जानिए कैसे तैयार होती है ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रिपोर्ट में बीते साल 190 देशों में भारत 130वें पायदान पर रहा था
नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्र सरकार ने देश में निवेश को प्रोत्साहन देने और कारोबारी सुगमता को बढ़ाने के लिए तरह तरह के सुधार किए हैं। इसे तकनीकी भाषा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस। वर्ल्ड बैंक आज ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर आधारित एक रिपोर्ट पेश करने वाली है। हम अपनी इस खबर में आपको ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से जुड़ी हर अहम बात बताने जा रहे हैं।
सरकार के लिए अहम है यह रिपोर्ट:
वर्ल्ड बैंक की ओर से आज जारी होने वाली यह रिपोर्ट कई मायने में अहम है क्योंकि भारत सरकार ने हाल फिलहाल में कारोबारी सुगमता को सहज करने के लिए कई आर्थिक सुधार किए हैं। ऐसे में अगर इन सुधारों के बावजूद भारत की रैकिंग नहीं सुधरती है तो यह सरकार की परेशानी में इजाफा कर सकती है। बीते साल 190 देशों में भारत 130वें पायदान पर रहा था। अगर आज की रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग सुधरती है तो दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां भारत को वर्तमान के मुकाबले थोड़ी बेहतर रेटिंग दे सकती हैं जिसकी देश को दरकार है।
ईज ऑफ डूइंग क्या है, जानिए?
वर्ल्ड बैंक की ओर से दस मानदंड के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। यह रिपोर्ट बताती है कि कौन सा देश कारोबार के लिहाज से कितना बेहतर है। कौन कारोबारी सुगमता के लिहाज से सबसे अच्छा है और कौन सबसे खराब। वर्ल्ड बैंक की पिछली रिपोर्ट में न्यूजीलैंड पहले स्थान पर और सिंगापुर दूसरे स्थान पर रहा था।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की कसौटी पर रखे जाते हैं ये मानदंड:
- इसमें नए बिजनेस की शुरुआत करने में लगने वाले समय, न्यूनतम पैसा व प्रक्रिया को लेकर कई तरीके के अध्ययन किए जाते हैं।
- जिस चीज की खरीद-फरोख्त करेंगे उसके लिए वेयरहाउस बनाने में लगने वाला समय, उसकी लागत व प्रक्रिया।
- आपकी कंपनी के लिए इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन में लगने वाला समय।
- व्यवसायिक संपत्तियों के निबंधन में लगने वाला वक्त और खर्च पर भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस काफी हद तक निर्भर करता है।
- देश में जो भी निवेश करने जा रहा हैं उन कारोबारियों के पैसों की सुरक्षा गारंटी कितनी है यह रिपोर्ट तैयार करने के दौरान सबसे अहम पहलू माना जाता है।
- टैक्स की संरचना, कितने तरह के टैक्स लिये जाते हैं और उसे भरने में कारोबारियों को कितना वक्त गुजारना पड़ता है यह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट तैयार करते वक्त ध्यान में रखा जाता है।
- निर्यात को लेकर किसी देश में क्या नियम है और इसमें किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है। यह बात भी काफी मायने रखती है।
- दो कंपनियों के बीच होने वाले अनुबंधों में होने वाली प्रक्रिया और खर्च होने वाले रकम को भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में आधार बनाया जाता है।