80C ही नहीं आयकर की ये 8 धाराएं बचा सकती हैं इनकम टैक्स, जानिए
जानिए आयकर की धारा 80सी के साथ-साथ कौन सी 7 अन्य धाराएं होती हैं जिनके जरिए आप टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं
नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2017 खत्म होने में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। इस अवधि के दौरान तमाम लोग निवेश के विकल्पों की तलाश में रहते हैं। आम तौर पर लोग आयकर की धारा 80सी से ही वाकिफ रहते हैं। वो जानते हैं कि सिर्फ 80सी के तहत ही कर लाभ (टैक्स में छूट) प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन आज हम आपको अपनी खबर के माध्यम से बताने की कोशिश करेंगे कि आयकर की धारा 80सी के साथ-साथ 7 अन्य धाराएं भी होती हैं जिनके जरिए आप टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं। इस संबंध में हमने ई-मुंशी के टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेट अकाउंटेंट अंकित गुप्ता से बात की है।
सबसे पहले जानिए 80सी के तहत मिलने वाले फायदों के बारे में...
80सी के फायदे:
पीपीएफ, एनएससी, ईएलएसएस, बैंक और पोस्ट ऑफिस में पांच साल की एफडी के साथ-साथ स्कूल और ट्यूशन फीस के जरिए आप हर साल करीब 1,50,000 की कर छूट का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह छूट आयकर की धारा 80सी के तहत मिलती है।
80सीसीडी के फायदे:
साल 2015-16 के बजट में नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश की सीमा एक लाख रुपए से बढ़ा कर डेढ़ लाख रुपए कर दी गई थी। एनपीएस में धारा 80सीसीडी के तहत 1,50000 रुपए का निवेश कर डेढ़ लाख की कटौती का लाभ मिलता है।
80डी के फायदे:
आप आयकर की धारा 80डी का भी लाभ ले सकते हैं जिसमें आप खुद का और अपने परिवार का चिकित्सा बीमा करवा सकते हैं। इसके जरिए आप सालाना 25,000 से 30,000 (सीनियर सिटिजन) की बचत कर सकते हैं।
अगर करदाता अपना चिकित्सा बीमा, अपनी पत्नी और बच्चों का चिकित्सा बीमा कराता है तो उसे 80डी के तहत कर छूट का अधिकार मिलता है।
80डीडी के तहत फायदा:
अगर कोई विकलांग व्यक्ति आप पर आश्रित है तो विकलांग आश्रित के चिकित्सा उपचार पर भी 80डीडी का फायदा उठाया जा सकता है।
80डीडीबी के तहत फायदा:
अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष बीमारी के उपचार में खर्च करता है तो उसे 80डीडीबी के तहत कर लाभ मिलता है।
80जी के तहत फायदा:
आयकर की धारा 80जी के तहत भी आप कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप अगर किसी स्वयंसेवी संस्था से 80जी सर्टिफिकेट लेते हुए उसे डोनेशन देते हैं तो आप कर लाभ का फायदा ले सकते हैं।
80जीजी के तहत फायदा:
आमतौर पर एचआरए आपकी सैलरी का एक हिस्सा होता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो आप आयकर की धारा 80जीजी के तहत इसके लिए दावा (क्लेम) कर सकते हैं। इसके तहत अधिकतम 24,000 की टैक्स छूट प्राप्त की जा सकती है।
80ई के तहत फायदा:
आप एजुकेशन लोन के जरिए भी टैक्स बचा सकते हैं। आयकर की धारा 80ई कर्ज के ब्याज में करदाता की काफी मदद करती है भले ही यह लोन उसने खुद, खुद के बच्चे या पत्नी के लिए ही क्यों न लिया हो।