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शहर में कागजों पर ही चल रहे हैं कई कॉलेज, ठगे जा रहे युवा

बिलासपुर यूनिवर्सिटी के कई कॉलेज कागजों पर चल रहे हैं। जगह पर कॉलेज की बिल्डिंग तक नहीं है फिर भी ना जाने कितने छात्र इन कॉलेजों से पास होकर निकल रहे हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2015 05:59 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2015 06:01 PM (IST)
शहर में कागजों पर ही चल रहे हैं कई कॉलेज, ठगे जा रहे युवा

बिलासपुर। बिलासपुर यूनिवर्सिटी के कई कॉलेज कागजों पर चल रहे हैं। मौके पर कॉलेज भवन ही नहीं हैं। फिर भी हर साल यहां से सैकड़ों विद्यार्थी पासआउट होकर निकल रहे हैं। नईदुनिया की पड़ताल में पता चला कि नाइसटेक कॉलेज सकरी और कॉलेज ऑफ आईटी एंड एप्लाइड सोशल साइंस नेहरू नगर यूनिवर्सिटी को बताए गए पते पर मौजूद ही नहीं हैं। यूनिवर्सिटी भी इसे यूजीसी के नियमों का उल्लघंन बता रही है।

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उच्च शिक्षा विभाग और बिलासपुर यूनिवर्सिटी फर्जी संस्थानों पर नकेल कसने में पूरी तरह नाकाम है। लापरवाही का आलम यह है कि पांचों जिलों में कई कॉलेज कागजों पर चल रहे हैं। यूनिवर्सिटी से संबद्धता हासिल कर युवाओं को ठग जा रहा है। इन कॉलेजों की ना तो कोई बिल्डिंग है और ना ही फेकेल्टी। इनमें शहर के दो कॉलेज नाइसटेक कॉलेज सकरी और द्रोणा शिक्षण समिति के कॉलेज ऑफ आईटी एंड एप्लाइड सोशल साइंस नेहरू नगर बिलासपुर शामिल हैं।

इनका प्रबंधन संबद्धता हासिल कर कॉलेज संचालित करने का दावा कर रहा है। लेकिन यूनिवर्सिटी को बताई गई जगह पर इनका वजूद ही नहीं है। नेहरू चौक में द्रोणा शिक्षण समिति का सिटी ऑफिस जरूर है लेकिन यहां क्लास नहीं लगती। बिल्डिंग, फेकेल्टी, खेल के मैदान, लैब तो दूर की बात है।

मामले में यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना था कि हो सकता है कॉलेज दूसरे स्थान पर संचालित हों, लेकिन ऐसा करना भी नियम विरुद्ध है। किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान को स्थान परिवर्तन करने पर शासन और यूनिवर्सिटी को सूचना देकर नए सीरे से प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इन कॉलेजों ने ऐसा नहीं किया है। यह यूजीसी अधिनियम और छत्तीसगढ़ अशासकीय महाविद्यालय और संस्था अधिनियम 2006 का उल्लंघन है।

यूजीसी नियमों में प्रमुख प्रावधान

कॉलेजों के पास डेढ़ से पांच एकड़ की जमीन हो। पर्याप्त टीचिंग और नॉनटीचिंग स्टाफ। ग्रंथालय, प्रयोगशाला, क्लास रूम, सभाकक्ष अनिवार्य। पानी, बिजली, शौचालय, सीवर की पर्याप्त व्यवस्था। कम से कम एक हजार पुस्तकों की लाइब्रेरी। बिना संबद्धता लिए विषय संचालित नहीं होंगे। शैक्षणिक और प्रशासनिक ढांचा होना चाहिए। स्थान परिवर्तन करने पर नए सीरे से प्रक्रिया।

नाइसटेक की बिल्डिंग गायब

यूनिवर्सिटी के रिकार्ड के मुताबित नाइसटेक कॉलेज सकरी में है। वहां जाने पर कॉलेज की बिल्डिंग ही गायब थी। ईदगाह चौक स्थित सिटी ऑफिस फोन करने पर बताया गया कि उसलापुर स्थित नेचर सिटी में कॉलेज संचालित है। यहां पहुंचने पर भी कॉलेज नहीं मिला।

इसकी जगह किड्स इंटरनेशनल स्कूल और इरा सॉफ्ट कंप्यूटर संचालित है। जहां मोबीन नवाब ने बताया कि वे ही नाइसटेक कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य हैं। हमने कॉलेज की बिल्डिंग व साइन बोर्ड के बारे में पूछा। उनका कहना था कि बीसीए और बीबीए में 50-60 स्टूडेंट हैं। बड़ी मुश्किल से कॉलेज चल रही है। यह स्कूल जल्द ही सकरी में संचालित होगा। इसके बाद यहां नाइसटेक कॉलेज ही लगेगा।

कॉलेज ऑफ आईटी शहर में नहीं

द्रोणा शिक्षण समिति द्वारा संचालित कॉलेज ऑफ आईटी एंड एप्लाइड सोशल साइंस नेहरू नगर बिलासपुर के नाम से संबद्धता है। मौके पर ना तो कॉलेज है ना कोई छात्र। हालांकि शासकीय स्कूल की गली में एक छोटा सा कमरा नजर आया।

इस पर द्रोणा शिक्षण समिति का बोर्ड लगा था। कर्मचारी प्रदीप श्रीवास से बताया कि दो साल से कॉलेज शहर के बाहर संचालित है। यहां बीएससी, बी कॉम, बीबीए, डीसीए, पीजीडीसीए में प्रवेश के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। प्राचार्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अशोक पांडेय प्राचार्य और डायरेक्टर हैं। उनसे जानकारी लेने मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई। उनका नंबर पूरे दिन कवरेज एरिया से बाहर बताया रहा।

संबद्धता हासिल कर बताई गई जगह पर कॉलेज संचालित नहीं करना गंभीर लापरवाही है। संबंधित विभाग से जानकारी ली जाएगी। कॉलेजों को भी पत्र लिखकर शासन की अनुमति पत्र की मांग करेंगे। मौके पर कॉलेज नहीं मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई होगी। उनकी संबंद्धता समाप्त किया जा सकता है। प्रो.जीडी शर्मा, कुलपति, बिलासपुर यूनिवर्सिटी


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