वित्तीय स्वतंत्रता जल्द कैसे करें हासिल, जानिए
जानिए संपत्तियों/निवेश से कितनी कमाई होनी चाहिए जिससे आपके मौजूदा और भविष्य के खर्चे पूरे हो सकें
संजय सप्रे (प्रेसीडेंट, फ्रैंकलिन टेंपलटन इंवेस्टमेंट)। जीवन में एक पड़ाव ऐसा आता है जहां हम सभी वित्तीय स्वतंत्रता चाहते हैं। इसकी सिर्फ एक वजह होती है। वह यह है कि उस वक्त हम कुछ ऐसा करना चाहते हैं जो हमारे दिल के करीब हो। मसलन पुस्तक लेखन, यात्रा करना इत्यादि। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वित्तीय स्वतंत्रता क्या है? दरअसल, वित्तीय स्वतंत्रता उतना धन अर्जन कर लेना है जो आय रुकने पर वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी हो। संक्षेप में कह सकते हैं कि आपकी संपत्तियों/निवेश से इतनी कमाई होनी चाहिए जिससे आपके मौजूदा और भविष्य के खर्चे पूरे हो सकें। निवेश से प्राप्त होने वाले रिटर्न में आने वाले वर्षों में महंगाई के असर को भी देखा जाना चाहिए।
जब आप वित्तीय स्वतंत्रता के बारे में सोचते हैं तो जेहन में कौन आता है? निश्चित ही फॉर्च्यून 500 की सूची में शामिल प्रसिद्ध हस्तियां या कुछ हॉलीवुड और बॉलीवुड स्टार जो इतना कमा लेते हैं कि आज वे काम न भी करें तो उनका जीवनयापन खुशी-खुशी हो जाए। इसी में उन सेवानिवृत्त लोगों को भी शामिल किया जा सकता है जो नौकरी के दौरान निवेश का पूल तैयार करते हैं ताकि बाद के जीवन में उन्हें बच्चों, रिश्तेदारों और मित्रों पर आश्रित न होना पड़े। अब बात यह आती है कि आखिर किसी को वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करने के लिए क्या करना चाहिए? वास्तव में यह प्रक्रिया आसान नहीं है। इसके लिए सूक्ष्म योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन की जरूरत है। खासतौर से उनके लिए जो शून्य से शुरुआत कर रहे हैं। इसके लिए तीन प्रमुख नियम हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है। पहला नियम यह है कि बचत की शुरुआत जल्दी करें। अच्छा होगा कि पहली तनख्वाह मिलने के साथ ही इस दिशा में शुभारंभ कर दिया जाए। दूसरा नियम यह है कि नियमित निवेश करें। इसमें निरंतरता का बना रहना जरूरी है। अंतिम नियम यह है कि लंबी अवधि में निवेश करने को तैयार रहें। यह निवेश 10, 20, 30 या 40 साल के लिए होना चाहिए। निवेश की अवधि जितनी लंबी होगी धन के सृजन की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होगी। चक्रवृद्धिकरण यानी कंपाउंडिंग के कारण ऐसा होता है। हालांकि, चुनौती तब आती है जब वित्तीय स्वतंत्रता का लक्ष्य जल्द हासिल करना हो। मसलन, 50 साल की उम्र में। इसकी वजह यह है कि अगर 60 साल की जगह 50 साल में रिटायर होना चाहते हैं तो 35 साल की जगह बचत के लिए सिर्फ 25 साल ही मिलते हैं। साथ ही जीवनकाल को 90 साल मान लें तो जीवनयापन करने के लिए 30 साल के स्थान पर 40 साल होंगे। यानी ऐसे मामले में ज्यादा बचत करने की जरूरत होगी।
एसआइपी यानी सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान के जरिये म्यूचुअल फंड वित्तीय स्वतंत्रता को प्राप्त करने में मदद करते हैं। इनमें 500 रुपये प्रति माह के निचले स्तर से बचत शुरू की जा सकती है। लंबी अवधि में कंपाउंडिंग की शक्ति से तो आप लाभान्वित होते ही हैं, इसके अलावा इक्विटी फंडों से ऊंचा रिटर्न पाने की भी संभावना रहती है। 31 अक्टूबर 2016 को समाप्त अवधि के दौरान एसआइपी के माध्यम से इक्विटी फंड्स ने पांच साल में 17.86 फीसद, 10 साल में 14.05 फीसद और 15 साल में 18.76 फीसद का वार्षिक रिटर्न दिया। यह किसी भी पारंपरिक उत्पाद से मिलने वाले रिटर्न से कहीं ज्यादा है।