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सिस्‍टमैटिक विदड्रॉअल प्‍लान अपनाने का सही वक्‍त

यदि रिटर्न नियमित निकासी से ज्यादा है तो एसडब्ल्यूपी अनंतकाल तक भुगतान करता रहेगा। इसलिए लंबी अवधि व इक्विटी फंड में निवेश के लिहाज से एसडब्ल्यूपी आदर्श है। इनमें भले ही पूंजी का जोखिम रहता है, लेकिन लंबी अवधि में अमूमन इनमें औसत से ज्यादा रिटर्न मिलता है।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 19 Sep 2016 09:16 AM (IST)Updated: Mon, 12 Dec 2016 12:02 PM (IST)
सिस्‍टमैटिक विदड्रॉअल प्‍लान अपनाने का सही वक्‍त

सर्विसेज स्टेमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्ल्यूपी) को समझने से पहले हमें सिस्टेमैटिक इंवेसटमेंट प्लान (एसआइपी) को समझना होगा। सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान तो प्राय: म्यूचुअल फंडों में निवेश का धर्मग्रंथ ही बन चुका है। ज्यादातर छोटे और मझोले निवेशक कई कारणों से एसआइपी का रास्ता ही अपनाते हैं। आपको हर महीने एक छोटी-सी राशि लगानी होती है और बदले में विशेषज्ञ फंड प्रबंधन तथा रुपये की औसत लागत की अवधारणा का लाभ मिलता है। इस चरणबद्ध दृष्टिकोण से लंबी अवधि में पूंजी बनाने में मदद मिलती है। लेकिन एसडब्ल्यूपी में एसआइपी का ठीक उल्टा होता है। सिस्टेमैटिक विदड्राअल प्लान में आप हर महीने या नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि वापस निकालते हैं। उस दिन फंड की एनएवी (नेट असेट वैल्यू) के आधार पर एसडब्ल्यूपी मैनेजर तय करता है कि हर एसडब्ल्यूपी में कितनी यूनिटें भुनाई जानी हैं।

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एसडब्ल्यूपी का इस्तेमाल मुख्यत: ऐसे रिटायर्ड लोग करते हैं जिन्हें नियमित आमदनी की जरूरत होती है। एसडब्ल्यूपी में कुछ समय बाद आपके द्वारा निकाली जाने वाली राशि का अंदाजा लग जाता है। यही वजह है कि सेवानिवृत्त व्यक्ति के लिए एसडब्ल्यूपी बहुत बढ़िया विकल्प होता है। लेकिन एसडब्ल्यूपी का चयन करने से पहले किसी असली केस को देखकर इसे भली-भांति समझ लेना चाहिए। जैसे कि उदय खेतान के मामले को ही ले लीजिए।

कैसे काम करता है एसडब्ल्यूपी

उदय खेतान को सेवानिवृत्त होने पर फंड आदि को मिलाकर कुल 45 लाख रुपये प्राप्त हुए। वित्तीय सलाहकार की राय पर उन्होंने 10 लाख रुपये एक डेट फंड के एसडब्ल्यूपी में लगा दिए। इसके लिए उन्होंने 10 रुपये एनएवी वाली इसकी एक लाख यूनिटें खरीद लीं। उनके एसडब्ल्यूपी के तहत उन्हें हर महीने की 5 तारीख को 10 हजार रुपये निकालने की अनुमति थी। अगले महीने की 5 तारीख को उनके फंड की एनएवी 10.50 रुपये थी। उन्हें दस हजार रुपये देने के लिए उस दिन फंड की 952.381 यूनिटों का नकदीकरण किया गया। इस प्रकार अब उदय खेतान के पास अब 99047.619 यूनिटें बचीं। यह प्रक्रिया हर महीने जारी रहेगी। यदि एनएवी 10 रुपये ही बनी रहती है तो हर महीने 10 हजार रुपये निकालने पर उनके 10 लाख रुपये केवल 100 महीनों तक चलेंगे। चूंकि म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिटर्न मिलता है, लिहाजा उदय खेतान का 100 महीने से काफी ज्यादा अवधि तक 10 हजार रुपये की मासिक रकम प्राप्त होगी।

इक्विटी, डेट या लिक्विड फंड में कौन-सा एसडब्ल्यूपी बेहतर

इक्विटी, डेट और लिक्विड तीनों फंडों में थोड़ा- थोड़ा निवेश सबसे बेहतर है। इससे सर्वाधिक रिटर्न प्राप्त होता है। इक्विटी फंड से लंबी अवधि में ज्यादा पूंजी बनती है। जबकि डेट फंड मूल धन की सुरक्षा के साथ औसत से बेहतर रिटर्न सुनिश्चित करेगा। किंतु जब बहुत कम समय के लिए पैसा लगाना हो तो लिक्विड फंड में बेहतर रहेगा, क्योंकि लिक्विड फंड का मूल्य और जोखिम दोनों ही न्यूनतम होता है। अब सवाल उठता है कि एसडब्ल्यूपी कितने समय तक चलता है? उदय खेतान के मामले में वह हर महीने अपने कोष का एक प्रतिशत निकालते हैं। ऐसे में जब तक उनके पोर्टफोलियो पर वार्षिक रिटर्न 12 प्रतिशत से अधिक है तब तक एसडब्ल्यूपी चलता रहेगा। और यही एसडब्ल्यूपी की सबसे बड़ी खूबी है। यदि म्यूचुअल फंड हर साल सकारात्मक रिटर्न देता है, तो उनका एसडब्ल्यूपी निश्चित रूप से 100 महीने से ज्यादा अवधि तक चलेगा।

चढ़ते बाजार, लंबी अवधि में सर्वोत्तम है एसडब्ल्यूपी

जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि यदि रिटर्न नियमित निकासी से ज्यादा है तो एसडब्ल्यूपी अनंतकाल तक भुगतान करता रहेगा। इसलिए लंबी अवधि व इक्विटी फंड में निवेश के लिहाज से एसडब्ल्यूपी आदर्श है। इनमें भले ही पूंजी का जोखिम रहता है, लेकिन लंबी अवधि में अमूमन इनमें औसत से ज्यादा रिटर्न मिलता है। इसका मतलब हुआ कि आपको अनंतकाल तक हर महीने निर्धारित राशि मिलती रहेगी। इक्विटी और डेट दोनों फंडों में एसडब्ल्यूपी उस समय सबसे बढ़िया तरीके से काम करता है, जब एनएवी बढ़ रहा हो। इसलिए क्योंकि तब आपको होने वाले भुगतान में पूंजी के बजाय रिटर्न का ज्यादा हिस्सा शामिल होता है। एसडब्ल्यूपी में टैक्स की भी ज्यादा बचत एसडब्ल्यूपी का यह बेहद अहम पहलू है।

एसडब्ल्यूपी में डिविडेंट प्लान के मुकाबले कर लाभ कुछ इस तरह से काम करता है: जब म्यूचुअल फंड डेट स्कीमों पर लाभांश घोषित करता है तो निवेशक के हाथों में जाने पर यह करमुक्त होता है। लेकिन लाभांश पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) लगता है, जिसे फंड भुगतान से पहले ही काट लेता है। इस तरह यह निवेशक पर ही लगता है। लेकिन जब आप एसडब्ल्यूपी में निवेश करते हैं, तब शुरुआती महीनों में रिटर्न छोटे होते हैं। परिणामस्वरूप एक तरह से आप अपना ही पैसा निकाल रहे होते हैं, जिस पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता। यदि पैसा इक्विटी या बैलेंस फंड में लगाया गया हो तो एक साल बाद लांग टर्म कैपिटल गेंस के दायरे में आने के कारण भी इस पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगेगा। यही वजह है कि बैलेंस फंड में एसडब्ल्यूपी बहुत उपयोगी है। इनमें इक्विटी फंड के कर लाभ व बेहतर रिटर्न के साथ डेट फंड की सुरक्षा भी मिलती है।

इस सबके बावजूद एसडब्ल्यूपी में निवेश से पहले चार बातों पर गौर कर लेना चाहिए। ये हैं:

- एसडब्ल्यूपी लंबी अवधि का उत्पाद है। छोटी अवधि में इसमें ज्यादा फायदा नहीं है।

- एसडब्ल्यूपी नियमित आय का साधन नहीं, बल्कि नियमित आय का पूरक है। इसलिए लंबी अवधि के बैलेंस फंड में यह सबसे बढ़िया काम करता है।

- एसडब्ल्यूपी शुरुआती वर्षों में कर बचत के लिहाज से बेहतर है। वजह यह है कि तब निकासी में मूलधन का हिस्सा ज्यादा होने से उस पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता।

- एसडब्ल्यूपी ऐसे सेवानिवृत्त लोगों तथा बुजुर्गों के लिए सर्वाधिक अनुकूल है जो रिटायरमेंट राशि का उपयोग नियमित आय के लिए करना चाहते हैं।

- अनिल रेगो, सीईओ एंड फाउंडर, राइट हॉराइजंस फाइनेंशियल सर्विसेज


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