जीएसटी: 1 जुलाई से पहले सरकार को देने होंगे इन 5 बड़े सवालों के जवाब, जानिए
केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर कानून को 1 जुलाई से लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है, लेकिन इससे पहले सरकार को 5 बड़े सवालों के जवाब देने हैं।
नई दिल्ली: देश का सबसे बड़ा कर सुधार माने जा रहे वस्तु एवं सेवा कर कानून को एक जुलाई से लागू करने को लेकर सरकार पूरी तरह से प्रतिबध है। लोकसभा में इससे जुड़े चार बिलों को मंजूरी भी दी जा चुकी है। कहा जा रहा है कि इस कानून के अमल में आने के बाद एक्साइज, कस्टम, सर्विस टैक्स और वैट जैसे तमाम कानून जो कि केंद्र और राज्य स्तर पर लगते हैं जो खत्म हो जाएंगे। लेकिन जीएसटी के अमल में आने से पहले काफी सारे ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब के बिना वन नेशन और वन टैक्स का सपना साकार होता नहीं दिखता है। हमने इस बारे में ई-मुंशी के टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेड अकाउंटेंट अंकित गुप्ता से बात की है। 1 जुलाई से पहले सरकार को देने होंगे इन पांच सवालों के जवाब...
किस वस्तु एवं सेवा पर कितना टैक्स (Classification of tax)?
जीएसटी काउंसिल की ओर से अभी यह तय किया जाना बाकी है कि किस वस्तु एवं सेवा पर किस दर से टैक्स लगेगा। काउंसिल की ओर से अभी तक इस पर किसी भी तरह की स्पष्टता नहीं दी गई है। काउंसिल अगर जीएसटी कानून को 1 जुलाई से अमल में लाना चाहती है तो उसे इस मुद्दे को जल्द साफ करना होगा।
सर्विस टैक्स की दर क्या होगी?
जीएसटी कानून के अमल में आने के बाद सर्विस टैक्स की दर क्या होगी यह सबसे बड़ा सवाल है, जिसका जवाब काउंसिल को देना होगा। यानी जीएसटी के अंतर्गत तय की गईं 5,12,18 और 28 टैक्स दरों में से किस दर में सर्विस टैक्स को लाया जाएगा, इसका जवाब मिलना अभी बाकी है। मौजूदा समय में सर्विस टैक्स की दर 15 फीसद है, जीएसटी आने के बाद यह 12 फीसद होगी या फिर 18 फीसद इस पर स्पष्टता आना अभी बाकी है।
कौन-कौन से लोग जीएसटी में नहीं होंगे शामिल?
जीएसटी के दायरे में कौन-कौन से लोग नहीं आएंगे इसका जवाब मिलना सबसे अहम है। क्योंकि सर्विस टैक्स के अंतर्गत एजुकेशन से जुड़े उन संस्थानों को छूट मिलती है जो सिर्फ एजुकेशन से जुड़ी गतिविधियों में ही शामिल होते हैं, लेकिन अगर ऐसे शिक्षण संस्थान मिस्लेनियस एक्टिविटीज के लिए पैसे लेते हैं तो इस पर टैक्स की देनदारी बनती है।
जीएसटी के दायरे से क्या होगा बाहर?
जीएसटी के दायरे से क्या कुछ बाहर होगा अभी भी इस पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। जैसे कि राज्य स्तर पर आंटा, दाल और चावल इत्यादि वैट के दायरे में नहीं आते हैं, ऐसे में काउंसिल की तरफ से यह स्पष्ट करना बाकी है कि ऐसे कितनी चीजों पर जीएसटी लागू नहीं होगा।
जीएसटी की प्रक्रिया?
काउंसिल को जीएसटी की प्रक्रिया के संबंध में भी कुछ सवालों के जवाब देने होंगे, क्योंकि यह प्रणाली फिलहाल थोड़ी जटिल है और अधिकांश लोगों को समझ नहीं आ रही है। साथ ही इसे किस तरह से लागू किया जाएगा और इसे संचालित करने के लिए क्या प्रणाली अपनाई जानी है और उसे कैसे सुचारू रुप से उद्देश्य के तहत चलाया जा सकेगा, इसके जवाब की भी हर किसी को तलाश है।