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गिरावट के बाद अब तेजी के मूड में दलाल स्ट्रीट

बीते हफ्ते बाजार ने मजबूती के साथ शुरुआत की। इस बात की उम्मीद थी कि रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करेगा

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 12 Dec 2016 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 12 Dec 2016 11:57 AM (IST)
गिरावट के बाद अब तेजी के मूड में दलाल स्ट्रीट

नई दिल्ली (जिमित मोदी, सीईओ सैमको सिक्योरिटीज)। बीते हफ्ते बाजार ने मजबूती के साथ शुरुआत की। इस बात की उम्मीद थी कि रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करेगा। लेकिन उम्मीदों के उलट ब्याज दर को यथावत रखा गया। इससे सप्ताह के बीच में बाजार में गिरावट आई। यह और बात है कि सप्ताह का अंत होते-होते इसने दोबारा रफ्तार पकड़ ली। इसका मतलब यह हुआ कि बाजार तेजी के मूड में है।

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जब बाजार हर नकारात्मक खबर को नजरअंदाज करे और सभी तर्कों को खारिज करते हुए ऊपर चढे़ तो साफ संकेत मिलता है कि तेजड़िये हावी हैं। ब्याज दर जैसे महत्वपूर्ण व्यापक आर्थिक संकेतक का नजरअंदाज किया जाना इसकी बानगी है। इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की बिकवाली में भारी कमी आई है। दो महीनों में उन्होंने जो बिकवाली की थी उसका घरेलू निवेशकों ने फायदा उठाते हुए भरपाई कर दी। इस तरह बाजार तेजड़ियों के लिए छा जाने को बिल्कुल तैयार है। उसे रफ्तार पकड़ने के लिए बस ट्रिगर का इंतजार है। गुजरा सप्ताह कई बड़ी खबरों वाला रहा। केयर्न इंडिया ने 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश करके उत्पादन को बढ़ाकर 3,00,000 बैरल प्रति दिन करने की प्रतिबद्धता जताई।

जबकि रूस ने क्रूड के उत्पादन में 3,00,000 बैरल प्रति दिन की कटौती करने का एलान किया है। आरबीआइ ने सही मायनों में अपनी स्वायत्तता का प्रदर्शन किया। उसने रुपये की गिरावट को थामने के लिए ब्याज दरों में कटौती की अपेक्षा को तवज्जो नहीं दिया। साप्ताहिक आधार पर दोनों सूचकांकों में सुधार हुआ। सेंसेक्स इस दौरान 516.52 अंक यानी 1.96 फीसद और निफ्टी 174.95 अंक यानी 2.16 फीसद मजबूत हुआ। यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) की ओर से प्रोत्साहन पैकेज के विस्तार की घोषणा ने विदेशी बाजारों को बल दिया। इसका घरेलू बाजार की कारोबारी धारणा पर भी असर पड़ा। जहां तक निफ्टी का सवाल है तो वह इस सप्ताह 7900 और 8400 अंक के दायरे में घूम सकता है। बाजार ने मजबूत आधार बना लिया है और उसे किसी सकारात्मक खबर का इंतजार है। हालांकि, पूर्व का अनुभव बताता है कि दिसंबर में बड़े संस्थागत निवेशक काफी सुस्त रहते हैं।

इस सप्ताह सबकी नजर अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक पर होगी। इस बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाए जाने की आशंका है। यह जानना भी महत्वपूर्ण होगा कि वह आगे की रणनीति को लेकर क्या बातें कहता है।


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