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सरकारी गारन्टी वाले सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में सिर्फ फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं, जानिए

निया में गोल्ड के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता देश भारत में अन्य विकल्पों की तुलना में सोने में निवेश को ज्यादा तरजीह दी जाती है

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 01 Nov 2016 06:31 PM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 05:45 PM (IST)
सरकारी गारन्टी वाले सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में सिर्फ फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं, जानिए
सरकारी गारन्टी वाले सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में सिर्फ फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं, जानिए

नई दिल्ली। दुनिया में गोल्ड के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता देश भारत में अन्य विकल्पों की तुलना में सोने में निवेश को ज्यादा तरजीह दी जाती है। सरकार इस बात को मद्देनजर रखते हुए ही गोल्ड बॉन्ड की छह किश्ते जारी कर चुकी है। चूंकि इन बॉन्ड्स को सरकार की ओर से आरबीआई की तरफ से जारी किया जाता है और उन्हें सरकारी गारन्टी के साथ दिया जाता है इसलिए निवेशकों को इसमे फायदे की उम्मीद ज्यादा दिखती है। हालांकि अन्य विकल्पों की तरह ही गोल्ड बॉन्ड में निवेश के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई गोल्ड बॉन्ड की सातवीं किश्त में निवेश करने के लिए 3 मार्च 2017 आखिरी मौका है।

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गोल्ड बॉन्ड में निवेश के क्या हैं नुकसान:

सोने की फीकी चमक निवेशक को पड़ती है भारी: अगर सोने की कीमतों में गिरावट आती है तो इसका नुकसान केवल निवेशक को ही उठाना पड़ता है। सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉण्ड पर नकारात्मक रिटर्न देती है। इस लिहाज से गोल्ड बॉन्ड में निवेश का यह एक बड़ा नुकसान है।

महंगाई की मार से निवेशक को बचा नहीं पाता मिलने वाला ब्याज:
सॉवरन गोल्ड बॉन्ड आपको हरदम फायदा दे ऐसा हरगिज नहीं होता है। गोल्ड बॉन्ड पर कमाया गया ब्याज महंगाई दर को पछाड़ने के लिए काफी नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पर मिलने वाले ब्याज की दर 2.75 फीसदी ही होती है।

ब्याज पर भी भरना होता है टैक्स:
आमतौर पर लोग निवेश कर बचाने के लिए भी करते हैं, लेकिन सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में निवेशकों को इसका फायदा नहीं मिलता है। गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज निवेशक के टैक्स स्लैब के मुताबिक कर योग्य होता है। इस पर मिलने वाला ब्याज सोने के मौजूदा भाव के हिसाब से ही तय होता है।

समय सीमा में बंधा होता है निवेश:
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड मूलत: एक क्लोज एंडेड स्कीम है, जिसमें एक निश्चित समय सीमा तक के लिए और निश्चित अवधि के दौरान ही आवेदन मंगाए जाते हैं।

जरूरत के समय निकासी नहीं होती है आसान:
सामान्यतया: भारत जैसे देश में लोग निवेश इसलिए करते हैं ताकि मुश्किल वक्त में निवेश की कुछ रकम निकालकर अपनी जरूरतों को पूरा कर लिया जाए। सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में अगर आपको पांच वर्ष से पहले पैसों की जरूरत है तो इसमें निकासी मुमकिन नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह लिक्विड नहीं होता है। लिक्विडिटी की जरूरत भविष्य के किसी भी लक्ष्य को या फिर अनिश्चित खर्चों को पूरा करने के लिए ही नहीं होती है बल्कि यह उस स्थिति में भी काम आती है जब आपका निवेश अन्य विकल्पों की तुलना में बेहतर रिटर्न नहीं दे रहा होता है।


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