सरलता की जरूरत
हम आम तौर पर फीचर देखकर ही विभिन्न उत्पाद खरीदते हैं लेकिन म्यूचुअल फंड के मामले में यह देखना जरूरी है कि किस फंड पर कितना रिटर्न मिल रहा है।
कुछ दिन पहले एक खबर आई कि बाजार नियामक सेबी म्यूचुअल फंड कंपनी से संचालित फंडों की संख्या सीमित करने की योजना बना रहा है। प्रत्येक फंड कंपनी को सिर्फ एक तरह के फंड की ही अनुमति होगी। इस कवायद का मकसद किसी भी निवेशक के समक्ष उपलब्ध विकल्पों की जटिलता को कम करना है। यह शानदार विचार है और इसे जल्द लागू करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि ज्यादातर निवेशक जो 2500 म्यूचुअल फंड्स होने की वजह से भ्रम की स्थिति में रहते हैं, उनके लिए चुनाव करना आसान हो जाएगा।
ऐसा होने पर सिर्फ फंड्स की संख्या कम नहीं होगी बल्कि निवेशकों के पास एक फंड्स की दूसरे फंड्स से तुलना करने की सरल सुविधा भी होगी। सेबी सिर्फ किसी फंड के प्रकार को पहले से ही परिभाषित कर देगा। हालांकि जानकार निवेशकों को पहले से इसका इंतजार नहीं था। वे हमेशा ऐसे फंड्स में निवेश करते रहे हैं जिसकी दूसरों के साथ तुलना की जा सके और जो आसानी से समझ आ सकें। उन्होंने ऐसे साधारण फंड
में निवेश किया जिसमें कोई विशेष फीचर न हो।
हम आम तौर पर फीचर देखकर ही विभिन्न उत्पाद खरीदते हैं लेकिन म्यूचुअल फंड के मामले में यह देखना जरूरी है कि किस फंड पर कितना रिटर्न मिल रहा है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने का पूरा विचार यह है कि निवेश करने वाले व्यक्ति को निवेश प्रबंधन की जटिलता में जाए बगैर उसके निवेश पर रिटर्न मिल जाए। आम तौर पर निवेशक सिर्फ चेक काट देते हैं और उसके बाद कौन सा उद्योग बेहतर प्रदर्शन कर रहा है कौन सा खराब यह सब आपकी सिरदर्दी नहीं होती, यह समस्या फंड मैनेजर की होती है। वास्तव में इस तरह के सभी फैसलों को पेशेवर फंड मैनेजरों पर छोड़ना ही म्यूचुअल फंड में निवेश की वजह होती है और यह सरल फंड्स में सही तरह हो सकता है।
धीरेंद्र कुमार