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क्यों जरूरी है आर्थिक लक्ष्यों की पहचान

यह एक ऐसी योजना है जिसमें बीमाधारक की असामयिक मृत्यु होने पर एक निर्धारित राशि मिल जाती है। इसमें कोई निवेश संबंधी रिटर्न नहीं मिलता।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 09 May 2016 10:43 AM (IST)Updated: Mon, 09 May 2016 11:03 AM (IST)
क्यों जरूरी है आर्थिक लक्ष्यों की पहचान

अपने लिए वित्तीय प्लानिंग करने की दिशा में सबसे अहम है कि आप अपनी आर्थिक जरूरतों की पहचान कर सकें ताकि उन्हीं के अनुरूप अपने योजनाओं को अंतिम रूप दें। सबसे पहले आपको अपने लिए पैसों की जरूरत और जरूरत का समय, यानी क्यों, कितना और कब समझने की आवश्यकता है। इसके बाद आप अपनी स्थिति का मूल्यांकन करें। हो सकता है आपके पास तत्काल जरूरी धन उपलब्ध नहीं है और जरूरतें इकट्ठा होती जा रही हों या आपके पास पर्याप्त पैसे हैं और आप जरूरत के समय के आधार पर उसे निवेश करना चाहते हैं।

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इस आधार पर आप जान सकेंगे कि आपको पैसे की जरूरत एक से पांच वर्ष (अल्प अवधि) पर, पांच से 10 वर्ष (मध्यम अवधि) पर या 10 वर्ष के बाद (दीर्घावधि) होगी। ऐसे अनेक अलग-अलग आर्थिक समाधान हैं जिनसे आपको अपने अल्प, मध्यम और दीर्घ अवधि के लक्ष्यों को हासिल करने में सहूलियत होगी। भले ही जरूरत की समय सीमा कुछ भी हो, मेरी सलाह होगी कि आप हमेशा एक जीवन बीमा मियादी योजना (टर्म प्लान) चुनें। यह एक ऐसी योजना है जिसमें बीमाधारक की असामयिक मृत्यु होने पर एक निर्धारित राशि मिल जाती है। इसमें कोई निवेश संबंधी रिटर्न नहीं मिलता। ऐसा करने से आप हमेशा के लिए हम सुनिश्चित कर सकेंगे कि आपके नहीं रहने पर परिवार को वह आमदनी मिल जाएगी जो आप अपने जीवनकाल में कमाते।

हालांकि समय सीमा के आधार पर आपकी जरूरतों के लिए अनेक समाधान उपलब्ध हैं। फिर भी हम आपको उन क्षेत्रों के बारे में बताना चाहते हैं जहां उस समय के लिए जरूरी राशि जमा करने के लिए जीवन बीमा योजनाएं सर्वाधिक उपयुक्त होंगी। बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट और उत्तराधिकार का नियोजन जैसे मसलों के लिए मध्यम से दीर्घावधि के लिए अपनी उम्र के लिहाज से सिंगल प्रीमियम यूनिट लिंक्ड योजना चुन सकते हैं।

लेकिन अगर आपकी जरूरत की अवधि लंबी है तो आप 15 वर्ष तक की अवधि वाली जीवन बीमा योजनाओं में से उपयुक्त प्लान चुन सकते हैं। इसके साथ ही आपके लिए यह भी जरूरी है कि आप धन के प्रति अपने नजरिये को समझें।

इसके अतिरिक्त आपके लिए यह जान लेना भी आवश्यक है कि आपमें जोखिम लेने की कितनी क्षमता है। जोखिम उठाने का अपना हौसला जान लेने के बाद आप अपनी रिटर्न की अपेक्षा का भी पता लगा सकेंगे। अगर आप तीन चार प्रतिशत रिटर्न की उम्मीद रखते हैं तो पांच प्रतिशत रिटर्न भी आपको काफी लग सकता है।

लेकिन अगर आप 20 फीसद रिटर्न की उम्मीद रखते हैं तो 10 फीसद रिटर्न भी आपको मामूली लगेगा। इसलिए हमेशा अपने चयनित आर्थिक समाधान से मिलने वाले रिटर्न की तुलना इस बात को ध्यान में रखकर करें कि आपने वह समाधान क्यों चुना था। अगर आपने वह सुरक्षित विकल्प के लिए चुना था तब आपको 10-15 फीसद रिटर्न की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

हालांकि यह जीवन बीमा योजनाओं के मूल्यांकन का सामान्य तरीका है। बेहतर होगा कि आप अपने आर्थिक सलाहकार या किसी जीवन बीमा कंपनी से परामर्श कर लें। वे आपकी व्यक्तिगत जरूरत के अनुसार उचित जीवन बीमा योजना चुनने में आपकी सहायता करेंगे।

आरएम विशाखा

एमडी व सीईओ,

इंडिया फस्र्ट लाइफ इंश्योरेंस


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