गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने के होते हैं 10 बड़े फायदे, जानें
इस फेस्टिव सीजन गोल्ड में निवेश करना चाहते है तो गोल्ड बॉण्ड एक बेहतर विकल्प है। जानिए गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने के क्या हैं 10 बड़े फायदें
नई दिल्ली। इस फेस्टिव सीजन गोल्ड में निवेश करना चाहते है तो गोल्ड बॉण्ड एक बेहतर विकल्प है। निवेश के लिए सोने के सिक्के, गोल्ड फंड, गोल्ड ईटीएफ, गहने आदि तमाम लोकप्रिय विकल्प हैं, लेकिन इस सब के बीच गोल्ड बॉन्ड सोने में निवेश करने का एक अच्छा ऑप्शन है। जानिए गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने के क्या हैं 10 बड़े फायदें।
गोल्ड बॉण्ड में निवेश के फायदे
बेहतर रिटर्न: गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने पर अच्छा ब्याज मिलता है। इसमें ब्याज सहित सोने की कीमतों में आई तेजी के अनुसार रिटर्न भी मिलता है। साथ ही आपको बता दें इसमें निवेश करने से डीमैट और ईटीएफ जैसे कोई शुल्क नहीं लगाए जाते हैं। गोल्ड बॉण्ड की ब्याज दर 2.75 फीसदी है। इस पर मिलने वाला ब्याज सोने के मौजूदा भाव के हिसाब से तय होता है।
निवेश के साथ बचत भी: सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए आप गोल्ड बॉण्ड को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रख सकते हैं। दूसरी ओर आप इसे अपने घर या डीमेट एकाउंट में भी रख सकते हैं। इससे आपका लॉकर पर होने वाला खर्च भी बच जाएगा।
धोखाधड़ी की कोई चिंता नहीं: गोल्ड बॉण्ड में किसी तरह की धोखाधड़ी और अशुद्धता की संभावना नहीं होती है। गोल्ड बॉण्ड में मिलने वाला सोना शत प्रतिशत शुद्ध सोने की ही वैल्यु देता है।
कैपिटल गेन टैक्स की हो सकती है बचत: गोल्ड बॉण्ड की कीमतें सोने की कीमतों में अस्थिरता पर निर्भर करती है। सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉण्ड पर नकारात्मक रिटर्न देता है। इस अस्थिरता को कम करने के लिए सरकार लंबी अवधि वाले गोल्ड बॉण्ड जारी कर रही है। इसमें निवेश की अवधि 8 वर्ष होती है, लेकिन आप 5 वर्ष के बाद भी अपने पैसे निकाल सकते हैं। पांच वर्ष के बाद पैसे निकालने पर कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगाया जाता है।
गोल्ड बॉण्ड यानी सरकारी गारंटी: गोल्ड बॉण्ड भारत सरकार की ओर से दी गई सॉवरन गारंटी होती है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि यह हमेशा सकारात्मक रिटर्न्स ही देगा।
बढ़वा सकते हैं गोल्ड बॉण्ड की मैच्योरिटी: गोल्ड बॉण्ड की अवधि मैच्योरिटी पीरियड के बाद तीन वर्ष के लिए और बढ़वाई जा सकती है। इसकी मदद से मैच्योरिटी के समय बाजार के नकारात्मक संकेतों से बचा जा सकता है।
गोल्ड बॉण्ड के गुणांक: गोल्ड बॉण्ड सोने के एक निश्चित वजन के आधार पर जारी किए जाते हैं। इसकी एक यूनिट एक ग्राम गोल्ड होती है। इसे एक ग्राम के गुणांक में ही लिया जा सकता है। आपको बता दें कि आप 500 ग्राम के अधिक गोल्ड बॉण्ड नहीं ले सकते हैं। यह कई गुणांक में उपलब्ध है, लेकिन इसको खरीदने के लिए एक तय सीमा है। आप न्यूनतम दो ग्राम और अधिकतम 500 ग्राम के गुणांक में खरीदारी कर सकते हैं। इसमें निवेश करने के लिए कम से कम 5000 से 6000 रुपए इंवेस्ट करना अनिवार्य है। इसकी न्यूनतम और अधिकतम सीमा एक साल हैं।
गोल्ड बॉण्ड को खरीदना है बेहद आसान: गोल्ड बॉण्ड को किसी भी एसबीआई ब्रांच, पोस्ट ऑफिस, स्टॉकहोल्डिंग कॉरपोरेशन और एनएसई व बीएसई आदि के माध्यम से खरीदा जा सकता है।
सेकेण्डरी मार्केट में गोल्ड बॉण्ड की ट्रेडिंग: गोल्ड बॉण्ड में न्यूनतम 5 वर्षों का लॉक इन पीरियड होता है। यदि आपको 5 वर्षों से पहले पैसों की जरूरत होती है तो आपको बता दें कि यह सेकेण्डरी मार्केट में लिस्टिड है। यानि कि आप जब चाहें किसी भी अन्य व्यक्ति को गोल्ड बॉण्ड सेकेण्डरी मार्केट के जरिए बेच सकते हैं। एनएसई और बीएसई बॉण्ड में ट्रेड करने की सुविधा देता है। आप अपना डीमेट गोल्ड बॉण्ड एनएसई के रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के जरिए भी बेच सकते हैं। बॉण्ड की कीमतें बाजार पर निर्भर करती हैं। सेकेण्डरी मार्केट (एनएसई और बीएसई) के जरिए गोल्ड बॉण्ड खरीदा भी जा सकता है।
गोल्ड बॉण्ड के एवज में लोन: जरूरत पड़ने पर गोल्ड बॉण्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। गोल्ड बॉण्ड पेपर को लोन के लिए कोलैटर्ल के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पोस्ट ऑफिस की नैश्नल सेविंग सर्टिफिकेट के जैसा होता है।