छत्तीसगढ़ में हाथियों का आतंक, एक साल में 23 की मौत
रायपुर [ब्यूरो]। प्रदेश में 250 से अधिक हाथी जंगलों में विचरण कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर हाथी भोजन की तलाश में गावों की तरफ रख करते हैं। इसी दौरान हाथियों और मानव के बीच द्वंद्व की स्थिति निर्मित होती है। प्रदेश में एक साल के भीतर करीब 23 लोगों की जान हाथियों ने ली है। वर्ष 2013-14 में हाथियों से जनहानि के करीब 23 प्रकरणों में मृतकों के परिजनों को 46 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। वहीं घायलों की संख्या भी 23 रही। घायलों को करीब 1 लाख 74 हजार रुपए मुआवजा दिया गया है। मकान और संपत्ति हानि के 1036 प्रकरणों में 34 लाख और फसल क्षति के 13 हजार 759 प्रकरणों में 3 करोड़ 11 लाख रुपए का मुआवजा वन विभाग ने बांटा है। हालांकि वन विभाग ने जनहानि और हाथियों को गावों में आने से रोकने के लिए सोलर पावर फेंसिंग की है, बावजूद इसके हाथियों का आतंक कम नहीं हुआ है।
हाथी भी मारे जा रहे
हाथियों और मानव के द्वंद्व में सिर्फ मानव ही नहीं मारे जा रहे हैं, बल्कि हाथियों की भी जान जा रही है। फसल नुकसान होने की स्थिति में गुस्साए ग्रामीण करंट से हाथियों को मार रहे हैं। सत्र 2014-15 में अब तक चार हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें दो नर और दो मादा थे।
झारखंड और ओडिशा से आ रहे हाथी
प्रदेश में ज्यादातर हाथी सीमा पार से आ रहे हैं। झारखंड और ओडिशा की सीमा से हाथी छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर रहे हैं। खास तौर पर ऐसे स्थानों से, जहां कोल ब्लॉक हैं। ऐसे क्षेत्रों में लगातार विस्फोट और लोगों की आवाजाही की वजह से हाथी सुरक्षित जगह की तलाश में सीमा से लगे इलाकों में प्रवेश करने लगे हैं।
हाथियों का रहवास क्षेत्र
अफसरों के मुताबिक 100 साल पहले सरगुजा क्षेत्र हाथियों का रहवास क्षेत्र था, लेकिन बाद में इस क्षेत्र में शिकार होने की वजह से हाथियों की संख्या कम होने लगी। फिलहाल छत्तीसगढ़ में जशपुर, रायगढ़, धर्मजयगढ़, कोरबा, कटघोरा, मरवाही, सूरजपुर, बलरामपुर के वनमंडल हाथियों के रहवास क्षेत्र हैं। इन इलाकों में हाथियों और मानव में द्वंद्व लगातार जारी है।
हाथियों से हानि पर मुआवजे की रकम
हिंसक वन्यजीवों से जानहानि होने पर 3 लाख, स्थाई अपंगता होने पर 1.5 लाख, साधारण घायल होने पर 40 हजार, पशु हानि होने पर 20 हजार।
हाथी और मानव द्वंद्व रोकने के लिए विभाग की तरफ से गावों के बाहर सोलर पावर फेंसिंग की जा रही है। वहीं हाथियों के खाने की व्यवस्था भी जंगल में की गई है। लेकिन झुंड से बिछुड़कर कुछ हाथी गावों में घुस जाते हैं और यही उत्पात मचाते हैं। सरकार की तरफ से मुआवजे की व्यवस्था है और इसके तहत विभाग ने करोड़ों की राशि प्रभावितों को दी है-बीपी नोन्हारे, सीसीएफ, वन्यप्राणी।