वित्त वर्ष 2016-17 के लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना जरुरी, जानिए
जानिए वित्त वर्ष 2016-17 के लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना जरूरी है
नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 31 मार्च 2017 को ही टैक्स रिटर्न फॉर्म नोटिफाई कर दिए थे। साथ ही सरकार ने एक जुलाई से ही इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान आधार नंबर/आधार एनरोल्मेंट नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया है। हालांकि 11 मई 2017 को जारी हुए नए नोटिफिकेशन में आधार कार्ड का उल्लेख करने से कुछ लोगों को छूट प्रदान की गई है जिनमें
निम्नलिखित लोग शामिल हैं...
• असम, जम्मू एवं कश्मीर और मेघालय के करदाता
• इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक अनिवासी करदाता (Non-resident taxpayer)
• पिछले वर्ष के दौरान किसी भी समय 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के करदाता
• वो करदाता जो भारत के नागरिक ही नहीं हैं
जानिए आपके लिए कौन सा फॉर्म भरना है जरूरी:
ITR1 (सहज): अगर किसी इंडिविजुअल को सैलरी, पेंशन, प्रॉपर्टी के किराए या ब्याज से आमदनी होती है तो यह फॉर्म भरें। कोई भी व्यक्ति जिसे बिना बिक्री के कर मुक्त आय (कृषि के अलावा 5 हजार से ऊपर की आय) हो रही है, तो वो आईटीआर-1 फॉर्म भर सकता है। यह सिर्फ पचास लाख तक की आमदनी पर ही भरा जा सकता है।
ITR2: ऐसे इंडिविजुअल और HUF जिन्हें सैलरी, पेंशन, एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से किराए, कैपिटल गेन, अन्य स्रोत से आय में लॉटरी और रेसिंग से भी आमदनी होती है। उनके लिए यह फॉर्म भरना जरूरी होता है।
ITR3: फर्म के ऐसे साझेदार जिन्हें ब्याज, सैलरी, बोनस से आमदनी, कैपिटल गेन, एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से किराए इनकम होती है उनके लिए यह फॉर्म भरना जरूरी होता है।
ITR4: जिन लोगों को बिजनस, प्रोफेशन (डॉक्टर, वकील आदि) के जरिए आमदनी हो रही हो, उनके लिए यह फॉर्म होता है। यह उनके लिए है जिनकों अपने खाते चार्टेड अकाउंटेंट से ऑडिट कराने होते हैं।
ITR4s (सुगम): बिजनेस में जिनका टर्नओवर 2 करोड़ से कम हो, बिजनेस प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन रुल (Business presumptives taxation rules) के दायरे में जो भी आता हो उसके लिए यह फॉर्म होता है। यह छूट 44 AD के तहत मिलती है।
ITR5: यह फॉर्म सिर्फ पार्टनरशिप फर्म या फिर ट्रस्ट या सोसाइटी के लिए होता है।