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मनरेगा न रोक सका वोट बैंक का पलायन

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 02:15 AM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 01:08 AM (IST)
मनरेगा न रोक सका वोट बैंक का पलायन

बिलासपुर [हरिकिशन शर्मा]। यूपीए सरकार ने मतदाताओं को रिझाने के लिए भले ही मनरेगा और खाद्य सुरक्षा जैसे लोकलुभावन कार्यक्रम बनाये हों लेकिन केंद्र की ये योजनाएं कांग्रेस पार्टी के 'वोट बैंक' के पलायन को रोक नहीं पा रही हैं। छत्ताीसगढ़ में बिलासपुर, जांजगीर चंपा व रायगढ़ ऐसे संसदीय क्षेत्र हैं जहां से सालाना हजारों लोग परिवार समेत काम की तलाश में बाहर जाते हैं। खास बात यह है कि ये इलाके परंपरागत तौर पर कांग्रेस के गढ़ हैं। कई क्षेत्रों में अब भी पार्टी के ही विधायक हैं। बिलासपुर, जांजगीर-चंपा और रायगढ़ में 24 अप्रैल को मतदान होगा। इसलिए लोस चुनाव के समय इन मजदूरों के पलायन से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।

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हर साल कितने मजदूर पलायन करते हैं इसका आधिकारिक आंकड़ा तो सरकारी एजेंसियों के पास मौजूद नहीं है, लेकिन अनुमान के मुताबिक, 50 से 60 हजार लोग काम की तलाश में बिलासपुर संसदीय क्षेत्र से बाहर जाते हैं। सबसे ज्यादा पलायन मस्तूरी और बिलहा विधानसभा क्षेत्रों से होता है जहां गत वर्ष हुए विस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जीता था। बिलासपुर से लगी जांजगीर-चंपा सीट से भी मजदूर पलायन करते हैं। विस में यह सीट भी कांग्रेस के पास है। इसलिए मजदूरों के पलायन से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।

मजदूरों का पलायन अक्टूबर-नवंबर से शुरु होता है और मानसून आने तक चलता है। रेल-सड़क संपर्क बेहतर होने से पलायन का केंद्र बिलासपुर है। सूबे के अलग-अलग जिलों से मजदूर यहां आकर ठेकेदारों के जरिये बाहर जाते हैं। अधिकतर पलायन मैदानी क्षेत्रों से होता है।

इस बात की तस्दीक बिलासपुर स्टेशन से होने वाली टिकटों की बिक्री के आंकड़ों से भी होती है। रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, आमतौर पर हर माह यहां से सात लाख टिकटों की बिक्री होती है, लेकिन अक्टूबर से मार्च की अवधि में यह बढ़कर आठ लाख तक पहुंच जाती है।

बिलासपुर के श्रम अधिकारी दीपक पांडेय का कहना है कि हर साल यहां से मजदूर बाहर काम करने जाते हैं, लेकिन अब ऐसे मजदूरों की संख्या साल दर साल कम होती जा रही है क्योंकि राज्य सरकार ने उनके लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं।

बिलासपुर और आस-पास से पलायन करने वाले मजदूर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और उत्तार प्रदेश में जाते हैं। आम तौर पर ये मजदूर ईट बनाने का काम करते हैं। बिलासपुरी मजदूरों की समस्या पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का एक दल भी यहां का दौरा कर चुका है।


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