Move to Jagran APP

वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए बदलें पुरानी सोच

जीवन शैली सुनिश्चित करने में व्यक्ति का पूरा जीवन खप सकता है। बेहतर जीवन स्तर को स्थायित्व प्रदान करने के लिएजीवन में आने वाले विभिन्न चरणों की पहचान करना जरूरी है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 25 Apr 2016 11:51 AM (IST)Updated: Mon, 25 Apr 2016 12:01 PM (IST)
वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए बदलें पुरानी सोच

निजी माली हालत संभालने को लेकर बढ़ती जागरूकता के कारण अब लोगों ने दुनिया को नई निगाह से देखना शुरू कर दिया है। अब वे ऐसी बदली हुई स्थिति तैयार करने में सक्षम हैं जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी। इस बदलाव की शुरुआत उस जबरदस्त जानकारी से संभव हुई जिसे हासिल करने की वे तमन्ना रखते हैं। इस जानकारी की बदौलत अपने वित्तीय व्यवहार में परिवर्तन कर उन्होंने अपनी जिंदगी का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। यह विकल्पों की पहचान करने और तदनुसार व्यक्तिगत वित्त को प्रबंधित करने के लिए संपूर्ण दृष्टिकोण को वक्ती के बजाय सुनियोजित करने की प्रक्रिया है।

loksabha election banner

परंपरागत रवैये को तोड़ना :

यह जानते हुए कि वांछित परिणाम नहीं प्राप्त हो रहा है, मौजूदा वित्तीय प्रबंधन के ढर्रे को तोड़ना हमेशा आसान नहीं हो सकता। वजह है कि आप बार-बार वही चीजें करते हैं। लेकिन बेहतर वित्तीय नियंत्रण हासिल करने के लिए अपनी आदतों में बदलाव करना आवश्यक है।

सुधार के तरीके की पहचान :

उपलब्ध व सुनियोजित वित्तीय संसाधनों के उचित वितरण से अनवरत बेहतर जीवन शैली सुनिश्चित करने में व्यक्ति का पूरा जीवन खप सकता है। बेहतर जीवन स्तर को स्थायित्व प्रदान करने के लिए जीवन में आने वाले विभिन्न चरणों की पहचान करना जरूरी है। इसके लिए देखना होगा कि परिवार में सदस्यों की संख्या, संभावित आय, नियमित तथा बड़े खर्च वाले क्षेत्र, सामाजिक सुरक्षा लाभ तथा भविष्य में सृजित होने वाले आय के संसाधनों को चिह्नित करना होगा।

निर्धारित वित्तीय दायित्व भी महत्वपूर्ण हैं, जिनका हिसाब नहीं रखा जाता, लेकिन जो सतत जीवनस्तर के लिए जरूरी हैं। इनमें कर्ज की वापसी, मकान से संबंधित भुगतान, बच्चों के कॉलेज की पढ़ाई का खर्च, कर तथा बीमा प्रीमियम आदि शामिल हैं। निवेश पर मिलने वाले संभावित रिटर्न का आकलन भी आवश्यक है। इससे वित्तीय परिसंपत्तियों में वृद्धि को ट्रैक कर सकते हैं।

वित्तीय जीवन चक्र के चरण :

वित्तीय जीवन चक्र के तीन चरण होते हैं।

1. संग्रह चरण : यह जीवन के अहम लक्ष्यों, जैसे मकान की खरीद, बच्चे की शिक्षा आदि की खातिर धन जुटाने के लिए होता है। इस चरण पर सर्वाधिक ध्यान देने तथा पूरे ब्योरे में जाने की जरूरत होती है।

2. रिटायरमेंट चरण : इसके लिए वांछित आमदनी हासिल करने तथा रिटायरमेंट के लिए आवश्यक परिसंपत्तियां सृजित करने की जरूरत पड़ती है। इसमें पैसा बनाने से ज्यादा पैसा बचाने पर जोर रहता है।

3. बांटने व उपहार देने का चरण :

इसका संबंध मृत्यु के बाद अपनी जमा पूंजी के बंटवारे से है। इस पर पिछले दोनों चरणों के दौरान काम चलता रहता है। अपनी वित्तीय संपत्तियों, उन्हें प्राप्त करने के साधनों, योजना पर काम तथा सतत समीक्षा के अनुसार इन तीनों चरणों पर अलग-अलग ध्यान देने की जरूरत होती है। पूरी प्रक्रिया में बदलने वाली चीजें बदल सकती हैं, लेकिन मुख्य चीज एक सी रहती है। अब सवाल यह है कि बदलाव हासिल कैसे किया जाए?

बचत की आदतों में परिवर्तन :

एक प्रयोग में अनुसंधानकर्ताओं ने लोगों के एक बड़े समूह को दो अलग-अलग समूहों में बांटा। इनमें से एक समूह से पूछा गया कि क्या वे अपनी आमदनी का 30 फीसद बचाने की स्थिति में हैं। इस समूह में केवल आधे लोगों ने इसका जवाब हां में दिया। लेकिन जब दूसरे समूह से पूछा गया कि क्या वे 70 फीसद आय बचाकर जिंदगी गुजार सकते हैं तो तकरीबन अस्सी फीसद का जवाब हां में प्राप्त हुआ।

इसका मतलब हुआ कि बचत की बड़ी संभावनाएं हैं। ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि बचत कब और कैसे की जाए। इसके लिए सोच-समझकर व्यक्तिगत बजट बनाना जरूरी है। पहले अपनी आमदनी का इंतजाम कीजिए। फिर जरूरी खर्चों की पहचान कर ऐसे स्वैच्छिक खर्चों पर नजर रखिए जिनसे बचा जा सकता है। इसमें बड़ा हिस्सा हमारे दैनिक खर्च की आदतों का है। इससे बचतों को उचित स्तर पर रखने में मदद मिलती है। इसके लिए आपको केवल खर्च शुरू करने से पहले निवेश की शुरुआत करनी होगी। इन छोटी-छोटी बचतों से आप अपनी वित्तीय

आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक बड़ा कोष तैयार कर सकते हैं।

वित्तीय उपलब्धियों की कल्पना कीजिए :

लक्ष्यों की पहचान तथा स्पष्ट प्राथमिकताएं निर्धारित करना अत्यंत आवश्यक है। जीवन के विविध पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इन लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से लिपिबद्ध किया जाना चाहिए। आय, खर्चों के पैटर्न, शादी जैसे किसी आयोजन, आय के स्रोत में कमी-बेशी से प्राथमिकताएं बदल सकती हैं। समग्र योजना बनाते समय कर्ज, बीमा, शिक्षा आदि की लागत को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन मौजूदा निवेशों की पहचान भी करें जिनसे आपको अपने लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सकती हो। जोखिम तथा प्रतिलाभ के बीच संतुलन के लिए अपने पैसे का अलगअलग उपकरणों में निवेश करें।

चतुराई से निवेश करें :

हर एक व्यक्ति की जोखिम सहने की क्षमता अलग होती है। क्षमता का आकलन करें और नियमित रूप से ऐसा विविधीकृत पोर्टफोलियो तैयार करें जो आपकी जोखिम क्षमता और प्रत्येक लक्ष्य को प्राप्त करने की अवधि के अनुरूप हो। निवेश की प्रगति को ट्रैक करने तथा निवेश को निकालने की रणनीति पर साथ-साथ काम होना चाहिए। वास्तविक धन का सृजन तभी होता है जब निवेश को बेचा जाए। पूरे निवेश की निश्चित अवधि बाद समीक्षा करें और बेहतर रिटर्न न मिलने पर उचित कदम उठाएं।

अन्य छोटी-मोटी बातों का ध्यान :

आपातकालीन कोष की स्थापना करना, कर को कम से कम करने के लिए नियमित रूप से योजना बनाना तथा बीमा के जरिये अपने परिवार को प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षा प्रदान करना भी वित्तीय सुदृढ़ता के लिए आवश्यक है। इन सभी बातों पर समग्र रूप से विचार करना चाहिए।

दनेश रोहिरा

संस्थापक व सीईओ

5nance.com


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.