जीएसटी: डुअल कंट्रोल का मसला अब भी अनसुलझा, जानिए इसके बारे में
केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर को 1 अप्रैल 2017 से लागू करना चाहती है, लेकिन अभी इसमें कुछ तकनीकी अड़चने हैं। डुअल कंट्रोल समेत ऐसे कुछ मुद्दे अभी बाकी हैं जिसपर केंद्र और राज्य दोनों की आम सहमति बनना बाकी है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर को 1 अप्रैल 2017 से लागू करना चाहती है, लेकिन अभी इसमें कुछ तकनीकी अड़चने हैं। डुअल कंट्रोल समेत ऐसे कुछ मुद्दे अभी बाकी हैं जिसपर केंद्र और राज्य दोनों की आम सहमति बनना बाकी है। डुअल कंट्रोल का मुद्दा सबसे अहम हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर यह डुअल कंट्रोल का मसला है क्या? हम इस खबर के माध्यम से आपको यही समझाने की कोशिश करेंगे। इसके बारे में हमने ई-मुंशी के टैक्स एक्सपर्ट अंकित गुप्ता से बात की है।
क्या है डुअल कंट्रोल का मामला:
डुअल कंट्रोल के अंतर्गत जीएसटी में कौन किससे टैक्स वसूलेगा इसकी परिभाषा सम्मिलित है। अभी केंद्र और राज्य दोनों टैक्स वसूलते हैं, लेकिन जीएसटी के तहत राज्य 1.5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर पर अधिकार चाहते हैं। साथ ही सर्विस टैक्स पर मसला फंसा हुआ है, क्योंकि केंद्र सर्विस टैक्स पर पूरा अधिकार चाहता है। राज्य सर्विस टैक्स पर भी डुअल कंट्रोल फॉर्मूला चाहते हैं।
क्या है राज्यों का तर्क:
उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य उन छोटे कारोबारों पर नियंत्रण रखने पर जोर दे रहे हैं, जिनका गुड्स और सर्विसेज के लिए सालाना राजस्व 1.5 करोड़ रुपए से कम है। इन राज्यों का मानना है कि राज्यों के पास जमीनी स्तर पर आधारभूत ढांचा मौजूद है और छोटे करदाता राज्य के विभागों के कामकाज को ज्यादा समझते हैं।
क्या है केंद्र का तर्क:
वहीं केंद्र सरकार राज्यों की इस दलील को स्वीकार करने को राजी नहीं है। दरअसल केंद्र सर्विस टैक्सपेयर्स के लिए प्रोसेस आसान बनाने के लिए सिंगल रजिस्ट्रेशन सिस्टम चाहता है।