मानसून के अनुमान पर एक्सपर्ट का नजरिया, पढ़िए महंगाई से RBI पॉलिसी तक क्या बोले अर्थशास्त्री
वर्ष 2017 में मानसून के सामान्य रहने पर जानिए अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रियाएं
नई दिल्ली (जेएनएन)। 2017 में मानसून की बारिश सामान्य रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग के डायरेक्टर जनरल के जे रमेश ने मंगवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस साल बारिश लंबी अवधि के औसत में 96 फीसद रहने की उम्मीद है। मानसून का सामान्य रहना देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं। मानसून के सामान्य रहने पर अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रिया हम अपनी इस रिपोर्ट में बता रहे हैं।
इकरा की अर्थशास्त्री अदिति नायर के मुताबिक मानसून के शुरूआत में ला नीना का कमजोर रहना बुआई को सहारा दे सकता है। हालांकि मानसून के दौरान बाद की बारिश भी पैदावार के लिहाज से अहम रहेगी। अदिति के मुताबिक जलाशयों में निश्चित तौर पर 2016 के स्तर से ज्यादा पानी है लेकिन यह मानसून के कमजोर रहने की स्थिति में पर्याप्त नहीं होगा।
मानसून के साथ साथ जीएसटी की अगले कुछ महीनों तक साफ तस्वीर महंगाई के जोखिम को बढ़ाती है। महंगाई की दर में बढ़ोतरी की आशंका के चलते ब्याज दरों में कटौती पर अंकुश लगे रहने की संभावना है। आरबीआई अगली कुछ पॉलिसी में केवल तरलता प्रबंधन पर ही फोकस करेगी।
एल एंड टी फाइनेंस होल्डिंग की ग्रुप चीफ इकोनॉमिस्ट रूपा रेगे के मुताबिक मानसून का अनुमान आश्वस्त करता है कि दक्षिणि राज्यों में पानी की कमी देखने को मिल सकती है। रूपा के मुताबिक मानसून के साथ साथ अल नीनो का समय भी देखना जरूरी होगा। अच्छा मानसून खाद्य महंगाई दर के जोखिम को कम करेगा जिससे रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनेगी।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री सॉम्य कांति घोष के मुताबिक बीते 17 वर्षों में अनुमान और वास्तविक मानसून में ज्यादा से ज्यादा 5 फीसद का अंतर रहा है। इसका सीधा मतलब यह है कि हम अगर मौसम विभाग के अनुमान को इस औसत पर भी देखें तो इस साल 90 फीसद से ज्यादा मानसूनी बारिश की उम्मीद लगा सकते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि मानसून की वजह से महंगाई बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगी।
डीबीएस, सिंगापुर की ग्रुप इकोनॉमिस्ट राधिका राव का मानना है कि मौसम विभाग की ओर से मानसून के सामान्य रहने का अनुमान निश्चित तौर पर अर्थव्यवस्था की रिकवरी के लिए अच्छा है। साथ ही इससे महंगाई बढ़ने की चिंताएं भी कम होंगी। उनके मुताबिक अगस्त के बाद अल-नीनो का खतरा दिख रहा है जो भारत के मानसून में बहुत कम असर डालेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जुलाई से अगस्त का समय कटाई का होता है।
ICICI सिक्योरिटी की प्राइमरी डीलरशिप के अर्थशास्त्री अभिषेक उपाध्याय के मुताबिक मौसम विभाग की ओर से मानसून के सामान्य रहने का अनुमान ग्रोथ के दृष्टिकोष को मजबूत करता है और महंगाई को काबू में रहने का संकेत देता है। अभिषेक के मुताबिक यह ध्यान रखना होगा कि अभी भी इन अनुमान में बड़ी अनिश्चितता है। ऐसे में मानसून का वितरण महत्वपूर्ण रहेगा। मानसून पर ज्यादा स्पष्टता जून में आएगी। रिजर्व बैंक की ओर से फिलहाल ब्याज दरों को यथावत बनाए रखने की ही संभावना है।
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