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बीमा एजेंटों पर अंकुश की तैयारी, बनेगा डाटा बेस

ग्राहकों के फायदे के लिए बीमा एजेंटो का डेटा बेस तैयार करने की तैयारी चल रही है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 18 Jun 2017 12:22 PM (IST)Updated: Sun, 18 Jun 2017 12:22 PM (IST)
बीमा एजेंटों पर अंकुश की तैयारी, बनेगा डाटा बेस
बीमा एजेंटों पर अंकुश की तैयारी, बनेगा डाटा बेस

नई दिल्ली (पीटीआई)। कोई बीमा एजेंट गलतबयानी करके ग्राहकों को बीमा पॉलिसी बेच दें और इसकी जानकारी न हो, ऐसा अब नहीं हो पाएगा। बीमा क्षेत्र के नियामक ने मध्यस्थों जैसे बीमा एजेंटों, हेल्थ इंश्योरेंस के टीपीए और जांचकर्ताओं की पृष्ठभूमि जांचने के लिए डाटा बेस बनाने की योजना तैयार की है।

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क्रेडिट ब्यूरो की तर्ज पर भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (आइआइबीआइ) ने डाटा बेस विकसित करने का फैसला किया है। इससे बीमा कंपनियां एजेंटों की पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगी। इससे उन्हें एजेंटों को नियुक्त करने में खासी मदद मिलेगी। उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा बीमा क्षेत्र पर आयोजित एक कार्यक्रम के बाद आइआइबी के सीईओ कुणाल प्रेम ने कहा कि उद्योग की तरफ से यह मांग उठती रही है कि जीवन बीमा और साधारण बीमा कारोबार के लिए एजेंटों का केंद्रीयकृत रिकॉर्ड तैयार किया जाए ताकि उन्हें नियुक्त करने से पहले एजेंट बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के बारे में सही जानकारी आसानी से मिल सके।

उन्होंने कहा कि डाटा बेस तैयार होने से उद्योग को आसानी होगी। भविष्य में आइआइबी ऐसी सूची भी तैयार करेगा जिसमें ऐसे एजेंटों की जानकारी होगी जिनके बारे में सतर्क रहने की जरूरत है। वर्तमान में इस योजना पर काम हो रहा है। डाटा बेस में एजेंटों के अलावा टीपीए, मूल्यांकनकर्ताओं और जांचकर्ताओं की जानकारी उपलब्ध होगी। टीपीए जहां हेल्थ इंश्योरेंस में कैशलेस बीमा सुविधा ग्राहकों को दिलाने में मदद करते हैं, वहीं जांचकर्ता तमाम तरह के दावों में तथ्यों की जांच का काम करते हैं। इसी के आधार पर बीमा कंपनी क्लेम स्वीकार करती है।

डाटा बेस तैयार होने का फायदा यह होगा कि एजेंट, टीपीए और जांचकर्ताओं को अपना रिकॉर्ड दुरुस्त रखने की चिंता होगी और वे कोई गलत काम करने से बचेंगे। इस समय इन मध्यस्थों के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो कंपनी उन्हें हटा देती हैं। लेकिन वे किसी अन्य कंपनी में काम करने लगते हैं। ऐसे में बीमा उद्योग में होने वाली गड़बड़ियां रुक नहीं पाती हैं।

ग्राहकों को गलतबयानी करके बीमा पॉलिसी बेचने की शिकायतें आम रहती हैं। आइआइबी प्रमुख ने कहा कि अभी ऐसे एजेंटों और दूसरे मध्यस्थों को कंपनियां अपने स्तर पर काली सूची पर डालती हैं। इस बात की संभावना रहती है कि किसी कंपनी की ऐसी सूची जानकारी दूसरी कंपनी को न मिल पाये। इस वजह से एजेंटों पर अंकुश लगाना मुश्किल होता है। उद्योग के स्तर पर डाटा बेस तैयार होने से ऐसा नहीं होगा।

हेल्थ सेक्टर पर उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा के नेटवर्क में अस्पतालों को शामिल करने के लिए एक पोर्टल है। इसमें पूरे बीमा क्षेत्र के लिए किसी अस्पताल को पंजीकृत कराया जा सकता है। इस समय इस पोर्टल में 12800 अस्पताल पंजीकृत हैं जबकि पूरे देश में 35,000 अस्पताल हैं। उन्होंने कहा कि इसमें पंजीयन अभी भी जारी है।


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