आपके ही पैसे से डिविडेंड देते हैं म्यूचुअल फंड
लोग जिन्होंने कभी म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं किया, वे असल में इन पर कर की व्यवस्था को भी नहीं समझते हैं
बैंक डिपॉजिट की तुलना में म्यूचुअल फंड में निवेश करने से टैक्स के मामले में बड़ा फायदा होता है। हालांकि म्यूचुअल फंड में डिविडेंड प्लान को लेकर लोगों में भ्रम बना रहता है। सेल्स रिप्रजेंटेटिव ऐसा दर्शाते हैं कि डिविडेंड की राशि कुछ अलग है। जो फंड ज्यादा डिविडेंड दे, वह ज्यादा अच्छा होता है, जबकि ऐसा नहीं है। इसमें मिलने वाला निवेश आपका ही पैसा होता है। हालांकि समझदार निवेशक इनकी मदद से टैक्स के मामले में अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं।
महीने भर पहले मैंने इस बारे में विस्तार से लिखा था कि म्यूचुअल फंड निवेश कैसे बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में टैक्स बचाने में मदद करते हैं। मैंने जिस संदर्भ में चर्चा की थी, वहां निवेश की मदद से मासिक वेतन पाने का लक्ष्य था। उदाहरण के तौर पर एक निवेश जिससे 80,000 रुपये की वार्षिक आय मिली हो, वहां बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के मामले में टैक्स 24,720 रुपये बनता। वहीं म्यूचुअल फंड के मामले में यह टैक्स मात्र 1,831 रुपये बनता है।
कई लोग जिन्होंने कभी म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं किया, वे असल में इन पर कर की व्यवस्था को भी नहीं समझते हैं। वे इस तरह के उदाहरण से चकित रह जाते हैं। यहां तक कि कर कानूनों को समझने वाले भी विभिन्न तरह के निवेश पर कर के प्रभाव को नहीं समझ पाते हैं। म्यूचुअल फंड टैक्स के लिहाज से इतना बेहतर होने की वजह यही है कि इससे मिलने वाले रिटर्न को कैपिटल गेन की श्रेणी में रखा जाता है जबकि बैंक से मिलने वाले रिटर्न को ब्याज से हुई आय माना जाता है। इसे बहुत बड़ा अंतर पड़ जाता है।
आमतौर पर म्यूचुअल फंड के कुछ बड़े फायदे इसी तरह के अंतर से होते हैं। मोटे तौर पर तीन तरीके हैं, जिनके जरिये निवेश से लाभ कमाया जा सकता है। पहला है ब्याज आय, दूसरा है कैपिटल गेन और तीसरा है डिविडेंड यानी लाभांश। उदाहरण के तौर पर, सभी तरह के डिपॉजिट से ब्याज आय होती है लेकिन अगर उस पैसे को बाजार में लगाया जाए तो उससे कैपिटल गेन हो सकता है। इक्विटी बाजार कैपिटल गेन के साथ डिविडेंड भी देता है। जब आप शेयरों में निवेश करते हैं तब स्टॉक मार्केट से कैपिटल गेन होता है। यह शेयर की कीमत के साथ-साथ उन्हें खरीदने-बेचने की आपकी कुशलता पर निर्भर करता है। वहीं डिविडेंड का फैसला कंपनी प्रबंधन की ओर से होता है और आमतौर पर ज्यादातर मामलों में शेयर की कीमत का इस पर मामूली और अस्थायी असर पड़ता है। देखा जाए तो दोनों का संबंध कंपनी के लाभ से ही होता है लेकिन तरीका अलग रहता है।
शेयरों की ही तरह म्यूचुअल फंड भी कैपिटल गेन या डिविडेंड के रूप में फायदा दे सकते हैं। हालांकि, इसमें एक बड़ा अंतर है। विभिन्न फंड अपने निवेशकों से जुटाए गए पैसों का स्टॉक या बांड में निवेश करते हैं। इस पैसे से उन्हें कैपिटल गेन, डिविडेंड और ब्याज आय के रूप में लाभ होता है। इस लाभ को वे अपनी इच्छा और निवेशकों की सहूलियत के हिसाब से कैपिटल गेन या डिविडेंड के रूप में बांटने के लिए स्वतंत्र होते हैं। अमूमन सभी म्यूचुअल फंडों के पास ग्रोथ (कैपिटल गेन) प्लान और डिविडेंड प्लान होते हैं। निवेशक अपनी इच्छा से इनमें से चुनाव कर सकते हैं।
इसके कुछ अच्छे और कुछ बुरे पहलू हैं। अच्छी बात ये है कि जानकार निवेशक अपनी जरूरत के हिसाब से अपनी टैक्स रणनीतियों का चुनाव कर लेते हैं। बुरा पहलू यह है कि जिन निवेशकों को पूरी जानकारी नहीं होती, वे इस डिविडेंड शब्द से भ्रमित हो जाते हैं। म्यूचुअल फंड के डिविडेंड कॉरपोरेट डिविडेंड की तरह नहीं होता है। ये आपका ही पैसा होता है जो लाभांश के नाम से आपको मिलता है। अगर आप उसी फंड में ग्रोथ प्लान चुनते हैं तब कैपिटल गेन के रूप में भी आपको लगभग उतनी ही राशि मिलनी होती है।
हालांकि, ज्यादातर निवेशकों को ऐसा लगता है कि डिविडेंड का मतलब कुछ अतिरिक्त है और वे इसी में भरोसा करते हैं। तमाम फंडों के मार्केटिंग स्टाफ ने लोगों में यह भरोसा बना दिया है कि जिस फंड में ज्यादा डिविडेंड मिलता है, वह अच्छा फंड होता है। यह सच नहीं है। म्यूचुअल फंड में मिलने वाला डिविडेंड आपका ही पैसा होता है।
एक तरह के लाभ को दूसरे तरह के फायदे में बदलने का विकल्प म्यूचुअल फंड का बेहतरीन विकल्प है। खासकर डेट फंड में, इनमें कर बचाने का बड़ा मौका होता है। डेट फंड में जो लाभ होता है, उसका कुछ हिस्सा ब्याज आय से होता है। म्यूचुअल फंड की मदद से इसे कैपिटल गेन या डिविडेंड में बदला जा सकता है। इससे मिलने वाली सुविधा और बचत, दोनों शानदार हैं।
(यह लेख वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेन्द्र कुमार ने लिखा है)