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सोने की कीमत कैसे तय होती है, जानते हैं आप?

सोने की कीमतों में बीते तीन दिन से गिरावट जारी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में सोने की कीमतें कैसे तय होती हैं?

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 26 Apr 2017 06:58 PM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2017 06:58 PM (IST)
सोने की कीमत कैसे तय होती है, जानते हैं आप?
सोने की कीमत कैसे तय होती है, जानते हैं आप?

नई दिल्ली (जेएनएन)। बीते तीन दिनों से सोने की कीमतों में गिरावट का रुख जारी है। इस गिरावट की प्रमुख वजह कमजोर वैश्विक संकेत और घरेलू ज्वैलर्स की ओर से सुस्त मांग को बताया जा रहा है। शादियों के सीजन में सोने की खरीद में तेजी देखने को मिलती है। ऐसे में अगर सोने की कीमत कम हो तो ग्राहकों के लिए यह सोने पर सुहागा जैसी स्थिति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत और दुनियाभर की तमाम हलचलों के बीच सोने की कीमतें कैसे तय होती हैं। हम इस खबर के माध्यम से आपको यही बताने की कोशिश करेंगे।

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दो तरह से तय होती हैं सोने की कीमतें.......

मांग और आपूर्ति पर टिका है सोने का गणित:

सोने की कीमतें हर रोज बदलती रहती हैं, ये बदलाव काफी हद तक बाजार में इस कीमती धातु की मांग और आपूर्ति के अनुपात पर निर्भर करता है। मांग और आपूर्ति ही सोने के इस बाजार की पूरी एबीसीडी को बयां करता है।

सोने की कीमतें तय करने वाली प्रशासनिक इकाई:

यह बात काफी सारे लोग जानते हैं कि मांग और आपूर्ति सोने की कीमतें तय करने का एक अहम कारक होता है। यानी जब मांग तेज होती है और आपूर्ति कम होती है तब इसके दाम उछल जाते हैं। हालांकि इसके अलावा भी सोने की कीमतें तय करने के लिए एक संचालन और प्रशासनिक इकाई होती है जो कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर काम करती है।

साल 2015 के पहले लंदन गोल्ड फिक्स सोने की नियामक इकाई थी। लेकिन साल 2015 के बाद एक नई इकाई का गठन हुआ। इस नई इकाई का नाम लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) है। यह संगठन दुनिया के तमाम देशों की सरकारों से जुड़े राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त रुप से यह तय करता है कि सोने की कीमत क्या होनी चाहिए।

भारत में कौन तय करता है सोने का भाव:

वहीं भारत में सोने के भाव एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) नियामक तय करता है। यह संगठन भारतीय बाजार में मांग-आपूर्ति, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बाजार की स्थिति (मुद्रास्फीति या अपस्फीति) को मद्देनजर रखते हुए ऐसा करता है। साथ ही यह इसके लिए लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) के साथ सामंजस्य भी बिठाता है।

लेकिन अनौपचारिक रूप से एलबीएमए एमसीएक्स (भारत), टोकोम(टोक्यो), कॉमैक्स (न्यूयॉर्क) और एसजीई (शंघाई) जैसी राष्ट्रीय स्तर की इकाईयों की तरफ से लिए गए फैसलों पर व्यवधान (आपत्ति) नहीं डालता है। ये सोने के वायदा बाजार और हाजिर बाजार दोनों की कीमतें तय करता है।

भारत में दो तरह से तय होती हैं सोने की कीमतें:

भारत में सोने की कीमतें दो तरह से तय होती हैं। फ्यूचर मार्केट (वायदा बाजार) औऱ स्पॉट प्राइस (हाजिर सर्राफा) दोनों कीमतें अलग-अलग होती हैं। आम उपभोक्ताओं का वास्ता स्पॉट प्राइस से पड़ता है। फ्यूचर प्राइस वायदा बाजार पूरी तरह से कारोबारियों के लिए होता है। यहीं पर सोने में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।


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