकार में लोकलाज नहीं बची है।

अगर सरकार में शर्म बची होती तो स्वास्थ्य मंत्री बदल चुके होते। योगेंद्र यादव ने कहा कि गुजरात से लेकर ओडिशा तक विपक्ष नहीं है। कांग्रेस एक सशक्त विपक्ष के रूप में फेल हो गई है। श्री यादव ने कहा कि दवाओं के मामले की जांच हाईकोर्ट के वर्तमान जज और सीबीआई से करानी चाहिए। आप प्रदेशभर में अभियान चलाने की तैयारी में है।


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