कवर्धा में हुई धर्म संसद लेगी स्थायी संस्था का रूप
रायपुर [निप्र]। कवर्धा में हुई धर्म संसद में सांई बाबा को भगवान का अवतार न मानने और उनकी पूजा-अर्चना नहीं करने के प्रस्ताव को देशभर में प्रचारित किया जाएगा। भविष्य में भी सनातन हिन्दू धर्म को षड्यंत्रकारियों से बचाने के लिए धर्म संसद को स्थायी संस्था का रूप दिया जा रहा है। स्थायी संस्था के माध्यम से पूजा पद्धति, मंदिर बनाने व मंदिरों का संचालन करने तथा संत व आचार्यो, धार्मिक विषयों में स्थायी व अनिवार्य समाधान देने की तैयारी की जा रही है।
चारों शंकराचार्य सहित संत, महंत शामिल होंगे
धर्म संसद को स्थायी संस्था का रूप देने में अनेक साधु, संत, महात्मा जुटे हुए हैं। सहयोगी के रूप में कार्य कर रहे बालाजीपुरम बैतूल के संस्थापक सुनील द्विवेदी एवं सेम वर्मा ने प्रेसवार्ता में बताया कि द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में रूपरेखा बनाई जा रही है। इसमें दण्डी स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज द्वारका व दण्डी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद, प्रकाश उपाध्याय की टीम कार्य कर रही है। स्थायी संस्था में चारों शंकराचार्य रामानुजाचार्य, निम्बार्काचार्य, वल्लभाचार्य, रामानंदाचार्य व सभी प्रमाणिक अखाड़ों के महामंडलेश्वर, काशी विद्वत परिषद, महंतगण व आचार्यगण शामिल होंगे।
हिन्दुओं को निर्णय मानना प़़डेगा
धर्म के संबंध में जो भी भ्रांति फैली हुई है, उस पर शंकराचार्य व संतों के मार्गदर्शन में लिए गए निर्णय सभी हिन्दुओं को मानना पड़ेगा।
शिर्डी के सांई बाबा के संबंध में जो निर्णय धर्म संसद ने लिया है, उसे हिन्दुओं को मानना पडे़गा। यदि संस्था द्वारा लिए गए निर्णय को नहीं माना जाता तो सनातन धर्म की रक्षा के लिए स्थापित नागा सेनाओं का इस्तेमाल करके निर्णय को लागू कराया जाएगा।