नसबंदी कांड: छापे से पूर्व लगी भनक, कंपनी ने जला दी दवाएं
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नसबंदी से हुई मौतों के लिए जिम्मेदार मानी जा रही एंटीबायोटिक दवा सिप्रोसीन 500
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नसबंदी से हुई मौतों के लिए जिम्मेदार मानी जा रही एंटीबायोटिक दवा सिप्रोसीन 500 के एक बड़े स्टॉक को इसकी निर्माता कंपनी ने गुरुवार को खाद्य एव औषधि विभाग के छापे से पहले ही जलाकर नष्ट कर दिया। घटना के चार दिन बाद आखिरकार खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम ने रायपुर के खम्हारडीह इलाके में स्थित महावर फार्मा कंपनी में छापा मारा।
सूत्रों के मुताबिक, कंपनी को इस छापे की भनक पहले ही मिल गई थी, इसलिए उसने कंपनी परिसर में ही इन दवाओं को जला दिया। कंपनी रिहाइशी इलाके में चलती है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने बुधवार को ही इस कंपनी की दवा की खरीद पर रोक लगा दी थी। वहीं, खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा गुरुवार से इस कंपनी की दवाओं पर राज्य में प्रतिबंध लगा दिया है।
आरोपी डॉक्टर ने प्रशासन पर लगाए आरोप
बिलासपुर में 5 घंटे में 83 महिलाओं की सर्जरी करने और उनमें से 15 महिलाओं की मौत हो जाने के मामले में आरोपी डॉक्टर आरके गुप्ता ने घटना का ठीकरा स्थानीय प्रशासन के सिर पर फोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की ओर से घटिया स्तर की दवाएं सप्लाई की गईं। डॉक्टर ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें मामले में फंसाया जा रहा है।
आरोपी डॉक्टर को बुधवार रात गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि महिलाओं की हालत उस वक्त खराब होने लगी, जब सर्जरी के बाद उन्हें पेनकिलर और एक एंटी-बॉयोटिक दवा दी गई। डॉक्टर के मुताबिक, महिलाओं ने इन दवाओं के इस्तेमाल के बाद उल्टी की शिकायत की थी।
शनिवार को पंडेरी गांव में लगे सरकारी कैंप में नसबंदी के बाद मरने वाली महिलाओं की संख्या 15 हो गई है। करीब 7 महिलाएं वेंटिलेटर पर हैं। इसके अलावा, कई की हालत अभी भी खराब है।