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पंचतत्व में विलीन हुए देश की पहली संसद के सदस्य

By Edited By: Published: Tue, 12 Aug 2014 05:18 AM (IST)Updated: Tue, 12 Aug 2014 01:44 AM (IST)
पंचतत्व में विलीन हुए देश की पहली संसद के सदस्य

रायपुर [ब्यूरो]। देश की पहली संसद के पूर्व सांसद एवं वयोवृद्घ स्वतंत्रता सेनानी रेशम लाल जांगड़े का रविवार की देर रात 2 बजकर 10 मिनट पर इलाज के दौरान एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। सोमवार को उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

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जांगड़े के निधन पर राज्यपाल बलरामजी दास टंडन और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी शोक जताया। टंडन ने कहा है कि स्वर्गीय जांगड़े ने देश की प्रथम लोकसभा के सदस्य के रूप में तथा बाद में भी सांसद और विधायक के रूप में कार्य करते हुए छत्ताीसग़़ढ की जनता को अपनी महत्पूर्ण सेवाएं दी। जांगड़े के निवास में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी स्व.जांगड़े के परिजनों से मुलाकात की।

जांगड़े छत्तीसगढ़ के ऐसे एकलौते जीवित पूर्व सांसद थे, जो देश की पहली संसद 1952 के सदस्य रहे हैं। वे पिछले एक साह से बीमार थे और उनका राजधानी के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। रविवार की देर रात को जांगड़े ने अंतिम सांस ली। राजधानी के मारवाड़ी श्मशान घाट में दोपहर करीब तीन बजे गमगीन महौल में उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम बिदाई दी गई। उनके ज्येष्ठ पुत्र जयदीप जांगड़े ने मुखाग्नि दी।

इस अवसर पर राज्य सरकार की ओर से खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले, आवास एवं पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत और कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने स्वर्गीय जांगड़े की पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। श्मशान घाट में दिवंगत नेता के सम्मान में दो मिनट का मौन धारण किया गया। इस मौके पर स्वर्गीय जांगड़े के छोटे भाई और राज्य सभा सांसद डॉ. भूषण लाल जांगड़े, विधायक नवीन मार्कण्डेय, सनम जांगड़े, दयालदास बघेल, चंद्रशेखर साहू, अशोक बजाज, डॉ. सलीम राज, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केयूर भूषण, शिव डहरिया और संजय श्रीवास्तव सहित कई संगठन और सतनामी समाज के प्रमुख जन मौजूद थे।

स्वर्णिम अध्याय का अंत: रमन

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दिल्ली से फोन कर जांगडे़ के परिजनों से बात की और उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। डॉ. सिंह ने जारी अपने शोक-संदेश में कहा कि जांगड़े के निधन से हम सबने अपने एक वरिष्ठ और अनुभवी मार्ग दर्शक को हमेशा के लिए खो दिया है, जिनके आशीर्वाद की शीतल छाया में हमें राज्य, देश और समाज की सेवा के लिए काम करने का हौसला मिलता था।

डॉ. सिंह ने कहा कि रेशमलाल जांगडे के देहावसान से न सिर्फ छत्ताीसगढ़ ,बल्कि पूरे देश में सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों पर आधारित सार्वजनिक जीवन के एक स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया है।


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