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किन संपत्तियों का माना जाता है बेनामी, जानिए

जानिए बेनामी के दायरे में कौन कौन सी संपत्तियां आती हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 03 May 2017 01:03 PM (IST)Updated: Wed, 03 May 2017 01:03 PM (IST)
किन संपत्तियों का माना जाता है बेनामी, जानिए
किन संपत्तियों का माना जाता है बेनामी, जानिए

नई दिल्ली (जेएनएन)। नोटबंदी के जरिये काले धन पर करारी चोट करने के बाद सरकार अब बेनामी संपत्तिधारकों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को बेनामी संपत्ति रखने वालों के विरुद्ध कार्रवाई तेज करने का निर्देश दिया है। पीएम ने आयकर विभाग को कर आधार व्यापक बनाने को भी कहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेनामी के दायरे में कौन कौन सी संपत्तियां आती हैं, जानिए कहीं आपके पास तो नहीं है बेनामी संपत्ति।

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क्या होती है बेनामी संपत्ति?

• ऐसी संपत्ति जो बिना नाम की होती है उसे बेनामी संपत्ति कहते हैं।
• इसके तहत लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता जिसने संपत्ति के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी अन्य शख्स के नाम पर होता है।
• जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो यह बेनामी प्रॉपर्टी कहलाती है। खरीदार अगर परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदे तब भी प्रॉपर्टी बेनामी मानी जाएगी।
• बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता,हालांकि वो प्रॉपर्टी पर कब्जा रखता है।

कौन रखता है बेनामी संपत्ति?

बेनामी संपत्ति वे लोग रख सकते हैं जिनकी आमदनी का मौजूदा स्रोत स्वामित्व वाली संपत्ति खरीदने के लिहाज से अपर्याप्त होता है। यह बहन, भाई या रिश्तेदारों के साथ ज्वाइंट प्रॉपर्टी भी हो सकती है जिसकी रकम का भुगतान आय के घोषित स्रोतों से किया जाता है। यह संपत्ति चल या अचल संपत्ति या फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट्स के तौर पर हो सकती है। इसमें संपत्ति के एवज में पेमेंट करने वाले के नाम से कोई भी वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं होता है। इस तरह के मामलों में बेनामी लेनदेन में शामिल दोनों पक्षों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

हाल में बेनामी लेनदेन अधिनियम में क्या हुआ संसोधन?

सरकार ने बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए बेनामी लेनदेन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था। इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन वर्ष की जेल और जुर्माना या दोनों होने का प्रावधान था। इस कानून में संशोधन के लिए केंद्र की मौजूदा सरकार ने वर्ष 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया। बीते अगस्त महीने में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी। आप को बता दें कि हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दी है।

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