शायद आप नहीं जानते
बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके निवेश और बीमा के विकल्पों का नतीजा काफी खराब रहा है लेकिन उन्हें इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है कि यह बेहतर भी हो सकता है।
आप कपड़े या फुटवियर जैसी कोई चीज खरीदने के संबंध में सोचिए जिसके लिए आपको सावधानीपूर्वक चुनाव करना हो। आप एक दुकान पर जाते हैं, वहां उपलब्ध विकल्प देखते हैं, उसके बाद पसंद तय करके घर आते हैं और स्मार्टफोन से ऑनलाइन ऑर्डर कर देते हैं। वास्तव में यह खरीददारी करने का एक पुराना तरीका भी था, लेकिन अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। किसी भी मामले में यह कवायद इसलिए सफल होती है क्योंकि आपके कुछ मानदंड होते हैं जिनके आधार पर उपलब्ध विकल्पों को चुन सकते हैं। ये विकल्प स्वाद, रंग या स्मार्टनेस हो सकते हैं। कीमत या मात्रा या कोई अन्य विशेषता भी हो सकते हैं।
खासकर किसी गैजेट या ऑटोमोबाइल के मामले में। इस तरह ऐसे मामलों में आपको लगता है कि आपकी पसंद सही है। यह उस मानक पर निर्भर करता है जो आपको अपने लिए सर्वाधिक प्रासंगिक लगता है। दुर्भाग्य से निवेश या बीमा जैसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट के मामले में ऐसा नहीं होता। इसकी पहली वजह यह है कि कुछ ही लोग सही- सही यह बता सकते हैं कि उन्हें किसी प्रोडक्ट से क्या उम्मीदें हैं। उस प्रोडक्ट में वे विशेषताएं हैं या नहीं। दूसरी वजह यह है कि अगर किसी प्रोडक्ट में वे विशेषताएं मौजूद भी हैं तो अक्सर उनका मूल्यांकन खरीददार की पूर्व जानकारी, किसी प्रोडक्ट में क्या होता है इसकी जानकारी और उस प्रोडक्ट के सघन प्रचार के बारे में शंका करने की क्षमता के आधार पर होता है। सबसे खराब बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति गलती कर बैठता है तो उसका अहसास कई वर्षों के बाद होता है। बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके निवेश और बीमा के विकल्पों का नतीजा काफी खराब रहा है लेकिन उन्हें इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है कि यह बेहतर भी हो सकता है। अगर यह जानकारी हो, तब भी उन्हें यह समझ नहीं आता कि गलती कहां हुई है। इस तरह इन विकल्पों के चुनाव का
इन लोगों के जीवन पर व्यापक असर पड़ता है और इसके बावजूद वे मोबाइल फोन या जूतों के जोड़ों से भी कम विकल्प पाते हैं। दुर्भाग्य से यह सब आसान नहीं है। कुछ लोग अपना ज्ञान बढ़ाएंगे और सीख लेंगे लेकिन जिन लोगों को इसका हल चाहिए उन्हें इस बारे में जानकारी भी नहीं है।
धीरेंद्र कुमार