रिटायरमेंट के बाद ही इस्तेमाल हो ईपीएफ का पैसा
ज्यादातर मध्यम वर्गीय परिवार अपने पीएफ की धनराशि का इस्तेमाल बच्चे की पढ़ाई, इलाज खर्च या मकान खरीदने के लिए करते हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा और निकासी संबंधी नियम कई वजह से चर्चा में हैं। इससे पहले एक प्रस्ताव वित्त विधेयक 2016 में आया था। इसमें एक अप्रैल 2016 या उसके बाद किए गए अंशदान की निकासी पर टैक्स लगाने का प्रावधान था। हालांकि भारी विरोध के बाद यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया जिसके बाद करोड़ों ईपीएफ खाताधारकों ने खुशी जताई।
दूसरा विवाद 10 फरवरी 2016 को जारी अधिसूचना के बाद खड़ा हुआ जिसमें समयपूर्व धनराशि निकासी से संबंधित नियमों को कड़ा किया गया है। इस कदम का भी भारी विरोध हुआ। इस कदर विरोध हुआ कि सरकार को यह घोषणा करनी पड़ी की 10 फरवरी 2016 की अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से रद्द कर वापस लिया गया है। इस तरह यथास्थिति बहाल हुई।
आइए प्रस्तावित बदलावों और उनके विरोध की असली वजह को समझें। भविष्य निधि मुख्यत: सेवानिवृत्ति के बाद की योजना का हल है। इसलिए पीएफ में जमा धनराशि को रिटायरमेंट की प्लानिंग को छोड़ दूसरे कार्यों पर खर्च करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। सामान्यत: अधिकांश भारतीय अपनी सेवानिवृत्ति के दिनों के लिए
खुद को तैयार नहीं करते। ज्यादातर मध्यम वर्गीय परिवार अपने पीएफ की धनराशि का इस्तेमाल बच्चे की पढ़ाई, इलाज खर्च या मकान खरीदने के लिए करते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति को बच्चे की पढ़ाई, बच्चे की शादी और रिटायरमेंट के बारे में पहले से ही प्लान तैयार करना चाहिए। आपात चिकित्सा जरूरत को पूरा करने के लिए उपयुक्त बीमा कवर खरीदना चाहिए न कि सेवानिवृत्ति के लिए एकत्रित होने वाली पीएफ की धनराशि को इस्तेमाल किया जाए। अगर आप 58 या 60 वर्ष की उम्र में रिटायर होते हैं तो भी आपके पास 20 से 25 वर्ष ऐसे होंगे जिसके लिए आपको स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन जीने की खातिर अच्छी खासी धनराशि की जरूरत होगी। हमारी राय में पीएफ की धनराशि रिटायरमेंट के लिए है।
असल में कुछ बच्चे अपना स्वतंत्र जीवन जीने को माता-पिता को छोड़कर बाहर चले जाते हैं। ऐसे में माता-पिता को स्वयं अपना खर्च उठाना पड़ता है। कामकाजी वर्ग के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पीएफ
नियमों को सख्त बनाना बेहद जरूरी है।
इसका एक दूसरा फायदा भी होगा कि अक्सर छोटे लड़के लिए कारोबार शुरू करने जैसे भावनात्मक कारण बताकर पीएफ की धनराशि निकालने के लिए मजबूर करने की समस्या भी खत्म हो जाएगी। एक ही अपवाद हो सकता है-वह है आपात स्वास्थ जरूरत। इसलिए इस तरह के मामलों में ऑडिट योग्य दस्तावेज जमा करने के साथ ही कुछ धन निकालने की अनुमति होनी चाहिए। आम तौर पर आजकल युवाओं को एक नौकरी छोड़कर
दूसरी नौकरी पकड़ने का शौक रहता है।
उनमें एक नौकरी छोड़कर वहां के पीएफ का धन निकाल कर खाता बंद करने की प्रवृत्ति होती है। ऐसे में अगर एक व्यक्ति अपने करियर में पांच से छह बार नौकरी बदलता है और पीएफ खाते को बंद करता है तो उसके रिटायरमेंट की तैयारी इससे बुरी तरह प्रभावित होगी। इसलिए रिटायरमेंट की प्लानिंग बेहतर बनाने के लिए पीएफ से धन निकासी के नियमों को सख्त बनाना चाहिए।
अनिल चोपड़ा
ग्रुप सीईओ और निदेशक
बजाज कैपिटल