झीरम का सच जानने, कवासी का हो नारको टेस्ट: पैकरा
रायपुर [ब्यूरो]। झीरम घाटी में कांग्रेसी काफिले पर नक्सलियों के हमले की जांच कर रही एनआईए की टीम के सामने विधायक कवासी लखमा का बयान दर्ज नहीं होने के बाद सियासत तेज हो गई है। भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से वापस लौटने के बाद गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि झीरम घाटी का सच जानने के लिए कवासी लखमा का नारको टेस्ट कराना चाहिए।
पत्रकारों से चर्चा के दौरान पैकरा ने कहा कि झीरम घाटी हमले के समय कवासी लखमा काफिले के साथ मौजूद थे। उस समय ऐसी भी जानकारी आई थी कि नक्सलियों ने लखमा के हाथ बांधकर बंदी भी बनाया था और वे किसी तरह भागने में सफल हो पाए।
गृहमंत्री पैकरा ने कहा कि एनआईए की जांच में गवाह पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रहे हैं। अगर सभी गवाह सहयोग करें, तो झीरम हमले का सच जल्द सामने आ जाएगा। झीरम घाटी में नक्सली हमले की जांच कर रही एनआईए की टीम ने जगदलपुर में कैंप बनाया है।
एनआईए के अधिकारियों के अनुसार विधायक कवासी लखमा जांच में पूरा सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसको देखते हुए उनका नारको टेस्ट कराने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि नारको टेस्ट के बारे में आधिकारिक रूप से कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि सोमवार को एनआईए की विशेषष जांच टीम के सामने जगदलपुर में विधायक कवासी लखमा का बयान होना था, लेकिन उनका बयान नहीं हो पाया। एनआईए ने लखमा को 22 अगस्त को फिर से पेश होने को कहा है।
बताया जा रहा है कि एनआईए एसपी की गैरमौजूदगी की वजह से लखमा का बयान नहीं लिया जा सका। झीरम घाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने दरभा में कांग्रेस के काफिले पर हमला किया। नक्सली हमले में प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार, दिनेश पटेल सहित 31 लोगों की जान गई थी।