जानिए आखिर क्या होता है शेयर बायबैक, जानतें हैं आप?
जानिए क्या होता है बायबैक और क्यों कंपनी इसके लिए मंजूरी देती हैं
नई दिल्ली: बीते एक महीने में करीब दो बड़ी दिग्गज कंपनियां शेयर बायबैक (शेयर पुनर्खरीद) को मंजूरी दे चुकी हैं। बीते माह 20 फरवरी को टीसीएस बोर्ड ने 16,000 करोड़ रुपए के शेयर्स को बायबैक की मंजूरी दी थी और अब 20 मार्च को एचसीएल टेक ने 3,500 करोड़ रुपए के (3.5 करोड़) शेयर्स बायबैक को मंजूरी दी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बायबैक आखिर होता क्या है और कंपनी इसके लिए मंजूरी क्यों देती हैं। आज हम अपनी खबर में आपको इसी बारे में बताने की कोशिश करेंगे।
दो तरीकों से शेयर वापस खरीदती हैं कंपनियां:
कंपनिया निवेशकों से दो तरीकें से अपने शेयर वापस खरीद सकती हैं। पहला टेंडर ऑफर के जरिए और दूसरा ओपन मार्केट के जरिए। ऐसा माना जाता है कि जब कोई कंपनी बायबैक की घोषणा करती है तो निवेशक इसे काफी सकारात्मक मानते हैं और ऐसे करने से कंपनी के शेयर्स में तेजी भी देखने को मिलती है। बायबैक करना कंपनी के शेयर्स की कीमत के लिहाज से सकारात्मक माना जाता है।
क्या होता है शेयर बायबैक?
बायबैक एक निर्धारित समय में पूरी की जाने वाली एक प्रक्रिया है जिसमें निवेशकों के अतिरिक्त शेयरों को अपने सरप्लस का इस्तेमाल कर खुले बाजार से खरीदा जाता है। ये शेयर बाजार मूल्य या उससे ज्यादा कीमत पर खरीदे जाते हैं, हालांकि इसें एक शर्त शामिल होती है कि यह मैक्सिमम बायबैक से ज्यादा नहीं हो सकता है।
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कंपनियां क्यों करती हैं बायबैक?
कंपनियां प्रीमियम पर शेयर्स की खरीद कर बाजार में इनकी संख्या को कम करती है और शेयर की कीमत को स्थिर करने का प्रयास करती हैं। इससे कंपनियों के वित्तीय अनुपात में भी सुधार आता है। इतना ही नहीं बायबैक करने के बायबैक से कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी बढ़ती है और किसी भी टेकओवर के खतरे को टाला जा सकता है।
बायबैक से कंपनियों को फायदा:
आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम होने से वित्तीय अनुपात बेहतर होता है और बायबैक से बैलेंस शीट से कैश घटता है, जिससे रिटर्न ऑन ऐसेट्स में इजाफा होता है।
निवेशकों के लिए बायबैक?
बायबैक का इस्तेमाल कर कंपनियां अपना सरप्लस कैश शेयरधारकों को दे देती हैं, जिससे शेयरों की कीमतों में इजाफा होता है। अगर बायबैक को लेकर कंपनियां गंभीर होती हैं तो वहां यह शेयरहोल्डरों की वैल्यू में इजाफा करती है, क्योंकि कंपनी अपने ही शेयरों की खरीद में निवेश कर रही होती है।
क्या हैं बायबैक के नियम?
बायबैक के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कुछ प्रस्ताव रखे हैं, जिसके तहत कंपनी जितने शेयर बायबैक करने का ऐलान करेगी, उसका कम से कम 50 फीसदी उसे खरीदना ही होगा। साथ ही कम 25 फीसदी अमाउंट एस्क्रो अकाउंट (जहां शेयर्स रिजर्व रहते है) में रखना होगा। वहीं बायबैक के लिए टाइम फ्रेम 12 महीने से घटाकर 3 महीने कर दिया गया है।