छत्तीसगढ़ आना मेरे जीवन का अहम फैसला: यतींद्र सिंह
रायपुर, बिलासपुर [निप्र]। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस यतींद्र सिंह का कहना है कि छत्तीसगढ़ हाईक
रायपुर, बिलासपुर [निप्र]। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस यतींद्र सिंह का कहना है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद को स्वीकार करना और यहां आना उनके जीवन का सबसे अहम और सही फैसला साबित हुआ है।
ईश्वर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनका निर्णय पता नहीं कब और किस समय आ जाए। अचानक एक दिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पत्र आया और मुझे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनने की सहमति भेजने को कहा। मेरे परिजनों से लेकर मित्रों व शुभचिंतकों ने ऑफर को अस्वीकार करने की सलाह दी। तब उनके मन में यह बात थी कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट छोटा है। मैंने इसे ईश्वर का आर्शीवाद मानकर स्वीकार कर लिया। आज मैं गर्व से साथ कह सकता हूं कि यह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय था। यहां की धरती, यहां के लोग सब-कुछ बहुत अच्छे हैं। साथी जजों से लेकर न्यायपालिका के अफसरों ने कामकाज में मुझे पूरा सहयोग दिया। उनके सहयोग के बल पर ही मैं इस मुकाम तक पहुंच पाया।
बुधवार को चीफ जस्टिस श्री सिंह सेवानिवृत्त हुए। वे अपने सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में साथी जजों, ज्यूडिश्यरी के अफसरों व वकीलों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई संशय नहीं कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट विश्व का ऐसा पहला हाईकोर्ट है, जहां फैसलों से लेकर अन्य महत्वपूर्ण मसलों पर पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। महत्वपूर्ण फैसलों को वेबसाइट पर डाला जा रहा है। चीफ जस्टिस से लेकर साथी जजों ने अपनी संपत्ति भी सार्वजनिक कर दी है।
मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में न्यायदान में सहयोग दिया। उन्होंने कहा कि जो हम सोचते हैं, जब वह नहीं मिलता तो कभी-कभी मन में हताशा होती है। इससे न तो घबराना चाहिए और न ही हताश होने की जरूरत है।
उन्होंने आपबीती बताते हुए कहा कि चीफ जस्टिस के पद पर पदोन्नति में जब दो वर्ष का विलंब हुआ, तब मैं भी हताश हुआ था। मेरे अपने अनुभव बताते हैं कि मन में कभी हताशा नहीं लानी चाहिए।
ईश्वर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा और आशीर्वाद पता नहीं कब आ जाए। मेरे साथ ही ऐसा ही हुआ। जब मैं निराश हो गया था, ठीक उसी वक्त चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पत्र आया। पत्र में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में सहमति भेजने का उल्लेख था। यह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था। ऐसा ही क्षण आप सबके जीवन में भी आएगा। न तो किसी को हताश होने की जरूरत है और न ही निराश। बस आप अपना काम और कर्तव्य का निर्वहन करते रहें।
जब आंखें भर आई
श्री सिंह ने तकरीबन 35 मिनट अपनी बातें रखीं। इस दौरान कई मौके ऐसे आए जब वे भावुक हो गए थे। भावुक होने के साथ-साथ उनकी आंखें भर आई। उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद छत्तीसगढ़ में ही बसने की इच्छा थी। मकान खरीदने का मन भी बना लिया था। आर्थिक संकट के कारण यह संभव नहीं हो पाया।
इसी सप्ताह मैं इलाहाबाद चला जाऊंगा। कुछ महीने बिताने के बाद नोएडा चला जाऊंगा। आप लोग वहां जरूर आइए। मेरे मेहमान बनकर नहीं, बल्कि मेरे अपने बन कर आइए। मुझे भी खुशी होगी।