नक्सली वार्ता को तैयार : अग्निवेश
रायपुर, जगदलपुर [ब्यूरो]। सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने दावा किया है कि नक्सली समस्या के समाधान के लिए माओवादी बातचीत करने को आज भी तैयार हैं, पर सरकार इसके लिए राजी नहीं है।
उन्होंने कहा कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता, चाहे हिंसा नक्सलियों की तरफ से हो या फिर फोर्स की ओर से। टीएमटीडी घटना में विशेष न्यायिक जांच आयोग में गवाही देने जगदलपुर आए स्वामी अग्निवेश ने यह बात सोमवार को आयोग के समक्ष अपने बयान में कही।
उन्होंने बताया कि नारायणपुर जिले में पांच पुलिसकर्मियों के अपहरण के बाद उत्पन्न स्थिति पर विचार करते हुए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदम्बरम नक्सलियों से वार्ता के लिए राजी हो गए थे। उन्होंने मुझसे बातचीत में मध्यस्थ बनने का आग्रह भी किया था। सरकार तीन माह के लिए सीजफायर करने को भी राजी हो गई थी पर बाद में बात नहीं बनी और बातचीत की योजना धरी रह गई। स्वामी अग्निवेश ने दावा किया कि हथियार के बल पर यह समस्या खत्म नहीं हो सकती। बातचीत ही समस्या के हल का एकमात्र रास्ता है। केन्द्र और नक्सल प्रभावित राज्यों की सरकारों को बातचीत के विकल्प पर गंभीरता से सोचना होगा।
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस टीपी शर्मा द्वारा यह पूछने पर कि नक्सल समस्या क्यों और कैसे बढ़ी, अग्निवेश ने कहा कि आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए नक्सली हथियार उठाए हुए हैं। आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को लागू किया जाए और स्वायत्त परिषद बनाएं यह समस्या खुद ब खुद खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन पर नक्सली समर्थक होने का आरोप लगाते हैं जो गलत है। हिंसा किसी भी ओर से हो पूरी तरह गलत है।
अग्निवेश ने आयोग को बताया कि ता़़डमेटला में आगजनी के बाद वह प्रभावित गांव पी़ि़डत परिवारों से मिलने जा रहे थे। इसके पूर्व जब 76 जवानों की हत्या हुई थी तब भी घटना के एक माह बाद 6 मई 2010 को दिल्ली से 55 बुद्धिजीवियों को साथ लेकर वह दंतेवाड़ा सीआरपीएफ कैंप जाकर घटना पर आक्रोश जताते हुए संवेदना व्यक्त की थी।
कड़ी थी सुरक्षा
स्वामी अग्निवेश को बस्तर में कड़ी सुरक्षा दी गई थी। रविवार को राजधानी से जगदलपुर पहुंचने और यहां सर्किट हाउस में रुकने व आयोग के दफ्तर में गवाही देने आने-जाने से लेकर वापस लौटने तक पुलिस के जवान उन्हें घेरे हुए थे। बताया गया कि विशेषष न्यायिक जांच अयोग के निर्देश पर उन्हें यह सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। विदित हो कि इसके पहले भी अग्निवेश बस्तर आते रहे हैं पर कभी भी इस तरह की सुरक्षा उन्हें नहीं दी गई। स्वामी अग्निवेश के साथ कुछ पुलिस कर्मियों का भी बयान आयोग ने दर्ज किया।