नोटबंदी का आप पर नहीं होगा असर, अगर याद रहें ये सबक
जिन आदतों को हम आमतौर पर बदलना नहीं चाहते उन्हें बदलने के लिए कभी कभी अचानक उठाए गए कठोर कदम काफी फायदेमंद साबित होते हैं
नई दिल्ली (विद्या बाला)। जिन आदतों को हम आमतौर पर बदलना नहीं चाहते उन्हें बदलने के लिए कभी कभी अचानक उठाए गए कठोर कदम काफी फायदेमंद साबित होते हैं। विमुद्रीकरण भी जागरूक बनाने वाला ऐसा ही एक फैसला है जो हमारे खर्च करने के तरीकों को बदलेगा। नोटबंदी के इस फैसले से हमें ऐसे कुछ सबक सीखने की आवश्यकता है।
कैशलेस से करें प्यार
नकदी को अपने पास हमेशा संजो कर रखने की आदत का कोई ठोस लाभ हमें नहीं होता। वह फिर चाहे हमारी गाढ़ी सफेद कमाई ही क्यों न हो। यह केवल इसलिए नहीं कि अब हमें अपनी मुद्रा को बदलवाने के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है, बल्कि अधिक मात्रा में नकदी अपने पास रखने के कई दूसरे खतरे भी हैं। खासतौर पर बुजुर्गों के लिए यह काफी खतरनाक और जोखिम भरा होता है। इससे सुरक्षा संबंधी खतरे बढ़ जाते हैं और कभी कभी तो यह जानलेवा भी हो जाता है। क्रेडिट कार्ड को भूल जाइए। एक साधारण डेबिट कार्ड ही आपके सभी तरह के ट्रांजैक्शन की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी है। इसलिए डेबिट कार्ड को अपनाएं और नकदी का इस्तेमाल केवल रोजमर्रा के जरूरी खर्चों के लिए ही करें। इसलिए जरूरी है कि घर का महीने का बजट बनाते वक्त ही तय कर लें कि आपको ऐसी जरूरतों को पूरा करने के लिए कितनी नकदी की आवश्यकता है।
काली कमाई के सृजन को बढ़ावा न दें
वेतन से होने वाली आमदनी पर हम सभी टैक्स अदा करते हैं। लेकिन यह भी सच है कि अन्य स्रोतों से होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना चाहता। यह अफसोसजनक है कि इसके चलते हम कर चोरी करने वाले राष्ट्र के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं। जाने अनजाने हम ऐसी छोटी मोटी कर चोरी को प्रोत्साहन देते हैं।
मसलन आप अपने किरायेदार से किराये की पूरी रकम नकद मांग सकते हैं। या फिर कुछ नकद और कुछ चैक से। यह दोनों पार्टियों पर है कि वे इस ट्रांजैक्शन को घोषित करती हैं अथवा नहीं। जब हम खुद किरायेदार होते हैं और मकान मालिक हमसे नकद किराया मांगता है तो हम ऐसा ही करते हैं। लगभग यही स्थिति रियल एस्टेट में होने वाले सौदों, सोने की खरीद और पुराना सामान खरीदने बेचने के वक्त होने वाले सौदों में होता है। ऐसे में आप या तो खुद अपनी अघोषित आय का सृजन कर रहे होते हैं या फिर किसी दूसरे के द्वारा ऐसा किए जाने में इस्तेमाल हो रहे होते हैं।
टैक्स अदा करें
निवेश की हमारी तमाम आदतें केवल एक ही बिंदु पर केंद्रित रहती हैं। कैसे बचत करें या कैसे टैक्स बचाकर निवेश किया जा सकता है। हालांकि हमारा कानून कई निवेश उत्पादों में टैक्स रियायतों का लाभ उठाने की हमें इजाजत देता है। लेकिन आमतौर पर हम यहीं नहीं रुकते। इसके बाद भी हम ऐसे उपाय तलाशते रहते हैं जहां टैक्स की अदायगी से बचकर निवेश किया जा सके। कई तरह की गैरकानूनी चिटफंड या गोल्ड स्कीम बाजार में उपलब्ध रहती हैं जहां निवेश कर आप अघोषित आय सृजित कर सकते हैं। कई लोग तो बेनामी संपत्ति यानी अपने रिश्तेदारों, दोस्तों के नाम संपत्ति खरीद या निवेश कर टैक्स बचाने का उपाय करते हैं। इस आदत का विस्तार नोटबंदी के वक्त में मुद्रा बदलने के लिए दूसरों के खातों का इस्तेमाल या अन्य व्यक्तियों के जरिये नोट बदलवाने में देखा जा सकता है। पकड़े जाने पर आपको ये आदतें काफी महंगी पड़ सकती हैं। नोटबंदी का सरकार का फैसला बताता है कि ऐसी आदतों को खत्म करने के लिए कड़े फैसले आगे भी लिए जा सकते हैं।
रिटर्न पर हो नजर, टैक्स पर नहीं
कई निवेशक नियामक के दायरे से बाहर के निवेश उत्पादों में रुचि केवल इसलिए रखते हैं क्योंकि वहां उन्हें अपनी पैन कार्ड जैसी जानकारियां नहीं देनी होती। ऐसा कर वे टैक्स के दायरे में आने से बच जाते हैं। एक कदम पीछे हटिए और उन उत्पादों की तरफ देखिए जिन्हें नियमों के दायरे में रहकर संचालित किया जाता है। ये ऐसे उत्पाद हैं जिनमें रिटर्न भी काफी अधिक है। इनके अलावा आप म्यूचुअल फंड के विकल्पों को भी अपना सकते हैं जो आपके नकदी रखने के विकल्पों से ज्यादा बेहतर साबित हो सकते हैं।